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bahut badhiya pryas,sarahiniye dherya aor achha udharan.
- उत्तर :- धन्यवाद आशा है आप यहां अक्सर आते रहेंगें ।
- hemjyotsana का कहना है कि -
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गुरु देव कहे हम ना माने कैसे सम्भव है :)
आप की कक्षा भी घोट ली.... अब तो बस वो बजन बहर रुकन (अर्कान )का गणित समझना है ,
उस का बेसब्ररी से इन्त्जार है :)
वैसे एक सलाह है इन कक्षाओं के सभई पत्ते (URL) किसी एक जगह मिलते..... तो और बेहत्तर होता ....
अब आज की कक्षा का तो हमे पता ही नही चलता और wordpress के आने वाले चिठ्ठो के topic पढ कर याद ना आता के कहीं ये हमारी कक्षा तो नहीं
अगली कक्षा के इन्तजार में .....
सादरउत्तर:- वैसे तो हिंद युग्म पर साइड में ही सभी लिंक मिल रहे हैं ( एक क्लास को छोड़कर) वहां से भी पता चल जाता है कि कितनी कक्षाएं हुईं हैं ।
hemjyotsana का कहना है कि -
और एक बात गुरु देव .... हर कक्षा के साथ(topic ) क्रमाकं भी आये तो पता चलता रहेगा के बीच की कक्षा मे हम गोल तो नहीं मारा
अब तक की ६ कक्षा मे देर से आये पर आगे से समय पर उपस्थिती देते रहेगे
सादरउत्तर:- आपकी सलाह पर तो काम हो ही गया है फिर भी अच्छी सलाह के लिये धन्यवाद ।
- sumit का कहना है कि -
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गुरू जी आप कक्षा मे पढने मे अच्छा लग रहा है
सुमित भारद्वाजउत्तर :- चलिये इसका मतलब ये है कि मेरी मेहनत सार्थक हो रही है और मैं अपने कम्प्यूटर हार्डवेयर छात्रों को बता सकता हूं कि मैं कम्प्यूटश्र के अलावा कुछ और भी पढ़ा सकता हूं ।
- सजीव सारथी का कहना है कि -
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गुरु जी मेरी एक ग़ज़ल का मतला है -
काफिर तो नही हूँ मैं मगर, हाँ अंदाजे -परश्तिश है जुदा ज़रा,
दरकार नही मंदिरों-मस्जिद, हर सिम्त मुझे दिखता है खुदा मेरा
मुझे रदीफ़ का इस्तेमाल न करना अच्छा लगता है, काफिये से शेर को खत्म करना भाता है, तो क्या इस ग़ज़ल में "जुदा जरा" या "खुदा मेरा" इस ध्वनी के काफिये इस्तेमाल कर सकता हूँ, या यह तरीका ग़लत है, कृपया बताएंअवनीश एस तिवारी का कहना है कि -
बहुत अच्छा चल रहा है ग़ज़ल कार्यशाला |
हिंद युग्म इस कार्यशाला के हर पाढ़ को संभाल कर रखेगा ऐसी आशा है |
ये एक सम्पत्ती बन रही है |
गुरूजी का आभार और आगे के लिए तत्परता लिए...
अवनीश तिवारीउत्तर :- हिंद युग्म के महायज्ञ में मेरी एक आहुति है और आशा है कि मेरी ये आहुति कहीं कुछ काम आ जाएगी । हिंदी को लेकर जो कुछ भी किया जाए वो कम है । आप तत्पर रहें ।
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- Alpana Verma का कहना है कि -
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सादर धन्यवाद एक और उपयोगी पाठ के लिए.
**हेम्ज्योत्सना जी का सुझाव बहुत अच्छा है कि हर कक्षा [पाठ] के साथ(topic ) क्रमाकं भी आये तो पता चलता रहेगा--
ख़ास कर जो नए पाठक आते हैं उनको ज्ञान होगा कि कौन सी कक्षा चल रही है फ़िर वे अर्चिव से पहले के पाठ पढ़सकते हैं.पुराने पाठ को क्रमांक हिन्दयुग्म admin दे सकता है-
उत्तर :- आपका सुझाव सर आंखों पर और वो हो भ चुका है । सुझावों का स्वागत हैं और हां ये भी बताएं कि आप कुछ सीख भी पा रहीं हैं या नहीं ।
Shailesh Jamloki का कहना है कि -
गुरु जी..आज का आपका पाठ सम्पूर्ण लगा क्यों की
- बहुत अच्छे उदाहरण ले कर समझाया गया है..
- सारांश और प्रश्नोत्तर खंड बहुत अच्छा है
- काफ्फिये भी उदाहरण दे कर सम्झ्ये है जैसे ...
"कहीं, नहीं, यहीं, ज़मीं "
प्रश्न :-
१) क्या इ की मात्र से भी कोई काफिया बना हुआ है?
२)अगर हमे एक तरह के काफिये चुने है जैसे "कहीं, नहीं, यहीं, ज़मीं ".. तो अगर हमारा शब्द कोष थोडा कम है, या कविता लिखते समय न मिल पायेई तो हमे कहाँ से मदत लेनी चाहिए..
सादर
शैलेशउत्तर :- छोटी इ पर समापन करना मुश्किल होता है और फिर बात को हमेशा ही वज़्न पर छोड़ा जाता है अत: छोटी इ के काफिये थोड़ा मुश्किल होते हैं । शब्द कोष तो बाजार में मिलते हैं आप वहां से मदद ले सकते हैं ।
anju का कहना है कि -
गुरु जी , मुझे यह बताइए क्या कोई ग़ज़ल कविता कहला सकती है ?
या कोई कविता ग़ज़ल हो सकती है
धन्यवादउत्तर :- कविता और ग़ज़ल में फर्क ही क्या काव्य तो उसीको कहते हैं जो ग़ज़ल होती है बस फर्क ये है कि ग़ज़ल में कुछ सीमाएं होती हैं जिनका पालन करना होता है । लेकिन कविता और ग़जल तो एक ही बात है ।
शैलेश भारतवासी का कहना है कि -
अंजु जी,
ग़ज़ल हिन्दी परम्परा नहीं है। अगर सूक्ष्मता के स्तर पर न जायें तो 'कविता, ग़ज़ल, नज़्म, गीत, पोएम आदि एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं, लेकिन सभी अपने देश, काल और परिस्थितिजन्य विशेषताओं को समाहित किये हुए हैं।
पंकज जी,
आपकी कक्षा के बाद विद्यार्थियों को बहुत कम ही शंकाएँ रह जाती होंगी।
हेमज्योत्सना जी,
हमने तो प्रथम दिवस से ही कक्षाओं को 'मुख्य पृष्ठ' ले साइडबार में एक जगह और इस पृष्ठ के साइडबार में एक जगह डिस्पले कर रहे हैं। आप ध्यान से देखें।उत्तर :- धन्यवाद शैलेष जी आप तो मेरा काम आसान ही कर रहे हैं आशा है वहां पर पुस्तक मेले में भी हिंद युग्म को सफलता मिल रही होगी ।
अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -
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इस बार के कक्षा अच्छी रही |
धन्यवाद | पाढ़ को क्रमांक देना अच्छा हुया है |
गुरूजी, आप अपने उत्तर यंही पर दीजियेगा न की gmail पर | इससे हम सभी को बहुत सीखने लायक बातें पता चलती है |
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अवनीश तिवारीउत्तर :- चलिये आपकी बात भी ठीक है हम बातें यहीं पर करेंगें ।
- mehek का कहना है कि -
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गुरूजी आज की कक्षा सच में बेहद अच्छी रही.| उ के बरे में बहुत नायब ग़ज़लों के साथ उद्धरण मिले |बहुत कुछ समझ में आया शुक्रिया |हम भी इस बात से सहमत है की आप प्रश्नों के उत्तर यही दे,ताकि हमे भी सिखने मिले.धन्यवाद |
DR.ANURAG ARYA का कहना है कि -
उत्तर :- आपको समझ में आ रहा है ये बात गुरूजी को तो तभी पता चलेगी जब आप कुछ लिख कर भी बताएंगी ।
- hemjyotsana का कहना है कि -
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पाठ ७ भई हो गया गुरू जी
सादर
हेमउत्तर :- आपने पढ़ लिये धन्यवाद ।
अजय यादव का कहना है कि -
आपकी कक्षा में हमेशा समय पर तो हाज़िर नहीं हो पाता परंतु वक्त मिलने पर सभी लेख पढ़ लेता हूँ. लोगों का गज़ल की बारीकियाँ सीखने की ओर जो रुझान है, उसे देखकर अच्छा लग रहा है. आपका समझाने का अंदाज़ भी बहुत सरल और आकर्षक है, इससे अपेक्षाकृत मुश्किल बातें भी आसानी से समझ में आ जातीं हैं. इस सिलसिले को आरंभ करने के लिये बहुत-बहुत आभार!
- उत्तर :- दरअस्ल में मैं हमेशा से ही ये मानता हूं कि पढ़ाया उस तरह से नहीं जाए जिस तरह से शिक्षक चाहता है बल्कि उस तरह से जिस तरह से कि छात्रों को समझ में आ जाए हमारी शिक्षा पद्धति में आज जो दोष आ गया है वो ये ही तो हैं कि शिक्षक उस तरह से सिखाते हैं जिसे तरह से वे चाहते हैं कभी वे सीखने वालों की तरु नहीं देखते । ।
- सजीव सारथी का कहना है कि -
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bahut khoob guru ji,
bahut badhia udaharan diye aaj aapne - उत्तर :- सजीव जी आप भी अंग्रेजी में लिखेंगें तो कैसे काम चलेगा हमें तो औरों को उदाहरण देना हे ।
- tanha kavi का कहना है कि -
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ग़ालिब और मीर-तकी-मीर के गज़लों के माध्यम से आपने काफिये की जो शिक्षा दी है, वह मुझे बहुत हीं पसंद आया।
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक ’तन्हा’उत्तर :- धन्यवाद आपका ।
DR.ANURAG ARYA का कहना है कि -
subhan allah ,sach me hindi yugm me log bahut mehnat kar rahe hai.aapne kai bato ko badi saralta se samjhaya hai.
उत्तर :- एक अनुरोध विनम्र सा कृपया हिदी में लिखने का प्रयास करें । और आपकी तारीफ के लिये धन्यवाद ।
- शैलेश भारतवासी का कहना है कि -
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पंकज जी,
यह भी अच्छा रहेगा। सप्ताह में एक बार कक्षा और दूसरी बार शंका-निवारण, शायद यही ठीक तरीका है।
फिलहाल मुझे तो कोई शंका नहीं है :)
अभी विश्व पुस्तक मेले में व्यक्त हूँ। १० फरवरी के बाद आपके पाठ पर अभ्यास करूँगा तब शंकाएँ उत्पन्न होंगी।
उत्तर :- चलिये अभी तो आप भी बड़े काम में लगें हैं 10 के बाद बातें होंगीं । वैसे 11 फरवरी को वसंत पंचमी है जो कि ज्ञान की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस है उस दिन चाहें तो हिंद युग्म पर कोई आयोजन कर सकते हैं ।
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Alpana Verma का कहना है कि -
बहुत अच्छी व्याख्या और पाठ.
धन्यवाद सुबीर जी.
इतना सरल ग़ज़ल के बारे में मुफ्त पाठ इंटरनेट पर हिन्दी में कहीं और उपलब्ध नहीं है.
शिक्षक सुबीर जी को इतने सरल तरीके से पाठ प्रस्तुत करने में बहुत मेहनत लगती होगी.इसलिए जो पाठक सिर्फ़ पढ़ कर बिना टिप्पणी दिए चले जाते हैं उन से अनुरोध है कम से कम अपनी उपस्थिति दर्ज़ कर दिया करें.
आभार सहित.उत्तर :- आपने जो लिखा है वो ठीक है पर क्या करें हम लोग आजकल धन्यवाद कहना तक भूल गए हैं तो फिर ऐसे में टिप्पणी करने जैसा काम करने की जहमत उठाना तो और भी बड़ी बात हैं ।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
9 कविताप्रेमियों का कहना है :
सुबीर जी मैंने कई ऐसे गीत और ग़ज़लें सुनी है जिनके काफिये और रदीफ़ नहीं मिलते पर वह गाने सुनने मे अच्छे लगते हैं इस बारे में आप क्या कहना चाहते हैं - सुरिंदर
सुरिंदर जी के सवाल को मैं आगे बढ़ता हूँ -
जैसे आपने कहा की ग़ज़ल ध्वनी पर आधारित है |
तो यदि सुनाने मे ग़ज़ल जैसा लगे और काफिया या रदीफ़ ना हो तो भी वो ग़ज़ल के दायरे मे आता है क्या?
कृपया स्पष्ट करें ..
आपका-
अवनीश तिवारी
शुक्रिया गुरुदेव,अभी हम आपसे सिख रही है,जल्द ही कुछ लिख कर भी प्रस्तुत करने का यातना केरेंगी.
हम अल्पणजी से पूरी तरह सहमत है,इतनी सरलता से आप सब कुछ समझते है.इस्केलिए आपको जितना
शुक्रिया कहा जाए कम है.
यत्न की जगह यातना दिख रहा है,माफी चाहूँगी.
अब तक की सारी कक्षायें पढ़ ली है...और समझ भी आ गई है...धन्यवाद गुरु जी...
सुबीर जी,
आपके सान्निध्य में हम ऎसे हीं सीखते रहें, यही कामना करता हूँ।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
नमस्ते सुबीर जी,
जी हाँ मैं कोशिश कर रही हूँ की सीखने का क्रम जारी रहे.
और दूसरो के सवालों से भी हम सीख रहे हैं क्यूंकि कई सवाल हमें पाठ को दोबारा पढ़ने पर मजबूर करते हैं-और उनकी समस्याओं के समाधान से हमें भी कई बार उत्तर मिल जाते हैं-इस लिए अभी तक मैंने कोई सवाल नहीं किया.:).
धन्यवाद.
sगुरु जी आपको सादर नमन
आपके गजल पाठ की बदोलत मेरी कई गजल अब पुरी हो सकेंगी जो की अभी तक अधूरी थी
मैं हमेशा गजल लिखने की कोशिश करता था पर कही न कही अटक जाता था अब उम्मीद है उन छूती हुयी गजलों को पुरा कर पाउँगा
आचार्य संजीव "सलिल"
संपादक दिव्य नर्मदा
salil.sanjiv@gmail.com
sanjivsalil.blogspot.com
असंभव संभावनाओं का समय है
हो रहे बदलाव या आयी प्रलय है?
आचरण के अश्व पर वल्गा नियम की
कसी हो तो आदमी होता अभय है
लोकतंत्री वादियों में लोभतंत्री
उठ रहे तूफान जहरीली मलय है
प्रार्थना हो, वंदना हो, अर्चना हो
साधना में कामना का क्यों विलय है?
आम जन की अपेक्षाओं, दर्द॑ दुख से
दूर है संसद यही तो पराजय है
फसल सपनों की उगाओ "सलिल" मिलकर
गतागत का आज करना समन्वय है
क्या इसे गजल कहेंगे? यदि हां तो इसमें गल्तियां कौन सी और कहां हैं?
सुधार भी सुझायें.
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