tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post4294781116932890592..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: प्रश्नोत्तर खंड 1 ग़ज़ल के पिछले पाठ पर समस्याओं को लेकर चर्चा आज यहां पर की जा रही है ।शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-80514258301891170222008-09-24T01:51:00.000+05:302008-09-24T01:51:00.000+05:30आचार्य संजीव "सलिल" संपादक दिव्य नर्मदा salil.sa...आचार्य संजीव "सलिल"<BR/> संपादक दिव्य नर्मदा<BR/> salil.sanjiv@gmail.com<BR/> sanjivsalil.blogspot.com<BR/><BR/>असंभव संभावनाओं का समय है<BR/>हो रहे बदलाव या आयी प्रलय है?<BR/><BR/>आचरण के अश्व पर वल्गा नियम की<BR/>कसी हो तो आदमी होता अभय है<BR/><BR/>लोकतंत्री वादियों में लोभतंत्री<BR/>उठ रहे तूफान जहरीली मलय है<BR/><BR/>प्रार्थना हो, वंदना हो, अर्चना हो<BR/>साधना में कामना का क्यों विलय है?<BR/><BR/>आम जन की अपेक्षाओं, दर्द॑ दुख से<BR/>दूर है संसद यही तो पराजय है<BR/><BR/>फसल सपनों की उगाओ "सलिल" मिलकर<BR/>गतागत का आज करना समन्वय है<BR/><BR/> क्या इसे गजल कहेंगे? यदि हां तो इसमें गल्तियां कौन सी और कहां हैं?<BR/>सुधार भी सुझायें.Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-73311929915317405352008-02-26T17:43:00.000+05:302008-02-26T17:43:00.000+05:30sगुरु जी आपको सादर नमन आपके गजल पाठ की बदोलत मेरी ...sगुरु जी आपको सादर नमन <BR/>आपके गजल पाठ की बदोलत मेरी कई गजल अब पुरी हो सकेंगी जो की अभी तक अधूरी थी <BR/><BR/>मैं हमेशा गजल लिखने की कोशिश करता था पर कही न कही अटक जाता था अब उम्मीद है उन छूती हुयी गजलों को पुरा कर पाउँगाSunny Chanchlanihttps://www.blogger.com/profile/02921620323003577787noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-2992803576836741012008-02-11T09:55:00.000+05:302008-02-11T09:55:00.000+05:30नमस्ते सुबीर जी,जी हाँ मैं कोशिश कर रही हूँ की सीख...नमस्ते सुबीर जी,<BR/>जी हाँ मैं कोशिश कर रही हूँ की सीखने का क्रम जारी रहे.<BR/>और दूसरो के सवालों से भी हम सीख रहे हैं क्यूंकि कई सवाल हमें पाठ को दोबारा पढ़ने पर मजबूर करते हैं-और उनकी समस्याओं के समाधान से हमें भी कई बार उत्तर मिल जाते हैं-इस लिए अभी तक मैंने कोई सवाल नहीं किया.:).<BR/>धन्यवाद.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-55373397927589104872008-02-09T23:05:00.000+05:302008-02-09T23:05:00.000+05:30सुबीर जी,आपके सान्निध्य में हम ऎसे हीं सीखते रहें,...सुबीर जी,<BR/>आपके सान्निध्य में हम ऎसे हीं सीखते रहें, यही कामना करता हूँ।<BR/><BR/>-विश्व दीपक ’तन्हा’विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49048774891634929612008-02-08T22:21:00.000+05:302008-02-08T22:21:00.000+05:30अब तक की सारी कक्षायें पढ़ ली है...और समझ भी आ गई ह...अब तक की सारी कक्षायें पढ़ ली है...और समझ भी आ गई है...धन्यवाद गुरु जी...सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-26590204771506141932008-02-08T21:47:00.000+05:302008-02-08T21:47:00.000+05:30यत्न की जगह यातना दिख रहा है,माफी चाहूँगी.यत्न की जगह यातना दिख रहा है,माफी चाहूँगी.mehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-47670948071462799032008-02-08T21:45:00.000+05:302008-02-08T21:45:00.000+05:30शुक्रिया गुरुदेव,अभी हम आपसे सिख रही है,जल्द ही कु...शुक्रिया गुरुदेव,अभी हम आपसे सिख रही है,जल्द ही कुछ लिख कर भी प्रस्तुत करने का यातना केरेंगी.<BR/>हम अल्पणजी से पूरी तरह सहमत है,इतनी सरलता से आप सब कुछ समझते है.इस्केलिए आपको जितना<BR/>शुक्रिया कहा जाए कम है.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-83913994478336113512008-02-08T15:55:00.000+05:302008-02-08T15:55:00.000+05:30सुरिंदर जी के सवाल को मैं आगे बढ़ता हूँ -जैसे आपने...सुरिंदर जी के सवाल को मैं आगे बढ़ता हूँ -<BR/><BR/>जैसे आपने कहा की ग़ज़ल ध्वनी पर आधारित है |<BR/>तो यदि सुनाने मे ग़ज़ल जैसा लगे और काफिया या रदीफ़ ना हो तो भी वो ग़ज़ल के दायरे मे आता है क्या?<BR/><BR/>कृपया स्पष्ट करें ..<BR/><BR/>आपका-<BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-77395563536417351162008-02-08T11:59:00.000+05:302008-02-08T11:59:00.000+05:30सुबीर जी मैंने कई ऐसे गीत और ग़ज़लें सुनी है जिनके...सुबीर जी मैंने कई ऐसे गीत और ग़ज़लें सुनी है जिनके काफिये और रदीफ़ नहीं मिलते पर वह गाने सुनने मे अच्छे लगते हैं इस बारे में आप क्या कहना चाहते हैं - सुरिंदरAnonymousnoreply@blogger.com