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Wednesday, January 23, 2008

अवन्तिका मेहरा की अभिव्यक्ति


प्रतियोगिता के १९वें स्थान पर भी एक कवयित्री का कब्ज़ा है। कवयित्री अवन्तिका मेहरा इस प्रतियोगिता में पहली बार शामिल हुई हैं। हम उम्मीद करते हैं कि वो आगे भी अपनी रचनाएँ हमें देती रहेंगी।

कविता- अभिव्यक्ति

कवयित्री- अवन्तिका मेहरा


अपनी भावनाओं को मैंने
असीम वर्जनाओं की गहन पीड़ा से
शब्दों में उकेर दिया

तुमसे सहा न गया
उधेड़ दिया शब्दों को
नोंचकर फेंक दिया उन्हें
सड़कों में रौंदने के लिए
तुमने फ़िर
सफ़ाई दे डाली आज़ादी की
परिभाषित कर डाला पीड़ा को
सहेजा था वर्षों से जिसे मैंने
तुमने सभी को बिखेर दिया

मैंने कब कहा
मैं अबला हूँ
इतिहास साक्षी है
मैंने सबला बनकर
सृष्टि का पोषण किया
मैंने माँ बनकर
बहन और बेटी बनकर
एक तिरस्कार झेलने को
हर बास खुद को खोया
हमेशा की तरह तुम भी
मुझपर आश्रित रहे
जीवन के हर मोड़ पर
मैंने अपनी उपस्थिति को
अपने होने के अहसास को
तुम्हें अहसास कराया

लेकिन न जाने क्यों
तुमने मेरी ही अभिव्यक्ति को
अपनी गुलामी की कथा मानकर
जीवन के हर मोड़ पर
मुझे एक ठूँठ की तरह
नितान्त अकेला ही रहने को मज़बूर किया।

मैं सृष्टि रचयिता न सही
उसकी भागीदार तो हूँ
मैंने तुम्हारे अस्तित्व को हमेशा
स्वीकार की अभिव्यक्ति दी

आज
जीवन के मध्य में
मेरे जीने पर पहरा लगा दिया
खण्डित कर दिया अतीत
मेरे होंठ कुछ कहने को
हमेशा खुले रह गये।

निर्णायकों की नज़र में-


प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ७॰७५, ६, ७
औसत अंक- ६॰९१६६७


द्वितीय चरण के जजमैंट में मिले अंक-७, ६॰९१६६७ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰९५८३३


तृतीय चरण के जज की टिप्पणी-.
मौलिकता: ४/॰२ कथ्य: ३/१॰२ शिल्प: ३/॰५
कुल- १॰९


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9 कविताप्रेमियों का कहना है :

Keerti Vaidya का कहना है कि -

sunder kavita

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

यद्यपि नयापन नही है लेकिन आपके रचना की समर्थता प्रशंसनीय है |
बधाई
अवनीश तिवारी

Anonymous का कहना है कि -

bahut achhi abhivkyati hai badhai ho.

RAVI KANT का कहना है कि -

आज
जीवन के मध्य में
मेरे जीने पर पहरा लगा दिया
खण्डित कर दिया अतीत
मेरे होंठ कुछ कहने को
हमेशा खुले रह गये।

अवन्तिका जी, खुले होठों को शब्द देना होगा। अन्याय का प्रतिकार जरूरी है।

Anonymous का कहना है कि -

कुछ दर्द पुरूष समझते नही समझ सकते नही | ऐसी ही गलियों से गुज़रती आपकी ये रचना जो पुरुषो के लिए अछूती है , शिल्प बीच -२ मैं कमजोर पढ़ रहा था , लेकिन सराहनीय प्रयास

Unknown का कहना है कि -

बहुत अच्छा
भारती

seema gupta का कहना है कि -

लेकिन न जाने क्यों
तुमने मेरी ही अभिव्यक्ति को
अपनी गुलामी की कथा मानकर
जीवन के हर मोड़ पर
मुझे एक ठूँठ की तरह
नितान्त अकेला ही रहने को मज़बूर किया।
"beautiful words , i liked this one"
Regards

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

अवंतिका जी,

बहुत सुन्दर प्रयास है.. कलम अविराम चलने दें..

आज
जीवन के मध्य में
मेरे जीने पर पहरा लगा दिया
खण्डित कर दिया अतीत
मेरे होंठ कुछ कहने को
हमेशा खुले रह गये।

बहुत बहुत शुभकामनायें

Alpana Verma का कहना है कि -

स्त्री मन के अन्तर द्वंद की अच्छी अभिव्यक्ति है.
लिखती रहीये-
शुभकामनाएं...

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