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Thursday, January 24, 2008

बातें





मासूम सी मेरी बातें
अभी बहुत नादान है

तुम्हारी बड़ी बड़ी बातो से
यह बिल्कुल अनजान है,

करने हैं अभी कई
छोटे छोटे काम मुझको..

बिखरे घर को
फिर से सजाना है..

मुरझाये पौधों को
पानी पिलाना है..

संवारना है अभी
टूटे हुए रिश्तों को,

बिखरे हुए हैं शब्द
उनको कागज पर बिछाना है..

है यह काम बहुत छोटे छोटे
पर इसी से जीवन को सजाना है

तुम्हारी बातें हैं बहुत बड़ी
अभी उन में दिल नही उलझाना है!!

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16 कविताप्रेमियों का कहना है :

seema gupta का कहना है कि -

संवारना है अभी
टूटे हुए रिश्तों को,
तुम्हारी बातें हैं बहुत बड़ी
अभी उन में दिल नही उलझाना है!!
"दिल के कोमल भावनाओं को बयान करती एक एक नाजुक सी रचना , बहुत अच्छी लगी"

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

रंजना जी,

एक सीधी सी सरल सी, प्यारी सी भावाभिव्यक्ति..
थोडी अलग हटकर..

बधाई

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

तुम्हारी बातें हैं बहुत बड़ी
अभी उन में दिल नही उलझाना है!!
-- क्या सकारात्मक तरीका है इन्कराने का |

अच्छे रचना है |

अवनीश तिवारी

loke का कहना है कि -

sab kuch acha tha par mujhe jo acha laga vo ye ki masoomiyat si zindgi bade bade uljhano or baato mein na faasss kar ek pyar ki zindgi jeena chahti hai jismein koi uljhane na ho ko takleef na ho bus pyar or pyar ho
mere khayal se kavita ka ye sandesh nikalta hai

i like most ranju ji realy

नीरज गोस्वामी का कहना है कि -

रंजना जी
छोटे छोटे शब्दों में जीवन की बड़ी बड़ी बातें किस खूबसूरती सी पिरोयी हैं आपने की मुह से बरबस वाह वा..निकलती है. बहुत बहुत बहुत सुंदर रचना....बधाई.
नीरज

शोभा का कहना है कि -

रंजना जी
सरल शब्दों में दिल की बात लिखी है आपने । सुन्दर
संवारना है अभी
टूटे हुए रिश्तों को,

बिखरे हुए हैं शब्द
उनको कागज पर बिछाना है..

है यह काम बहुत छोटे छोटे
पर इसी से जीवन को सजाना है

बधाई

Alpana Verma का कहना है कि -

सीधे सरल शब्दों में गहरे भावों की अभिव्यक्ति एक सुंदर रचना बन गयी है.
बधाई.

Sanjeet Tripathi का कहना है कि -

क्या बात है इतनी सादी रचना तो रंजना जी पहचान मे न रही थी कभी।
लेकिन फिर भी अच्छा है।

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

कविता में मासूमियत लाना जरा मुश्किल होता है। वह आप ले आई हैं।
बधाई :)

Unknown का कहना है कि -

मुरझाये पौधों को
पानी पिलाना है..

संवारना है अभी
टूटे हुए रिश्तों को,

क्या बात है रंजू जी आज आपने वो कमाल किया है जो इतने दिनों से आपकी रचना में में नहीं देख सका था बहुत ही पसंद आया आपका यह रचना स्वरूप शुभकामना

Kumud Adhikari का कहना है कि -

बिखरे हुए हैं शब्द
उनको कागज पर बिछाना है..

रंजना जी, सीधी सादी और सुंदर रचना के लिए बधाई।

विश्व दीपक का कहना है कि -

बड़ी हीं मासूमियत से आपने अपनी बातों को कह दिया है रंजू जी। यह बात मुझे सबसे अच्छी लगी।
बधाई स्वीकारें।

-विश्व दीपक 'तन्हा'

राज भाटिय़ा का कहना है कि -

रंजना जी,
सभी ने मेरे मन की बात पहले ही कह दी,अब मे कया कहू बस इतना ही कहुगा कि आप ने शव्दो की एक सुन्दर माला पिरो दी

Gaurav Shukla का कहना है कि -

रंजना जी,

"संवारना है अभी
टूटे हुए रिश्तों को,"

सरल शब्द, सरल भाव
नयापन है आपकी कविता में
बधाई

सस्नेह
गौरव शुक्ल

RAVI KANT का कहना है कि -

रंजना जी,
बहुत प्यारी रचना।

बिखरे घर को
फिर से सजाना है..

मुरझाये पौधों को
पानी पिलाना है..

संवारना है अभी
टूटे हुए रिश्तों को,

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

इस कविता का कथ्य भटका हुआ है, और कविता जैसे ही शुरू होती है तो लगता है कि शायद इसमें छंद का निर्वाह होने वाला है, लेकिन वो भी आगे नहीं दिखता। आपकी ज्यादातर कविताओं में मुझे अभ्यास की कमी दिखती है।

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