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Friday, January 18, 2008

कर्ण की कविता


हिन्द-युग्म यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता के १२ वें स्थान के कवि केशव कुमार 'कर्ण' ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और अच्छी बात यह रही कि इनकी कविता 'आओ दीप जलाएँ आली' १२वें स्थान पर रही।

पुरस्कृत कविता- आओ दीप जलाएँ आली

कवयिता- केशव कुमार 'कर्ण', बेंगलूरू

आओ दीप जलायें आली !
खुशियाँ लेकर आयी दिवाली !!
सब पर्वों में प्रिय पर्व यह,
इसकी तो है बात निराली!
आओ दीप जलायें आली !!
बंदनवार लगे हैं घर-घर !
रात सजी है दुल्हन बन कर !!
दीपक जलते जग मग- जग मग !
रात चमकती चक मक- चक मक !!
झिल मिल दीपक की पांती से,
रहा न कोई कोना खाली !
आओ दीप जलायें आली !!
दादू लाये बहुत मिठाई !
लेकिन दादी हुक्म सुनाई !!
पूजा से पहले मत खाना,
वर्ना होगी बड़ी पिटाई!!
मोजो कहाँ मानने वाली,
छुप के एक मिठाई खा ली !
आओ दीप जलायें आली !!
अब देखें आंगन में क्या है?
अरे यहाँ तो बड़ा मजा है !
भाभी सजा रही रंगोली !
उठ कर के भैया से बोली,
सुनते हो जी किधर गए?
ले आओ दीपक की थाली !
आओ दीप जलायें आली !!
सुम्मी एक पटाखा छोड़ी!
अवनी डर कर घर में दौड़ी !!
झट पापा ने गोद उठाया!
बड़े प्यार से उसे बुझाया !!
देखो कितने दीप जले हैं!
एक दूजे से गले मिले हैं !!
मिल जुल कर नन्हें दीपक ने,
रौशन कर दी रजनी काली !!
आओ दीप जलायें आली !!

निर्णायकों की नज़र में-


प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ८, ५॰५, ५॰६
औसत अंक- ६॰३६७


द्वितीय चरण के जजमैंट में मिले अंक-५॰४, ६॰३६७ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰८८३३


तृतीय चरण के जज की टिप्पणी-.
मौलिकता: ४/०॰५ कथ्य: ३/१ शिल्प: ३/२
कुल- ३॰५


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9 कविताप्रेमियों का कहना है :

Unknown का कहना है कि -

Aapke dwara likhi gai kavita mujhe sundar lagi.

Anonymous का कहना है कि -

कर्ण जी दीपावली पर लिखी आपकी कविता बालपन के भावों से भरी है,कमोबेश वे सारे भाव इसमे समाहित हैं जो बचपन मे हमारे अंदर उमड़ते हैं,
सबसे बड़ी बात कहें या कमजोरी की कविता में कोई लग लपेट नहीं है बिल्कुल सपाट और सीधे रूप में कविता समझ में आ जाती है,
पता नहीं ये उचित है की नहीं पर व्यक्तिगत तौर पर मुझे ऐसा लगता है की यदि यह कविता "बाल उद्यान" मे होती तो और अच्छा होता .
शुभकामनाओं समेत
आलोक सिंह "साहिल"

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

प्यारी कविता है कर्ण जी..
मनभावन कविता.

seema gupta का कहना है कि -

"very beautiful poem, nicely composed.
Regards

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

यह कविता बाल-उद्यान के लायक है। उम्मीद करते हैं कि कवि आगे से कुछ प्रौढ़ रचनाएँ देंगे। शायद तीसरे जज ने शिल्प आदि के अंक दे दिये होंगे।

Anonymous का कहना है कि -

bahut sundar kavita hai,bachpan ki diwali ki yaad aayi.

RAVI KANT का कहना है कि -

कर्ण जी,
साहिल जी एवं शैलेश जी से सहमत हुँ। यह पूरी तरह से बालकविता है।

Alpana Verma का कहना है कि -

एक सीधी सादी
सुंदर मनभावन बाल कविता.
शुभकामनाओं सहित.

Anonymous का कहना है कि -

karn ji aapki kavita hamen bahut achhi lagi, sach kahoon to mujhe is kavita ko padh kar apna bachpan yaad aa gaya jab hamare dadaji mithayeeyan lekar aate the aur dadi ji kehti thi ki pahle puja ho jaye fir khana. aap ka bahut bahut dhanyad. subh kamnaoo ke sath.
seheshadri.

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