गज़ल को लेकर कई सारे तकनीकी शब्द हैं जिनके बारे में विस्तृत बातें तो आने वाले समय में हम करेंगें ही किन्तु आज तो हम केवल उनके बारे में प्रारंभिक ज्ञान ही लेंगें । कई लोगों ने पिछले पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं सभी को धन्यवाद । रात से वाइरल फीवर ने जकड़ लिया है अत: आज ज्यादा लंबा लेख लिखने की स्थिति में नहीं हूं अभी भी बुखार में तप रहा हूं अत: हो सकता है कहीं टंकण की ग़लतियां हो जाएं । आज का लेख केवल प्रारंभिक ज्ञान है इन सभीका विस्तृत और विश्लेषणात्मक अध्ययन हम आगे वाले पाठों में करेंगें।
शेर : वास्तव में उसको लेकर काफी उलझन होती है कि ये ग़ज़ल वाला शेर है या कि जंगल वाला मगर ये उलझन केवल देवनागरी में ही है क्योंकि उर्दू में तो दोनों शेरों को लिखने और उनके उच्चारण में अंतर होता है । ग़ज़ल वाले शेर को उर्दू में कुछ ( लगभग) इस तरह से उच्चारित किया जाता है ' शे'र' इसलिये वहां फ़र्क़ होता है वास्तव में उसे शे'र कहेंगे तो जंगल के शेर से अंतर ख़ुद ही हो जाएगा । ये शे'र जो होता है इसकी दो लाइनें होती हैं । वास्तव में अगर शे'र को परिभाषित करना हो तो कुछ इस तरह से कर सकते हैं दो पंक्तियों में कही गई पूरी की पूरी बात जहां पर दोनों पंक्तियों का वज़्न समान हो और दूसरी पंक्ति किसी पूर्व निर्धारित तुक के साथ समाप्त हो । ध्यान दें कि मैंने पूरी की पूरी बात कहा है वास्तव में कविता और ग़ज़ल में फर्क ही ये है कविता एक ही भाव को लेकर चलती है और पूरी कविता में उसका निर्वाहन होता है । ग़ज़ल में हर शे'र अलग बात कहता है और इसीलिये उस बात को दो पंक्तियों में समाप्त होना ज़रूरी है । इन दोनो लाइनों को मिसरा कहा जाता है शे'र की पहली लाइन होती है 'मिसरा उला' और दूसरी लाइन को कहते हैं 'मिसरा सानी' । दो मिसरों से मिल कर एक शे'र बनता है । अब जैसे उदाहरण के लिये ये शे'र देखें 'मत कहो आकाश में कोहरा घना है, ये किसी की व्यक्तिगत आलोचना है ' इसमें 'मत कहो आकाश में कोहरा घना है ' ये मिसरा उला है और ' ये किसी की व्यक्तिगत आलोचना है' ये मिसरा सानी है । तो याद रखें जब भी आप शे'र कहें तो उसमें जो दो मिसरे होंगें उनमें से उपर का मिसरा जो कि पहला होता है उसे मिसरा उला कहते हैं और जिसमें आप बात को ख़त्म करते हैं तुक मिलाते हैं वो होता हैं मिसरा सानी । एक अकेले मिसरे को शे'र नहीं कह सकते हैं । वो अभी मुकम्मल नहीं है ।
मिसरा : जब हम शे'र कहते हैं तो उसकी दो लाइनें होती हैं पहली लाइन जो कि स्वतंत्र होती है और जिसमें कोई भी तुक मिलाने की बाध्यता नहीं होती है । इस पहली लाइन को कहा जाता है मिसरा उला । उसके बाद आती है दूसरी लाइन जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इसमें ही आपकी प्रतिभा का प्रदर्शन होता है । इसमें तुक का मिलान किया जाता है और इस दूसरी लाइन को कहा जाता है मिसरा सानी । अर्थात पूरी की पूरी बात कहने के लिये आपको दो लाइनें दी गईं हैं पहली लाइन में आपको आपनी बात को आधा कहना है ( मिसरा उला ) जैसे सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा इसमें शाइर ने आधी बात कह दी है अब इस आधी को पूरी अगली पंक्ति में करना ज़रूरी है (मिसरा सानी) इतना मत चाहो उसे वो बेवफा हो जाएगा । मतलब मिसरा सानी वो जिसमें आपको अपनी पहली पंक्ति की अधूरी बात को हर हालत में पूरा करना ही है । गीत में क्या होता है कि अगर एक छंद में कोई बात पूरी न हो पाय तो अगले छंद में ले लो पर यहां पर नहीं होता यहां तो पूरी बात को कहने के लिये दो ही लाइनें हैं अर्थात गागर में सागर भरना मतलब शे'र कहना । मिसरा सानी का महत्व अधिक इसलिये है क्योंकि आपको यहां पर बात को पूरा करना है और साथ में तुक ( काफिया ) भी मिलाना है ( काफिया आगे देखें उसके बारे में )। मतलब एक पूर्व निर्धारित अंत के साथ बात को खत्म करना मतलब मिसरा सानी ।
क़ाफिया : क़ाफिया ग़ज़ल की जान होता है । दरअसल में जिस अक्षर या शब्द या मात्रा को आप तुक मिलाने के लिये रखते हैं वो होता है क़ाफिया । जैसे ग़ालिब की ग़ज़ल है ' दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आखि़र इस दर्द की दवा क्या है ' अब यहां पर आप देखेंगें कि 'क्या है' स्थिर है और पूरी ग़ज़ल में स्थिर ही रहेगा वहीं दवा, हुआ जैसे शब्द परिवर्तन में आ रहे हैं । ये क़ाफिया है 'हमको उनसे वफ़ा की है उमीद जो नहीं जानते वफ़ा क्या है ' वफा क़ाफिया है ये हर शे'र में बदल जाना चाहिये । ऐसा नहीं है कि एक बार लगाए गए क़ाफिये को फि़र से दोहरा नहीं सकते पर वैसा करने में आपके शब्द कोश की ग़रीबी का पता चलता है मगर करने वाले करते हैं 'दिल के अरमां आंसुओं में बह गए हम वफा कर के भी तन्हा रह गए, ख़ुद को भी हमने मिटा डाला मग़र फ़ासले जो दरमियां थे रह गए' इसमें रह क़ाफिया फि़र आया है क़ायदे में ऐसा नहीं करना चाहिये हर शे'र में नया क़ाफि़या होना चाहिये ताकि दुनिया को पता चले कि आपका शब्दकोश कितना समृद्ध है और ग़ज़ल में सुनने वाले बस ये ही तो प्रतीक्षा करते हैं कि अगले शे'र में क्या क़ाफिया आने वाला है ।
रदीफ : एक और चीज़ है जो स्थिर है ग़ालिब के शे'र में दवा क्या है, हुआ क्या है में क्या है स्थिर है ये 'क्या है' पूरी ग़ज़ल में स्थिर रहना है इसको रदीफ़ कहते हैं इसको आप चाह कर भी नहीं बदल सकते । अर्थात क़ाफिया वो जिसको हर शे'र में बदलना है मगर उच्चारण समान होना चाहिये और रदीफ़ वो जिसको स्थिर ही रहना है कहीं बदलाव नहीं होना है । रदीफ़ क़ाफिये के बाद ही होता है । जैसे ''मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोए, बड़ी चोट खाई जवानी पे रोए' यहां पर ' पे रोए' रदीफ़ है पूरी ग़ज़ल में ये ही चलना है कहानी और जवानी क़ाफिया है जिसका निर्वाहन पूरी ग़ज़ल में पे रोए के साथ होगा मेहरबानी (काफिया) पे रोए (रदीफ), जिंदगानी (काफिया) पे रोए (रदीफ) , आदि आदि । तो आज का सबक क़ाफिया हर शे'र में बदलेगा पर उसका उच्चारण वही रहेगा जो मतले में है और रदीफ़ पूरी ग़ज़ल में वैसा का वैसा ही चलेगा कोई बदलाव नहीं ।
मतला : ग़ज़ल के पहले शे'र के दोनों मिसरों में क़ाफिया होता है इस शे'र को कहा जाता है ग़ज़ल का मतला शाइर यहीं से शुरूआत करता है ग़ज़ल का मतला अर्ज़ है । क़ायदे में तो मतला एक ही होगा किंतु यदि आगे का कोई शे'र भी ऐसा आ रहा है जिसमें दोनों मिसरों में काफिया है तो उसको हुस्ने मतला कहा जाता है वैसे मतला एक ही होता है पर बाज शाइर एक से ज़्यादा भी मतले रखते हैं । ग़ज़ल का पहला शे'र जो कुछ भी था उसकी ही तुक आगे के शे'रों के मिसरा सानी में मिलानी है ।
मकता : वो शे'र जो ग़ज़ल का आखिरी शे'र होता है और अधिकांशत: उसमें शायर अपने नाम या तखल्लुस ( उपनाम) का उपयोग करता है । जैसे हुई मुद्दत के ग़ालिब मर गया पर याद आता है, वो हर एक बात पे कहना के यूं होता तो क्या होता अब इसमें गालिब आ गया है मतलब अपने नाम को उपयोग करके शाइर ये बताने का प्रयास करता है कि ये ग़ज़ल किसकी है । तो वो शे'र जिसमें शाइर ने अपने नाम का प्रयोग किया हो और जो अंतिम शे'र हो उसे मकता कहा जाता है ।
सारांश :- आज हमने सीखा कि ग़ज़ल में शे'र क्या होता है शे'र में मिसरा क्या होता है रदीफ और काफिया का प्रारंभिक ज्ञान हमने लिया और मतला तथा मकता जैसे शब्दों को अर्थ जाना । अगली कक्षा में हम बहर, रुक्न जैसे और तकनीकी शब्दों की जानकारी लेंगें । ध्यान दें कि अभी इनकी प्रारंभिक जानकारी ही चल रही है विस्तृत चर्चा तो आगे होनी है ।
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48 कविताप्रेमियों का कहना है :
पंकज जी, अस्वस्थता के बावज़ूद आपने गज़ल से जुडी तकनीकी जानकारी दी उसके लिये शुक्रिया। आप जल्द ठीक हो जाईये यही कामना है।
पंकज सर आज की कक्षा के लिए धन्यवाद.
आपकी तबियत के विषय में जानकर दुःख हुआ उससे भी अधिक खुशी हुई आपके समर्पण के विषय में सोचकर.
खैर, हम दुआ करते हैं की आप जल्दी स्वस्थ हो जाएं,
आलोक सिंह "साहिल"
आप जल्दी ही स्वास्थ हो जाए, यही कामना करता हूँ
आप की कर्तव्य के प्रति समर्पण की भावना से बहुत प्रभावित हुआ
सुमित भाराद्वाज
जनाबे आली
मेरी दुआ है के तू ख़ुश रहे आबाद रहे
तू तंदरुस्त दिखे और सेहत याब रहे
चाँद हदियाबादी डेनमार्क
आपका प्रस्तुतीकरण अच्छा है |
धन्यवाद
एक सवाल -
क्या यह अनिवार्य है की "तखल्लुस " हो ही ?
-- अवनीश तिवारी
पंकज जी हमारी इश्वर से प्रार्थना है कि आप शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें !आज कि हमारी कक्षा काफी ज्ञानवर्धक रही !आपने बहुत अच्छे तरीके से ग़ज़ल का प्रारंभिक ज्ञान दिया हमें अगली कक्षा का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा !धन्यवाद !
बहुत ही उपयोगी जानकारी लगी ..पंकज जी .आप जल्दी से ठीक हो जाए यही दुआ है !!
बहुत ही उपयोगी जानकारी है।पंकज जी .आप जल्दी से ठीक हो जाए यही कामना है।
पंकज जी,
इतनी अमूल्य जानकारी देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। आप जल्दी हीं चंगे हो जाएँ, ईश्वर से यही दुआ करता हूँ।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
अवनीश जी ज़रूरी नहीं के तखल्लुस हो ही । मैं स्वयं ही अपनी ग़ज़लों में मकता नहीं रखता मुझे वो परंपरा पसंद नहीं है । बाकी सभी का अभार स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाओं के लिये । आप सभी के साथ काम करके अच्छा लग रहा है
पंकज जी,
सभी तकनीकी शब्दावलियों पर महारत तभी हासिल होगी जब कई सारे शे'रों/ग़ज़लों के उदाहरण द्वारा समझाया जाय। वैसे आपके बताने का तरीका इतना दुरस्त है कि मैं इतने से ही बहुत कुछ समझने लगा हूँ।
इस नेक काम के लिए बहुत-बहुत साधुवाद।
pankaj sir,sorry to hear about your ill health,wish u get well son,even u were ill u have given so much information on baisc of sher and gazal,thank u for that.it was very very helpful.
प्रणाम गुरु जी,
१) पहले मुझे केवल आपका पथ पढाने का अंदाज़ भाता था, अब तो आपका काम के प्रति समर्प्रण भी .. जो हमे प्रेरित करता है. की अगर मै आपको इस हालत मै पढ़ सकता हू.. तो तुम लोगों इस से भी उत्साह से पढना चाहिए..(आपकी शीध्र स्वास्थ्य लाभ की कामना )
२) आप उदाहरण बहुत अछे प्रयोग करते है.. मै इस लिए कह रहा हू.. क्यों की आप वो उदाहर्ण प्रयोग करते हो. जो प्रचलित हो सबने सुना हो.. और जिस चीज़ का उदाहरण हो उस पर बिलकुल सही बैठता हो..
३)शुक्रिया आपका की आपने सारांश बिन्दुओ की मेरी प्रथ्थ्ना को स्वीकार किया.
४) और सब से महत्वपूर्ण बात आपने "महत्वपूओर्ण बातो को ... गहरे अक्षरो मै लिखा है "
अगर मुझ से ये पुछा जय की मैंने अआज क्या सीखा तो मै ये कहूँगा.
*शे'र'-दो पंक्तियों में कही गई पूरी की पूरी बात जहां पर दोनों पंक्तियों का वज़्न समान हो और दूसरी पंक्ति किसी पूर्व निर्धारित तुक के साथ समाप्त हो.
*'मिसरा उला' -शे'र की पहली लाइन होती है
*'मिसरा सानी' -शे'र की दूसरी लाइन होती है
*मिसरा :-'मिसरा सानी' व 'मिसरा उला' का सयुंक्त शब्द
*गागर में सागर भरना मतलब शे'र कहना ।
*क़ाफिया':-वह अक्षर या शब्द या मात्रा को आप तुक मिलाने के लिये रखते हैं या "वो जिसको हर शे'र में बदलना है मगर उच्चारण समान होना चाहिये "
*रदीफ : एक शब्द जिसे पूरी ग़ज़ल मै स्थिर रहना है या वो जिसको स्थिर ही रहना है कहीं बदलाव नहीं होना है
* रदीफ़ क़ाफिये के बाद ही होता है ।
*मतला :ग़ज़ल के पहले शे'र को कहते हैं वैसे तो मतला एक ही होगा किंतु यदि आगे का कोई शे'र भी ऐसा आ रहा है जिसमें दोनों मिसरों में काफिया है तो उसको हुस्ने मतला कहा जाता है
*मकता : वो शे'र जो ग़ज़ल का आखिरी शे'र होता है और अधिकांशत: उसमें शायर अपने नाम या तखल्लुस ( उपनाम) का उपयोग करता है । जो की जरूरी नहीं है
प्रश्न :-
१) ग़ज़ल मै तुकांत शब जो है वो कुछ इस तरह से प्रयुक्त होता है
1-काफिया
२- काफिया
३- x
४- काफिया
५- x
६- काफिया
इसी तरह चलता रहता है
क्या इस से अलग तरह की भी कोई ग़ज़ल हो सकती है क्या?
सादर
शैलेश
महानुभाव,
यह पाठ पढ़ना एक अमूल्य अनुभव है,
बहुत धन्यवाद !
आपके स्वास्थ्यके लिए प्रभूसे प्रार्थना करता हूं.
पंकज जी !
नमस्कार
कई दिनों बाद आपकी आनलाइन कक्षा में आने का समय मिला. आपका स्वास्थ्य ईश्वर की कृपा से अब तक बिल्कुल ठीक होगा ऐसी आशा के साथ आपका नए पाठ के लिए साधुवाद. साथ ही शैलेश जम्लोकी जी को भी सम्पूर्ण कक्षा का सार संक्षेप देने के लिए धन्यवाद. मित्रो नोट बनाने की कोई जरूरत नहीं. क्योंकि अपने शैलेश जी के नोट से ही हम परीक्षा में पास हो सकेंगे. अस्तु .. इस मृदु हास्य के साथ आज की जानकारी के लिए एक बार पुनः धन्यवाद और पंकज जी के स्वास्थ्य के लिए
शुभकामना
पंकज जी,
अत्यंत उपयोगी जानकारी के लिए शुक्रिया। शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की कामना सहित।
पंकज जी
इतनी सादगी से बात समझाने का शुक्रिया.वैसे दुश्मनों की तबियत को हुआ क्या है? आप जल्दी से भले चंगे हो कर वापस आ जायें ये ही कामना है.
नीरज
सभी का आभार और शायद आपकी दुआओं का ही फल है कि मैं एक ही दिन में काफी ठीक मेहसूस कर रहा हूं । शैलेष जी ने काफी अच्छा काम किया है । चलिये अब हम मंगलवार को मिलेंगें किसी के कोई भी प्रश्न हों तो मुझे पूछ लें ताकि मैं मंगलवार की कक्षा में उनके जवाब दे सकूं ।
गुरु जी, एक बात पूछना चाहूँगा, ये जो तखल्लुस है, इसे मतले में क्या कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है, या सिर्फ़ पहले मिसरे में हो ऐसा जरूरी है ?
शुक्रवार और शनिवार सप्ताह के अवकाश होने के कारण देर से हाजिरी दी है.
कक्षा बहुत ही अच्छी रही .पाठ में ख़ास बिन्दुओं को हाईलाईट कर के समझाया गया जो अच्छा लगा.
तबियत खराब होने के बावजूद आपने कक्षा ली.आप के dedication को सलाम.
ईश्वर करे आप जल्द स्वास्थ्य लाभ करें.
ग़ज़ल की त्क्नीकीयाँ जानना सबके बस की बात नही होती है !खैर बताने के लीये धन्यबाद!और आपको गणतंत्र दीवस की सुभ्काम्नाएं!
ग़ज़ल की त्क्नीकीयाँ जानना सबके बस की बात नही होती है !खैर बताने के लीये धन्यबाद!और आपको गणतंत्र दीवस की सुभ्काम्नाएं!
sir jee class -2 bhi pad li
abhi tak koi swaal nhi :)
सर मैं यह नई हूँ मुझे ये बतायिए मैं यह पे अपनी पोस्ट कैसे सेंड करू
आपने रदीफ़ के लिए उदाहरण ’मुहब्बत की झूटी कहानी पे रोए लिया मेरे हिसाब से ये गज़ल नहीं है गीत है क्योंकि इसके अन्तरे में शे’र नहीं है ३ पन्क्तियां हैं. १ न सोचा न समझा न देखा न भाला २ तेरी आरज़ू ने हमें मार डाला ३ जिए तो मगर ज़िन्दगानी पे रोए.
शरद तैलंग
आपका सबक़ बड़ा काम आएगा जी उन सबके जो इसे अमल में लाएँगे.
आपका सबक़ बड़ा काम आएगा जी उन सबके जो इसे अमल में लाएँगे.
मुझे तो बस अचानक ही ये खजा़ना हाथ लग गया।
बहुत शुक्रिया इतनी बढिया जानकारी के लिये ।
Really good
इतनी सारी जानकारी कैसे याद रखूंगा. भूल गया तो फ़िर पूछूंगा.
aaj ki
bahut achha prayaas hai jaari rakhen.
bhot hi shandaar ..maza aaya..asa to koi bhi shayar ban sakta hai ...madat ke liye dhanyewaad
bahut achchhi jaankaari mili
misara
misara ula
misara saanii
kafia
matlaa
maktaa
kafiaa aur radiif ke bare me jaana
इस तरह की अमूल्य ज्ञान के लिए बहुत उत्सुक था पर संकोच वश किसी से खुल कर गज़ल की बारीकियों के बारे में पूछ नहीं सका... यद्यपि और गज़लों को देख कर अपनी सहज बुद्धि से गज़ल लिखता हूँ पर ये ज्ञान मेरे लिए अमूल्य और अत्यंत उपयोगी है ..... आपका बहुत शुक्रिया
गज़ल से जुडी तकनीकी जानकारी के लिये शुक्रिया।
मैं काफी देर से पौंच पायी इस क्लास में पर उम्मीद है बहुत कुछ सीख कर जाउंगी ..आज कि पहली इस पोस्ट को पढ़ना बहुत लाभदायी रहा ..धन्यवाद बहुत बहुत :)
Vinod Sharma
पतंगों के अगर कुछ पास है+ तब ही तो जलते हैं
परिंदे वर्ना अक्सर आग से बच कर निकलते हैं
ये उनसे पूछिए जो तैर आये आग का दरिया
वो कैसे लोग होते हैं जो उनके साथ चलते हैं
ग़मों की आग को जब भी बुझाने मैं यहाँ आया
ये पैमाने सुराही और साकी रंग बदलते हैं
हमेशा पास रखिये जिंदा रहने के सबूतों को
ये बनियों की है बस्ती रोज़ ये खाते बदलते हैं
मैं कतरा था मैं कतरा हूँ मैं कतरा रह के जिंदा हूँ
मगर कुछ कतरे भी लेकर समंदर, साथ चलते हैं
हमारी बदगुमानी बढ़ न जाये इसलिए यारो
हम अपनी बेच कर गर्दन, तभी घर से निकलते हैं
पंकज जी, तह-ए-दिल से आपका शुक्रगुजार हूं कि आपने अपनी अस्वस्थता के बावजूद एक बेहद ज़रूरी और महत्वपूर्ण जानकारी से हमें अवगत कराया, जिससे हम अब तक महरूम थे।
Thank u sir, gazal k gyan se bilkul anjan tha, bahot achi jankari de rahe ho, hamari duaye or shubh kamnaye apke sath hai, ap sada swasth raheeeeeeeeeeeee
अस्वस्थ होने के बावजूद आपने अपने शिष्यों के लिए ये पाठ लिखा। आपके जज़्बे को सलाम।
आपकी इस जानकारी के लिय धन्यवाद
सर मै शायरी करने की कोशिस करता हु पर कर नहीं पाता
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सामने न खुदा होता मगर बाते आदान प्रदान होती
बैटे बैटे घंटो दिलदार में यार से अंखे नादान होती
आप ने आपा से ज्ञान का अंध चिराग दमकाया में आप के स्वस्थ होने का दुआ ए खुदाई माँगु गा।
आप का धन्यवाद ज्ञान का लिए
गुरु जी मुझे मतला ,मकता समझ नही आ रहा है
कृपा कर के मुझे उदाहरण सहित समझाए
ईस अतुल्य जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)