प्रतियोगिता के २२वें पायदान पर भी बिलकुल नया चेहरा है कुमार लव का। कुमार लव हिन्दी की प्रतिष्ठित साहित्यिक वेबज़ीनों में प्रकाशित होते रहते हैं।
कविता- शीर्षक उपलब्ध नहीं है
कवयिता -कुमार लव
बहुत बहुत पहले
एक दोपहर
हमने,
तुमने और मैंने,
कुछ ख्वाब देखे थे.
आज
उनकी हकीकत खरीद लाया हूँ,
पर...
खिड़की पर खड़े,
हम,
तुम और मैं,
डूबते सूरज को,
बारिश को,
खुशबुओं को,
देख रहे हैं,
पर...
मौसम ठीक हैं,
मतलब ऐसा बुरा भी नहीं,
भारी हैं,
बादल.
गर्मी नहीं,
...
दो सोने के कंगन,
एक प्यारा सा
(साफ-सुथरा)
घर,
उस दोपहर के ख्वाब,
पर...
निर्णायकों की नज़र में-
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६॰५, ५॰५, ७॰१
औसत अंक- ६॰३६७
द्वितीय चरण के जजमैंट में मिले अंक-४॰५, ६॰३६७ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰४३३५
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
*ऐसा लगता है कविता का अर्थ इन पंक्तियों में ही छुपा है-
'आज
उनकी हकीकत खरीद लाया हूँ,'
*जो बहुत कुछ 'अनकही' कह गयी है.
खिड़की पर खड़े,
हम,
तुम और मैं,
डूबते सूरज को,
बारिश को,
खुशबुओं को,
देख रहे हैं,
पर...
"एक खाव्ब और उसकी हकीकत की अच्छी दास्ताँ"
Regards
अच्छी कविता है.
good going.
Avaneesh Tiwari
adhuri dastan ya phir ek khwab ke liyedo sone ke kangan.nice poem,congrates
सुन्दर भाव है।
एक प्यारा सा
(साफ-सुथरा)
घर,
उस दोपहर के ख्वाब,
पर...
बहुत ही सुन्दर ख्वाब पर....
सुमित भारद्वाज
वाह.... कविता एक मुस्कराहट छोड़ जाती है लबों पर....काश....
बहुत ही प्यारी रचना.
आलोक सिंह "साहिल"
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