अम्बर पाण्डेय का चेहरा भी हिन्द-युग्म यूनिकवि एवम् यूनिपाठक प्रतियोगिता के लिए बिलकुल नया है। इनकी कविता 'श्याम हो तुम' ने दिसम्बर माह की प्रतियोगिता में १५वाँ स्थान बनाया है।
कविता- श्याम हो तुम
कवयिता- अम्बर पाण्डेय
श्याम हो तुम
इसलिए शीतल
मीठे कुएं का ठंडा जल कनकन
कंठ को ऐसी तृप्ति
मन को ऐसा संतोष दे
जो निदाघ में
कि रह जाये कोई खंड वही का
वही
श्याम हो तुम
इसलिए खींचती हो
फलों से झुकती आम तरु की
डालियों की तरह
श्याम हो तुम
इसलिए कोई तुम पर
लिखता है अहर्निश कवितायें
और तुम इससे अपरिचित
मुस्कुराती हो और छाया सी
श्याम श्याम हो उठती है भर दोपहर
निर्णायकों की नज़र में-
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ६॰७५, ५॰५, ६॰५
औसत अंक- ६॰२५
द्वितीय चरण के जजमैंट में मिले अंक-५॰३, ६॰२५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ५॰७७५
तृतीय चरण के जज की टिप्पणी-.
मौलिकता: ४/०॰५ कथ्य: ३/॰५ शिल्प: ३/२
कुल- ३
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6 कविताप्रेमियों का कहना है :
*दो नए शब्दों से परिचय हुआ.
*कविता में सरलता और सौम्यता है.
*अच्छी कल्पना भी.
* फूलों सी महकती और वैसे ही नाज़ुक सी लगी.बधाई.
shyam ho tum,isliye tum par kavita likhe te hai,aur tumhe pata hi nahi,shaym shyam ho uthi bhari dopahari mein,bahut khub,badhai.
मीठे कुएं का ठंडा जल कनकन
कंठ को ऐसी तृप्ति
मन को ऐसा संतोष दे
जो निदाघ में
कि रह जाये कोई खंड वही का
वही
अम्बर जी मिटटी की सोंधी खुशबू समेटे ये पंक्तियाँ पसंद आई,चूँकि आप भी हमारे नए साथी हैं इसलिए आपका स्वागत है
आलोक सिंह "साहिल"
अम्बर जी, आप मुझे पहले अपनी कविता समझने मै मदत करें
१) मुझे कविता का प्रसंग समझ नहीं आया :(.. अतः कविता समझने मै भी मुश्किल हुई
२) 'निदाघ' शब्द का मताब क्या होता है? अन्यथा शब्द चयन सुन्दर है...
३) मुझे लगता है.. श्याम शब्द 'यमक' अलंकार को दर्शा सकता है.. पर उस के सारे अर्थ समझ नहीं आये...
४)बहुत मुश्किल है कविता समझने मै ,,.. अतः.. मै इस पर कोई टिपण्णी नहीं कर सकता जब तक समझ न आये...
५) कहीं कहीं उपमा अलंकार अछे उदाहरण जरूर अच्छे लगे.
सादर
शैलेश
मीठे कुएं का ठंडा जल कनकन
कंठ को ऐसी तृप्ति
मन को ऐसा संतोष दे
जो निदाघ में
कि रह जाये कोई खंड वही का
वही
"very nice poetry ,liked it"
Regards n congrates
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