तुम
जीवन्यास अधबीते जीवन का
पदचिह्न अधूरे पथ का
स्वर अधूरी कविता का ..........
तुम
सुबह का पीला छिटका अबीर
गोधुली में धूसरित नदी का धार
गहन अन्धकार में स्निग्ध चंदन टीका ....
तुम
स्थिर,चंचल ,
वक्र,सीधा
अक्षय ,अव्यय.....
और मैं...
शापित दलदल में फँसा अन्धकार
फ़िर भी पुण्य - कमल का मल्हार
चिर पनघट .......
ऐसे में तुम्हारा अंत ........
जीवन में ,रस्ते पर ,कविता में
अध बनी मूर्ति के सामने
धूप की आरती के समान ......
सुनीता यादव
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
सुंदर और यथार्थ रचना। उम्दा लेखन।
सुंदर अभिव्यक्ति |
अवनीश तिवारी
बहुत सुंदर सुनीता !
अच्छा लगता है आपकी रचनाओं को पढ़ना काव्य का यह रस लुप्तप्रायः सा होता चला जा रहा है ....
शुभकामना
सुनीता जी,
आपने बड़ी हीं गूढ कविता लिखी है। ऎसी कविता पढना दिल को सुकून देता है। मुझे आपकी रचना बहुत हीं पसंद आई।
चलिए अब थोड़ी कमी भी निकाल दूँ, कहीं कहीं लिंग-संबंधी अशुद्धियाँ मुझे दिखीं मसलन "नदी का धार"।
इसपर ध्यान दीजिएगा।
परंतु, पूरे तौर पर आपकी रचना काबिले-तारीफ है।
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
*सुनीता जी आप की रचनाएँ अलग रंग-ढंग की हैं.जो पसंद आयीं .
*अच्छी प्रस्तुति.
tum aur mai ki parikalpana,ek alag dhang se prastut,sach apki kavita padhna achha anubhav hota hai.
वाह सुनीता जी वाह! क्या सुंदर अभिव्यक्ति है, आनंद आ गया.
बहुत ही प्यारी कविता
आलोक सिंह साहिल"
जीवन्यास अधबीते जीवन का
पदचिह्न अधूरे पथ का
स्वर अधूरी कविता का ........
सुंदर लिखी है आपने यह सुनीता जी !!
आप सभी को मेरा नमस्कार व हार्दिक स्नेह भी ...सच कहूँ जब आप सभी कविताओं को पढ़ते हैं ,मेरी गलतियाँ सुधारते हैं तो अत्यन्त आनंद होता है .. आप का स्नेह बना रहे ..तभी तो कुछ और अच्छा लिख सकूंगी ...
सुनीता
जीवन्यास अधबीते जीवन का
पदचिह्न अधूरे पथ का
स्वर अधूरी कविता का ........
सुंदर बहुत ही प्यारी कविता
Regards
सुनीता जी,
छुट पुट व्याकरणिक त्रुटियों को दरकिनार किया जा सकता है क्योंकि आप हिन्दी भाषी नहीं हैं.. इसे देखते हुये आपने सुन्दर शब्दों को एक लयवद्ध तरीके से पिरो कर सुन्दर रचना रची है
बधाई
गूढ कविताई करती हो आप..
देर तक बाँधे रखने वाली सुन्दर रचना..
बहुत बहुत बधाई
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