नव वर्ष २००८ पर रचनाकारों की कलम बुलंद करने के क्रम में आज हम वरिष्ठ कवि प्रो॰ सी॰ बी॰ श्रीवास्तव 'विदग्ध' और नीरी, नागपुर में वैज्ञानिक संजीव कुमार गोयल 'सत्य' की कविताएँ प्रकाशित कर रहे हैं।
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा !
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा !
नई आश , किरणें बिखराओ !
हरो मनुज मन का अँधियारा !!
नवल वर्ष की स्वर्ण रश्मियों
से हो धरा गगन आल्हादित
विश्व समूचा दिग दिगंत तक
हो हर्षित , प्रमुदित , उत्साहित
हृदय सरोवर में विकसित हों
बन्धु भाव के सुरभित शतदल
जन जन में उल्लास जगे , हो
शुचिता , सेवा , त्याग , मनोबल
घर घर में खुशियां मिल तोड़े
कलुषित भेदभाव की कारा
नवल दृष्टि पाये जग सारा
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा !
----प्रो॰ सी॰ बी॰ श्रीवास्तव 'विदग्ध'
नव वर्ष में
बीत गया यह साल यूं ही,
सुलझा पाए न समस्याएँ हम,
समाधान करेंगे, संकल्प लें यह,
मिलकर हम सब, नव वर्ष में
आतंकवाद का विषैला फन,
फैल रहा चहूँ ओर,
कुचल डालेंगे हर आतंकी-फन,
मिलकर हम सब, नव वर्ष में
दुरूह हो रहा जन-जीवन,
ग्लोबल वार्मिंग के कारण,
संयमित हो बचा लेंगे पर्यावरण,
मिलकर हम सब, नव वर्ष में
बेबस, आत्महत्या करते किसान,
इस कृषि प्रधान देश में,
उचित मार्ग अपनाकर, बचा लेंगे,
मिलकर हम सब, नव वर्ष में
अंधविश्वास, अज्ञानता का दुष्चक्र,
जकड़ रहा है राष्ट्र प्रगति,
अर्जित कर ज्ञान, शिखरोन्मुख होंगे,
मिलकर हम सब, नव वर्ष में
धर्म, जात, भाषा की जंजीरों ने,
सदियों बांटा देश को,
मानवता के बन्धन में, बंध जाएंगे,
मिलकर हम सब, नव वर्ष में
बीत जाए न यह साल यूं ही,
सुलझा पाए न समस्याएँ हम,
दृढ़ निश्चय हो संकल्प करें, समाधान करेंगे,
मिलकर हम सब, नव वर्ष में ||
संजीव कुमार गोयल "सत्य"
वैज्ञानिक, नीरी, नागपुर
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
8 कविताप्रेमियों का कहना है :
स्वागत है tumhara नव वर्ष,
हृदय सरोवर में विकसित हों
बन्धु भाव के सुरभित शतदल
जन जन में उल्लास जगे , हो
शुचिता , सेवा , त्याग , मनोबल
घर घर में खुशियां मिल तोड़े
कलुषित भेदभाव की कारा
नवल दृष्टि पाये जग सारा
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा
नव वर्ष मंगलमय हो विदग्ध जी
संजीव जी किसी भी बिताते साल के बाद और आने वाले साल के सन्दर्भ में एक खास बात होती है और वो होती है, संकल्पों की .
बीत गया यह साल यूं ही,
सुलझा पाए न समस्याएँ हम,
समाधान करेंगे, संकल्प लें यह,
मिलकर हम सब, नव वर्ष में
यह संकल्प सराहनीय है
नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं
आलोक सिंह "साहिल"
स्वागत है नव वर्ष तुम्हारा !
-- एक सुंदर रचना है |
हृदय सरोवर में विकसित हों
बन्धु भाव के सुरभित शतदल
जन जन में उल्लास जगे , हो
शुचिता , सेवा , त्याग , मनोबल
-- सुंदर पंक्तियाँ है |
बधाई
----------------------------------
संजीव कुमार गोयल "सत्य" जी -
बहुत जीवंत रचना है |
किसी नेता को जरूर सुनाना चाहिए |
बधाई
-- अवनीश तिवारी
'विदग्ध'जी,
मोती जैसे शब्द चुन चुन कर आपने जो कविता सजायी है मुझे तो बहुत पसंद आयी.
'हृदय सरोवर में विकसित हों
बन्धु भाव के सुरभित शतदल''
वाह!
नव वर्ष का स्वागत करती , मोहक और गुनगुनाती कविता का स्वागत है.
संजीव कुमार जी,आप ने अपनी कविता में जिन समस्याओं पर गौर कराया है.वह आज की हकीक़त है..चाहे वह ग्लोबल वार्मिंग हो या किसानों की ग़रीबी..ये सभी मुद्दे बहुत ही गंभीर हैं ,अच्छे भविष्य के लिए जल्द ही कोई न कोई समाधान सब को मिल कर निकालना है--आप की वैज्ञानिक सोच का प्रभाव कविता में दिखायी देता है.अच्छी रचना के लिए धन्यवाद.
संजीव जी
अपने बहुत अच्छा लिखा है. भविष्य के लिए सही विचार दिए हैं . बधाई
नव वर्ष की मंगलमय कामनाओं के साथ साथ आपकी रचना का स्वागत. खूब लिखा है
हृदय सरोवर में विकसित हों
बन्धु भाव के सुरभित शतदल
जन जन में उल्लास जगे , हो
शुचिता , सेवा , त्याग , मनोबल
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 02 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
बहुत सुंदर रचना,,, बेहतरीन शब्द संयोजन,,,
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)