हिंद-युग्म नवअंकुरों का मंच रहा है, हर दिन किसी न किसी रचनाकार का अंकुर हिन्द-युग्म के आँगन में फूटता है। कुछ अंकुर अपनी युवावस्था में भी आ गये हैं, लेकिन जो बिल्कुल खरा सोना खोजते हैं, उनकी शिकायत रहती है कि अभी हमारे मंच पर प्रौढ़ लेखक नहीं है। कुछ आलोचकों की मानें तो हिन्द-युग्म पर जो रचा जा रहा है वो सामयिक साहित्य की श्रेणी में नहीं आता।
लेकिन हिन्द-युग्म यत्न करके सीखने का दूसरा नाम है। पुरानी पद्धतियों में हतोत्साहित करने की परम्परा थी, हमने प्रोत्साहित करने का अध्याय जोड़ा है। इसी में आलोचनाओं, समीक्षाओं के लिए जगह बटोरी है।
हिन्द-युग्म का मानना है कि चाहे वो छोटा साहित्यकार हो या बड़ा, नया हो या अनुभवी, नामी हो अथवा अनामी सभी को एक मंच पर जमा होना चाहिए। सभी की बात जन-जन तक पहुँचे। सभी एक-दूसरे से सीखें। सिखाना कोई जोर-जबरदस्ती की प्रक्रिया नहीं है। यह सहज होता है। यही मानते हुए हमने यह तय किया है हम नामी रचनाकारों की रचना परम्पराओं को हिन्द-युग्म के लेखकों व पाठकों के समक्ष रखें। पाठक खुद सोचें और सीखें।
इंटरनेट का बहुत बड़ा पाठकवर्ग मुद्रित दुनिया से दूर है, और नयी तकनीक ने उसे ऐसा रिझाया है कि वो दूर ही रहना चाहता है। लेकिन यदि हिन्द-युग्म साहित्य-सेवा का नारा भी लगाता है तो साहित्य परम्पराओं का सम्मान भी इसे ही करना होगा।
इसलिए हिन्द-युग्म ने यह तय किया है कि प्रत्येक माह वो इन्हीं परम्पराओं की झाकियाँ लगायेगा, ताकि नौसीखिए उनसे बहुत कुछ सीख सकें और साथ ही साथ इस मंच पर जो एक ३० हज़ार पाठकों का छोटा सा वर्ग है, उन तक भी महान साहित्य पहुँच सके। सही अर्थों में यही विभूतियों का असली सम्मान भी होगा।
और हमें यह बताते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार उदय प्रकाश जनवरी २००८ माह के हमारे सम्मानित कवि हैं। साहित्य के जानकारों की मानें तो उदय प्रकाश ने प्रेमचंद्र के बाद सबसे अधिक अपने समय को पकड़ा है, इन्होंने समय को लिखा है। यह बहुत सौभाग्य की बात है कि उदय प्रकाश जी ने हिन्द-युग्म का आतिथ्य स्वीकारा है और जनवरी २००८ माह में अपनी रचनाओं से हमें नवाजने वाले हैं।
उदय प्रकाश का एक उपन्यास 'मोहन दास' इतना चर्चित रहा है कि इसका मराठी, उड़िया, कन्नड़, अंग्रेज़ी, उर्दू, पंजाबी आदि भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ। सभी को यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता होगी कि सत्या, कौन, झंकार बीट्स और मस्ती आदि फिल्मों के सिनेमेटोग्राफ़र मजहर कामरान निर्देशक के रूप में अपनी पहली फिल्म उदय प्रकाश के ही उपन्यास मोहन दास पर बना रहे हैं। इस फिल्म में सोनाली कुलकर्णी, नकुल वैद, सुशान्त सिह, शर्बनी मुखर्जी, समीर धर्माधिकारी, अखिलेन्द्र मिश्र व गोविन्द नामदेव आदि चेहरे दिखलाई पड़ेंगे। यह फिल्म मोहन दास के ही नाम से रूपहले पर्दे पर आयेगी। इस उपन्यास का एक अंश यहाँ पढ़ा जा सकता है।
कितना सुखद संयोग है कि आज ही इस महान साहित्यकार का जन्म दिवस है, दुनिया नये साल के रूप में इनका जन्मदिवस मना रही है, और हिन्द-युग्म को भी आज ही इनके स्वागत का अवसर मिला है।
फ्लैश बैक-
मध्यप्रदेश के एक छोटे से गांव में 1952 में जन्मे उदय प्रकाश बचपन से ही मेधावी रहे हैं. आपने दिनमान जैसी साप्ताहिक पत्रिका में नौ सालों तक काम किया और सन्डे मेल में सहायक सम्पादक तथा एमिनेन्स के सम्पादक भी रह चुके हैं. शिक्षा से पत्रकारिता और फिल्म मेकिंग के पड़ावों के बीच उदय प्रकाश जी का लेखन अत्यन्त चर्चित रहा और विभिन्न देशी व विदेशी भाषाओं में अनुवादित होता रहा. वर्तमान में उदय प्रकाश जी स्वतन्त्र पत्रकार एवं फिल्मकार की भूमिका निभा रहे हैं. इन्हें भारत भूषण पुरस्कार, श्रीकान्त वर्मा अवार्ड, पहल सम्मान एवं साहित्यकार सम्मान सहित अनेको पुरस्कार प्राप्त हो चुके है.
मुख्य रचनायें- तिरिछ पीली छतरी वाली लड़की. राम में हारमोनियम, दरियाई घोडा, पॉल गोमरा का स्कूटर, और अन्त में प्रार्थना, सुनो कारीगर, ईश्वर की आंख, अरेबा, परेबा, एक भाषा हुआ करती है, मोहन दास. आदि.
चित्र- छाया से साभार
इनकी आने वाली पुस्तकें हैं-
अपनी उनकी बात (वाणी प्रकाशन)
नयी सदी का पंचतंत्र (वाणी प्रकाशन)
एक भाषा हुआ करती है (किताब घर प्रकाशन)
ब्लॉग- UDAY PRAKASH
ईमेल- udayprakash05@gmail.com
तो इंतज़ार कीजिए, हम एक-एक इनकी कविताओं से आपका परिचय करवाने वाले हैं.
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13 कविताप्रेमियों का कहना है :
उदय प्रकाश जी का हार्दिक अभिनंदन, उन्हे इस मंच पर पढने की व्यग्रता है। हिन्द युग्म का आतिथ्य स्वीकार कर उन्होने मंच की गरिमा बढायी है।
महत्वपूर्ण:-
मैं इस आलेख के प्रथम पैरा से सहमत नहीं हूँ। हिन्द-युग्म के मंच पर समकालीन साहित्य नहीं है तो फिर क्या है? ...."जो खरा सोना खोजते है" वो इसे कहाँ पाते हैं? अंतर्जाल पर साहित्यकारों के "हिन्द-युग्म" के मंच तले एकत्रित गुलदस्ते के लिये मुझे "नियंत्रक" द्वारा प्रकाशित पहला पैरा स्वीकार्य नहीं है।
*** राजीव रंजन प्रसाद्
हिंद युग्म के इस कदम के लिए धन्यवाद |
उदय प्रकाश जी का स्वागत है |
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अवनीश
हिन्द-युग्म का यह सौभाग्य है कि उदय प्रकाश जी जैसे मनीषी इससे जुड़े हैं। मैं उदय प्रकाश जी का स्वागत करता हूँ। उन्हें उनके जन्मदिन एवं नववर्ष की ढेरों बधाईयाँ।
उदय प्रकाश जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई.....हिंद युग्म के लिए यह गौरव की बात है कि उदय प्रकाश जैसे महत्वपूर्ण लेखक ने हमें कुछ सिखाने का बीड़ा उठाया है.....
चूंकि, हिन्दयुग्म भी हिन्दी भाषा कि बेहतरी के लिए तत्पर है, तब उदय जी जैसी हस्तियाँ हमारे साथ हों, तो और भी हौसला बढ़ता है.....क्यूंकि, "एक भाषा हुआ करती है..." श्रृंखला इस सन्दर्भ में लिखी गई सबसे क्रांतिकारी रचना है, ऐसा मेरा मानना है.....
ये तो एक बात हुई, इनकी बाकी रचनाओं में भी हमें ये समझ आएगा कि कवि की नैतिक जिम्मेदारी समाज से सराकोर रखती है.....
निश्चय ही, नए साल पर उदय जी की रचनाएं हिंद युग्म पर पढ़ना अनमोल तोहफा होगा....
थोड़ा इंतज़ार और.......
निखिल आनंद गिरि
उदय प्रकाश जी आपको आपके जन्म दिवस पेर हमारी तरफ़ से ढेरों शुभकामनाएं.
हिंद युग्म परिवार में आपका उदय बताता है की आपका अदम्य प्रकाश हमें हमेशा प्रकाशित करता रहेगा
स्वागत है आपका श्रीमन
आलोक सिंह "साहिल"
उदय प्रकाश जी, जन्म-दिन की बहुत बहुत बधाई.. एवं युग्म पर हार्दिक अभिनन्दन है..
उदय प्रकाश जी, जन्म दिवस
की हार्दिक बधाई औरहिन्दयुग्म पर अभिनंदन.
न केवल कवियों को बल्कि आप से हम पाठकों को भी बहुत कुछ सीखने को मिलगा.
हिंद युग्म के इस कदम के लिए धन्यवाद
रजनीश जी को ज्न्म दिन की बहुत बहुत शुभकामनायें...
उदय प्रकाश जी, जन्म दिवस
की हार्दिक बधाई औरहिन्दयुग्म पर अभिनंदन.
यह बात बहुत संतोष देती है कि हमारे समय में उदय प्रकाश हैं. और साथ ही यह बेचैनी भी कि हमारे इस नृशंष समय मे वो कैसे बचे हुए है. हमारे समय की विडम्बनाओं की समझ उदय जी से मुझे नहीं लगता किसी और हिन्दी लेखक के पास हैं. उदय जी का स्वागत! नववर्ष और जन्मदिन की हार्दिक बबधाईयाँ!
आप सबकी बधाइयो और शुभ-कामनाओ ने प्रसन्नता के झरने मे नहला दिया. मै त्रिवेन्द्रम चला गया था इसलिए आप सबको अपनी शुभ-कामनाए देने मे देर हुई!
ज़ल्द ही मै आपके बीच और साथ होऊन्गा!
अनन्त अनन्त मन्गलकामनाओ के साथ
उदय प्रकाश
aadarniya Uday Prakash ji hamareyug ke sarvashreshtha sahityakar hain .Ve mere aadarsh hain . Unhe hardik shubhkamnayein.----Sushant
aadarniya Uday Prakash ji hamareyug ke sarvashreshtha sahityakar hain .Ve mere aadarsh hain . Unhe hardik shubhkamnayein.----Sushant
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