हिन्द-युग्म इंटरनेट से अलग जमीनी स्तर पर भी अपनी गतिविधियाँ करता रहा है। काफ़ी समय से यह कोशिश भी कर रहा था कि लोगों को सामूहिक रूप से सरल हिन्दी (यूनिकोड) टाइपिंग के बारे में बताये। कल हिन्द-युग्म को यह मौका भी श्रीमती शोभा महेन्द्रू की कृपा से मिल गया।
अवसर था संवाद (हिन्दी शैक्षिक मंच) द्वारा मॉडर्न स्कूल (सेक्टर १७, फ़रीदाबाद) में आयोजित हिन्दी कार्यशाला का। शनिवार ८ दिसम्बर २००७ को यह कार्यशाला रचना सागर प्रा॰ लि॰ द्वारा संयोजित की गई थी।
इस कार्यशाला में ५० से अधिक पब्लिक स्कूलों के हिन्दी अध्यापकों ने भाग लिया। मुख्य रूप से यह कार्यशाला हिन्दी अध्यापकों को आने वाली परेशानियाँ, हिन्दी को बेहतर तरीके से कैसे पढ़ायें? इत्यादि के लिए आयोजित की गई थी।
इन बिन्दुओं पर डॉ॰ सुधांशु शुक्ला (हिन्दी प्रवक्ता, हंसराज कॉलेज, दिल्ली) और श्री ओम प्रकाश शर्मा 'मृदुल' (हिन्दी विभागाध्यक्ष, ग्रीनफील्ड्स स्कूल, नई दिल्ली) ने अध्यापकों से सीधी बात की, उनके शंका निवारण किए।
हिन्द-युग्म चाहता है कि हर एक व्यक्ति हिन्दी को नई तकनीक से जोड़े, हिन्दी आज के साथ भागे। इसलिए हिन्द-युग्म के मोहिन्दर कुमार, मनीष वंदेमातरम् और शैलेश भारतवासी ने 'सरल हिन्दी(यूनिकोड) टाइपिंग' पर ३० मिनट का पॉवर पॉवाइंट प्रजेंटेशन देकर अध्यापकों को हिन्दी प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया। हिन्द-युग्म यह बताने में सफल रहा कि आज के दौर में हिन्दी को बचाना है, और आगे ले जाना है तो विज्ञान की नई विधाओं से इसे जोड़ना होगा।
[तमाम अध्यापकों, एस॰ पी॰ मल्होत्रा (एरिया सेल्स प्रबंधक, रचना सागर प्रा॰ लि॰), नीलिमा जैन(प्रधानाचार्या, माडर्न स्कूल, फ़रीदाबाद), ओम प्रकाश शर्मा 'मृदुल' एवम् डॉ॰ सुधांशु शुक्ला के साथ हिन्द-युग्म के शोभा महेन्द्रू, मोहिन्दर कुमार, शैलेश भारतवासी व मनीष वंदेमातरम्]
बहुत से अध्यापकों ने यूनिकोड टाइपिंग सीखने की इच्छा जताई। कई अध्यापक हिन्दी टाइपिंग तो जानते थे लेकिन उन्हें यूनिकोड के बारे में पता नहीं था।
हिन्द-युग्म राष्ट्रीय स्तर पर पिछले १ महीने से एक सर्वेक्षण भी कर रहा है, जिसे नाम दिया है 'इंटरनेट और हिन्दी' । विश्व व्यापार मेला २००७, विद्यालयों, महाविद्यालयों, रेलवे स्टेशनों पर कहीं-कहीं हम यह काम कर भी चुके हैं। कल हमने इस सर्वेक्षण को इस कार्यशाला में भी किया। यह सर्वेक्षण लोगों को मात्र इंटरनेट पर हिन्दी के बढ़ रहे इस्तेमाल, अभिव्यक्ति की नई विधा चिट्ठाकारी, मानक टाइपिंग पद्धति 'यूनिकोड' के बारे में जागरूक करने के लिए है।
कोई भी पाठक इस सर्वेक्षण को सही मायनों में सफल बनाने में हमारी मदद करना चाहता है, तो हम उसे सर्वे प्रश्नों को ईमेल कर सकेंगे जिसका प्रिंट लेकर वह अपने आसपास के लोगों से उनकी प्रतिक्रियाएँ लेकर हमारे दिये गये पते पर भेज सकता है।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
10 कविताप्रेमियों का कहना है :
इस कार्यशाला के लिये बधाई
अब जब अलग अलग फोन्ट से मुक्ति
मिल चुकी है, युनिकोड स्टेन्डर्ड के
फोन्ट को सर्वव्यापी मानक के रूप में
प्रचार प्रसार की आवश्यकता है
बहुत अच्छी पहल है... मुझे ये जान कर बड़ी ख़ुशी हुई की आप लोग इतने लगन से अपनी मात्र भाषा को बढावा दे रहे है... और मन हर साथ आप लोगों के होता है...
बधाई हो..
सादर
शैलेश
इस तरह के आप के प्रयास बहुत ही सराहनीय हैं.बधाई स्वीकारें .
मैं शुषा लिपि में लिखती थी-
यूनिकोड लिपि में कोशिश की मगर पीसी में ही कुछ त्रुटी है ऐसा लगता है-
-इस लिए कॉपी पेस्ट विधि से ही संतुष्टि करनी पड़ती है.
बहुत ही प्रशंसनीय प्रयास,हिंद युग्म के अभिप्षित उद्देश्यों के प्राप्ति के तरफ़ एक बेहद सशक्त कदम.
अलोक सिंह "साहिल"
जोत से जोत जलाते रहो...
रौशन ज़माना होने को है
बहुत अच्छा लगा यह सब देख के हिंद युग्म यूं ही आगे बढता रहे :)
इसी शुभकामना के साथ
रंजू
शोभा जी बहुत अच्छा काम कर रही है आप, sailesh जी, manish जी, mohinder जी, ऐसी karyshallyen होती rahni चाहिए
मैं शोभा जी का आभारी हूँ कि इन्होंने हमें यह सुअवसर दिया। इस तरक के कार्यशालाओं की जितनी पुनरावृत्ति हो उतना ठीक है।
sundar prayaas. badhaayee.
avaneesh
denver broncos jerseys
oakley sunglasses
hugo boss
yeezy boost 350
pandora outlet
toms outlet
michael kors handbags
cheap oakley sunglasses
golden state warriors jerseys
cheap nike shoes sale
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)