टॉप १० लिस्ट की यह अंतिम रचना है। यद्यपि मंज़िल वाली कविता के दूसरे स्थान आने से हरिशंकर बाजपेयी की यह कविता अंतिम १० में नहीं थी। लेकिन चोरी की कविता को अंतिम १० से हटाये जाने के कारण हरिशंकर बाजपेयी की कविता 'ऐसा मैंने सोचा न था' १०वें पायदान पर आ गई।
![Hari Shankar Bajpayee](http://i173.photobucket.com/albums/w76/bharatwasi001/Harishankar_Bajpayee.jpg)
नाम - हरी शंकर बाजपेयी
पता - पी -१००१ रिलायंस टाउनशिप
दुमस रोड, पिप्लोद सूरत
( गुजरात)-३९५००७
फोन -०९९९८२१८२६८
कार्य क्षेत्र - इंजिनियर ( केमिकल)
ऐसा मैंने सोचा न था
सावन की बूंदों में घुलते, इंद्र धनुष के रंग समेटे,
मेरे इस नीरस जीवन में तुम लेकर के यूं आओगे,
ऐसा मैने सोचा न था
सघन वृत्त पत्ती से छनकर, प्रथम उर्मी की आभा लेकर,
कृष्ण रात्रि के अन्धकार में, ज्योति प्रज्वलित कर जाओगे,
ऐसा मैने सोचा न था
अति सुदूर गंतव्य सुनिश्चित, लम्बी उस यात्रा मे स्थित,
एकाकी यूँ चलते-चलते एक पड़ाव पर, तुम भी एक दिन मिल जाओगे,
ऐसा मैने सोचा न था
पुष्प गंध से तृप्त समर से, मन की चंचल तीव्र गति से
मेरे इस जीवन समग्र में, आगे बढ़ते ही जाओगे,
ऐसा मैने सोचा न था
समय गति की भांति निरंतर, आगे बढ़ते साथ पथिक के
असामान पथरीले पथ पर, थककर दो पल रुक जाओगे
ऐसा मैने सोचा भी हो
ऐसा मैने सोचा भी हो
किंतु ओस की उन मोती से ,प्रथम स्पर्श उष्ण किरणों का
पाकर ही मेरे जीवन से, छोड़ मुझे तुम यूं जाओगे
ऐसा मैने सोचा न था
मधुर क्षणों की खामोशी में, कहे गए मुझसे जो अक्सर
उन शब्दों के उन भावों के, अर्थ बदल भी तुम जाओगे
ऐसा मैने सोचा न था
जजों की दृष्टि-
प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ६॰५, ६॰२५, ६॰७
औसत अंक- ६॰४८
स्थान- बारहवाँ
द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ४॰६, ६॰३
औसत अंक- ५॰४५
स्थान- बारहवाँ
तृतीय चरण के ज़ज़ की टिप्पणी- गीतिपरक रचनाएँ बहुत कोमलता की अपेक्षा करती हैं। औपचारिक शब्दों के बोझ से लद कर कोमलता प्रभावित हुई है। वर्तनी में त्रुटियाँ छूटी हैं।
अंक- ५॰१
स्थान- दसवाँ
पुरस्कार- वेबजाल सृजनगाथा की ओर से काव्य-पुस्तक 'विहंग'
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7 कविताप्रेमियों का कहना है :
मधुर क्षणों की खामोशी में, कहे गए मुझसे जो अक्सर
उन शब्दों के उन भावों के, अर्थ बदल भी तुम जाओगे
ऐसा मैने सोचा न था
कवि की भाषा-भाव पर अच्छी पकड प्रतीत होती है। बधाई।
*** राजीव रंजन प्रसाद
सुंदर रचना रची है आपने ...भाव बहुत साफ हैं इसके ..अच्छा लगा इसको पढ़ना ..बधाई!!!
सुन्दर लिखा है.
बहुत अच्छे भाव है कविता में
बधाई
कवि में अच्छी संभावनाएँ दृष्टिगोचर होती हैं।
मधुर क्षणों की खामोशी में, कहे गए मुझसे जो अक्सर
उन शब्दों के उन भावों के, अर्थ बदल भी तुम जाओगे
ऐसा मैने सोचा न था
सुन्दर।
that's cool poem buddy
इस गीत में बहुत संदर गीत की संभावनाएँ छुपी हुई हैं। हरिशंकर भाई, ज़रा इसे गाने का अभ्यास कीजिए, जहाँ छन्दभंगता है, बस उसे खत्म कर दीजिए, फ़िर देखिए इस गीत का ज़ादू।
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