कुछ दर्द मेरे अपने
कुछ अश्क पराये भी
कुछ खामोश पीये मैंने
कुछ खुल के बहाये भी
कुछ शोखी हसीनों की
कुछ अंदाज जमाने के
कुछ कौल मेरे टूटे
कुछ वादे निभाये भी
कुछ बातें कह डाली
कुछ किस्से छुपाये भी
कुछ काटी अंधेरों में
कुछ चिराग जलाये भी
कुछ दोस्त मिले मुझको,
कुछ सिर्फ़ सौदायी भी,
कुछ याद हैं अब तक
कुछ मैने भुलाये भी
कुछ राहों में छूटे
कुछ मंजिल तक आये भी
कुछ किस्मत के धनी निकले
कुछ वक्ती सताये भी
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14 कविताप्रेमियों का कहना है :
वाह वाह . हर पंक्ती तारीफ के काबील है.
बहुत सुंदर. वाह वाह.
अवनीश तिवारी
बढिया है मोहिन्दर भाई!बस मुझे कुछ चीजें खटकीं
..
1 कुछ सिर्फ़ सौदायी भी. (सिर्फ़ की जगह केवल शायद ज्यादा बेहतर होता)
2 कुछ वक्ती सताये भी ( वक़्त के सताए हो सकता था)
अविनाश जी,
आपने कुछ बाते सुझाई धन्यवाद यह आपाकी जागरूकता दिखाता है... दरअसल कल इसे मैने सस्वर एक जगह पढा (गाया) और गाते समय मुझे यही शब्द उचित लगे...आप गा कर देखिये .. अन्तर जान जायेंगे.. इसी कारण कुछ पंक्तियों में अतिरिक्त शब्द भी हैं
हाँ कई बार धुन के मीटर पर भी गीत निर्भर करता है.
मोहिन्दर जी!
क्या बात कही है आपने,मैं तो बस.....हर पंक्ति का गुलाम हो गया।
ये छोटी छोटी कम बोलने वाली लाईनें जो कह रही हैं शायद ही कोई
भारी भरकम लाईन वो बात कह पाये।
बधाई!
मोहिन्दर जी
दार्शनिक हो गए लगते हैं । जीवन का सम्पूर्ण दर्शन ही दे डाला । सचमुच जीवन सुःख और दुःख , हर्ष और विषाद दोनो का मिला जुला रूप है। सब कुछ सदा एक सा नहीं रहता ।
कुछ दोस्त मिले मुझको,
कुछ सिर्फ़ सौदायी भी,
कुछ याद हैं अब तक
कुछ मैने भुलाये भी
बस यही जीवन है । सतत् चलता रहता है । एक सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई ।
बहुत सुन्दर लिखा है आपने ..कल सुना नहीं जरुर यह सुनने में बहुत अच्छी लगी होगी .[:)]
कुछ दोस्त मिले मुझको,
कुछ सिर्फ़ सौदायी भी,
कुछ याद हैं अब तक
कुछ मैने भुलाये भी
बधाई सुन्दर रचना के लिए ..!!
मोहिन्दर जी!
कुछ याद हैं अब तक
कुछ मैने भुलाये भी
कुछ राहों में छूटे
कुछ मंजिल तक आये भी
सुंदर
मोहेंदर जी, बहुत ही शानदार है ये गीत, आपसे इसे सुनना भी उतना ही मनमोहक अनुभव रहा था, बस आखिरी ४ पंक्तियाँ उतनी प्रभावी नही लगी, इतनेसुंदर गीत का और बेहतर हो सकता था
कुछ कौल मेरे टूटे
कुछ वादे निभाये भी
कुछ काटी अंधेरों में
कुछ चिराग जलाये भी
कुछ याद हैं अब तक
कुछ मैने भुलाये भी
मोहिन्दर जी,
दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ लिखी हैं आपने। ये दर्द आपके नहीं सबके है। इसलिए हर कोई इसे महसूस कर सकता है।
मनीष जी ने सही हीं लिखा है कि ये छोटे शब्द भारी-भरकम शब्दों को मात देने में काफी हैं। आप पूरी तरह से सफल हुए हैं।
बधाई स्वीकारें।
मोहिन्दर जी!!
बहुत ही सुंदर लिखा है....साधारण शब्दों का प्रयोग करते हुए भी आपने बहुत ही अच्छी रचना की है......बधाई हो!!!
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कुछ खामोश पीये मैंने
कुछ खुल के बहाये भी
कुछ बातें कह डाली
कुछ किस्से छुपाये भी
कुछ काटी अंधेरों में
कुछ चिराग जलाये भी
कुछ दोस्त मिले मुझको,
कुछ सिर्फ़ सौदायी भी,
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अनुभव को बँटोरेंगे तो कविता अच्छी बनेगी। यह उसकी मिसाल है।
कुछ दोस्त मिले मुझको,
कुछ सिर्फ़ सौदायी भी,
कुछ याद हैं अब तक
कुछ मैने भुलाये भी
bahut khoob Mohinder ji
mujhe to harek pankti achchhi lagi
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