यौवन देहरी
सपन सलौने
छूटी गुडिया
और खिलौने
नील गगन
उंची उडाने
अपने सारे
लगें बेगाने
मन पहेली
उमंग नवेली
संग सहेली
नई अठखेली
चूडी कंगना
बिंदिया गहना
मन लुभाये
दर्पण भाये
डोली कहार
छूटा घरद्वार
बाबुल मैया
बहना भैया
भीगे नैना
अश्रू विदाई
बाबुल देहरी
लांघी आई
हाथों मैंहदी
पावों ललताई
अंगुठी बिछुए
पैंजन छनकाई
मैका सूना
ससुराल बधायी
बाबुल बिटको
हुई परायी.
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14 कविताप्रेमियों का कहना है :
भीगे नैना
अश्रू विदाई
बाबुल देहरी
लांघी आई
हाथों मैंहदी
पावों ललताई
अंगुठी बिछुए
पैंजन छनकाई
मोहिंदर जी बेहद खूबसूरत है यह रचना ...लगता है बेटी की विदाई निकट है :)
एक दुल्हन के मन के भवना को अच्छी तरह से बतया है .
सुन्दर है .
आवनीश तिवारी
बहुत छोटी-छोटी पंक्तियों में बडा हृदय स्पर्शी संदर्भ। उद्धरित करने पर पूरी कविता का उल्लेख करना पडेगा। प्रयोग की दृष्टि से भी रचना उत्कृष्ट है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
सीधे दिल तक उतर गयी आपकी कविता
सुन्दर विन्यास, सुन्दर लय, सुन्दर शैली,
अच्छा प्रयोग.
-राघव
मोहिन्दर जी
बहुत ही खूब लिखा है । बेटी की विदाई उसके लिए सुन्दर स्वप्न है किन्तु माता -पिता के दिल के टुकड़े हो जाते हैं ।
आपने बहुत ही भावभरी कविता लिखी है । मुझे इसमें एक पिता आँखों में आसूँ लिए दिखाई दे रहा है ।
भीगे नैना
अश्रू विदाई
बाबुल देहरी
लांघी आई
इस प्यारी सी कृति के लिए बहुत-बहुत बधाई ।
मोहिन्दर जी,
इस कविता की खासियत यह है कि इसकी हर एक पंक्ति उद्धृत किए जाने योग्य है। सच्चाई को दिल से बयां करती इस कविता के लिए बधाई स्वीकारें।
मोहिंदर भाई,
बहुत अच्छा लिखा है .सारी पंक्तियाँ कमाल हैं..बधाई
कविता बहुत सुन्दर व भावपूर्ण है । किन्तु सच मानिये आज के समय में यह विदाई केवल एक रिवाज पूरा करने जैसी रह गई है और होनी भी चाहिये । अब बेटी विदा नहीं होती है । किसी की बेटी और किसी का बेटा मिलकर अपना एक नया सुन्दर संसार बनाते हैं ।
घुघूती बासूती
मोहिन्दर जी
वाह !
बहुत ही सुन्दर गुंथी हुयी माला के मोतिओं की तरह ही है आपकी यह रचना. एक एक शब्द भावपूर्ण एव रचना में अद्भुत प्रयोग. पूरी कविता में गहरायी से छिपा है नारी जीवन का संर्पूण दर्शन भी.
इस अभिनव प्रयोग की सार्थक सफलता के लिये हार्दिक बधाई
देखने योग्य एक और चीज़, हर एक पंक्ति में केवल दो शब्द.
और कहीं भी दुरूहता नहीं आयी, गजब का शब्द-विन्यास
एक बार फिर बधाई
मैका सूना
ससुराल बधायी
बाबुल बिटको
हुई परायी.
--अति उत्तम. एक नयापन. बधाई.
सुंदर मालाओं की लड़ी सी भाव विभोर कर देने वाली रचना
मोहिन्दर जी !
वाह ....
हृदय स्पर्शी रचना ...
पूरी कविता बहुत सुन्दर ....
अच्छा प्रयोग....मोहिंदर जी
बधाई |
दिल को छू लेने वाली रचना ।
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