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Tuesday, October 23, 2007

बाबुल बिटको




यौवन देहरी
सपन सलौने
छूटी गुडिया
और खिलौने

नील गगन
उंची उडाने
अपने सारे
लगें बेगाने

मन पहेली
उमंग नवेली
संग सहेली
नई अठखेली

चूडी कंगना
बिंदिया गहना
मन लुभाये
दर्पण भाये

डोली कहार
छूटा घरद्वार
बाबुल मैया
बहना भैया

भीगे नैना
अश्रू विदाई
बाबुल देहरी
लांघी आई

हाथों मैंहदी
पावों ललताई
अंगुठी बिछुए
पैंजन छनकाई

मैका सूना
ससुराल बधायी
बाबुल बिटको
हुई परायी.

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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

रंजू भाटिया का कहना है कि -

भीगे नैना
अश्रू विदाई
बाबुल देहरी
लांघी आई

हाथों मैंहदी
पावों ललताई
अंगुठी बिछुए
पैंजन छनकाई

मोहिंदर जी बेहद खूबसूरत है यह रचना ...लगता है बेटी की विदाई निकट है :)

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

एक दुल्हन के मन के भवना को अच्छी तरह से बतया है .

सुन्दर है .


आवनीश तिवारी

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

बहुत छोटी-छोटी पंक्तियों में बडा हृदय स्पर्शी संदर्भ। उद्धरित करने पर पूरी कविता का उल्लेख करना पडेगा। प्रयोग की दृष्टि से भी रचना उत्कृष्ट है।

*** राजीव रंजन प्रसाद

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

सीधे दिल तक उतर गयी आपकी कविता
सुन्दर विन्यास, सुन्दर लय, सुन्दर शैली,

अच्छा प्रयोग.
-राघव

शोभा का कहना है कि -

मोहिन्दर जी
बहुत ही खूब लिखा है । बेटी की विदाई उसके लिए सुन्दर स्वप्न है किन्तु माता -पिता के दिल के टुकड़े हो जाते हैं ।
आपने बहुत ही भावभरी कविता लिखी है । मुझे इसमें एक पिता आँखों में आसूँ लिए दिखाई दे रहा है ।
भीगे नैना
अश्रू विदाई
बाबुल देहरी
लांघी आई
इस प्यारी सी कृति के लिए बहुत-बहुत बधाई ।

विश्व दीपक का कहना है कि -

मोहिन्दर जी,
इस कविता की खासियत यह है कि इसकी हर एक पंक्ति उद्धृत किए जाने योग्य है। सच्चाई को दिल से बयां करती इस कविता के लिए बधाई स्वीकारें।

Reetesh Gupta का कहना है कि -

मोहिंदर भाई,

बहुत अच्छा लिखा है .सारी पंक्तियाँ कमाल हैं..बधाई

ghughutibasuti का कहना है कि -

कविता बहुत सुन्दर व भावपूर्ण है । किन्तु सच मानिये आज के समय में यह विदाई केवल एक रिवाज पूरा करने जैसी रह गई है और होनी भी चाहिये । अब बेटी विदा नहीं होती है । किसी की बेटी और किसी का बेटा मिलकर अपना एक नया सुन्दर संसार बनाते हैं ।
घुघूती बासूती

Unknown का कहना है कि -

मोहिन्दर जी
वाह !
बहुत ही सुन्दर गुंथी हुयी माला के मोतिओं की तरह ही है आपकी यह रचना. एक एक शब्द भावपूर्ण एव रचना में अद्भुत प्रयोग. पूरी कविता में गहरायी से छिपा है नारी जीवन का संर्पूण दर्शन भी.
इस अभिनव प्रयोग की सार्थक सफलता के लिये हार्दिक बधाई

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

देखने योग्य एक और चीज़, हर एक पंक्ति में केवल दो शब्द.
और कहीं भी दुरूहता नहीं आयी, गजब का शब्द-विन्यास
एक बार फिर बधाई

Udan Tashtari का कहना है कि -

मैका सूना
ससुराल बधायी
बाबुल बिटको
हुई परायी.


--अति उत्तम. एक नयापन. बधाई.

Sajeev का कहना है कि -

सुंदर मालाओं की लड़ी सी भाव विभोर कर देने वाली रचना

गीता पंडित का कहना है कि -

मोहिन्दर जी !

वाह ....
हृदय स्पर्शी रचना ...

पूरी कविता बहुत सुन्दर ....

अच्छा प्रयोग....मोहिंदर जी

बधाई |

anuradha srivastav का कहना है कि -

दिल को छू लेने वाली रचना ।

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