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Wednesday, October 24, 2007

सीमा गुप्ता की एक कविता


तीसरे चरण में पहुँचने वाली अंतिम कविता यानी १५वीं कविता की बात करते हैं। इसकी रचयिता सीमा गुप्ता भी हिन्द-युग्म के लिए नई हैं। अभी इन्हें देवनागरी टंकण नहीं आता मगर इनका मानना है कि जल्द ही सीख लेंगी। हिन्द-युग्म में इनका स्वागत है।

कविता- क्या दूँ

कवयित्री- सीमा गुप्ता



मुझे फुरसत कहाँ तेरे खयाल से, जो तुझे मैं सब्रो-करार दूँ
मेरी ज़िन्दगी वीरान है, तुझे कौन सी शाम उधार दूँ
मेरा आशियाना सब उजड़ गया, तुमसे ज़ुदाई के गम में
मेरा रूप-रंग सब उड़ गया, तुझे कौन सा अब मैं सिंगार दूँ
तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा, तेरे हाल से मैं बेहाल हूँ
मेरा दामन भी तार-तार है, तुझे कैसे अब मैं सँवार दूँ
तेरा वास्ता भी न रह गया, जब मेरे कब्रो-ख्यालात से
खुद इस कदर हूँ मैं बेकरार, तुझे कैसे अब मैं करार दूँ
मेरी शाम है तेरी आरज़ू, मेरी सुबह तेरा ख्याल है
मुझे खुद का कोई होश नहीं, तुझे किस तरह से निखार दूँ
अँधेरे घर के दीवार-ओ-दर सजे हैं तेरे ही महफ़िल से
हर रात गुज़री है वहीं, तेरे साथ कैसे रात गुज़ार दूँ
मेरा रोज़-रोज़ का है वास्ता, तेरे उस चाँद की तहरीर से
करता रहा है तेरी बात वो, तुझे कैसे अपने दिल से उतार दूँ
मुझे फुरसत कहाँ तेरे खयाल से, जो तुझे मैं सब्रो-करार दूँ
मेरी ज़िन्दगी वीरान है, तुझे कौन सी शाम उधार दूँ

रिज़ल्ट-कार्ड
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प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ५, ७॰५, ६, ७॰५, ६॰९
औसत अंक- ६॰५८
स्थान- उन्नीसवाँ
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द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक-७, ७॰२, ६॰०५, ६॰५८ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰७०७५
स्थान- पंद्रहवाँ
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तृतीय चरण के ज़ज़ की टिप्पणी-साधारण गज़ल है और कवि का समय माँगती है। कोई भी शे'र विशेष प्रभावित नहीं करता। कवि इसे तराशे....
अंक- ४
स्थान- पंद्रहवाँ
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

सुन्दर तो है, लेकिन और भी निखारा जा सकता है.

और लिखे और भेजे.
बधाई.

अवनीश तिवरी

शोभा का कहना है कि -

सीमाजी
अच्छी गज़ल लिखी है । कुछ शेर ज़रूर विचारणीय हैं । बधाई स्वीकारें ।

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

सीमा जी,


अच्छी गज़ल है। अपेक्षा है कि आप जल्द ही युनिकोड से परिचित हो कर युग्म को अपनी बेहतरीन रचनाओं से परिचित करायेंगी।


*** राजीव रंजन प्रसाद

Smita का कहना है कि -

behad sadharan si gazal hai....ek purane geet..tujhe kya sunaauu a dilruba..tere saamne mera haal hai...se poori tarah prabhavit (?) lagti hai....do teen lines to bilkul hi milti julti hain....thora aur prayaas kare seema ji.....

गीता पंडित का कहना है कि -

सीमा जी !


गज़ल अच्छी है।

और लिखे
बधाई.

Mohinder56 का कहना है कि -

सीमा जी,

लिखते रहिये... सुन्दर लिखा है..सोना जितना तपेगा उतना निखार आता जायेगा... हम भी अभी भट्टी में ही हैं.

Amit Verma का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Anonymous का कहना है कि -

बेहद अच्छा लिखा हे, हमेशा की ही तरह
हम तौ आपके फेन हो चुके :)
Amit Verma

Anonymous का कहना है कि -

congrates keep it up, why u idnt told me same day

Anonymous का कहना है कि -

Hi Mam,

Keep it up. Good going. May god always shower his blessing on u so that u'll always remain a shining star.

With Love
Nimmi Sandhu
:-)

Unknown का कहना है कि -

Hi Ms Seema,

Congrats!A very good gazal. Hope you keeep writing.

Arun Kalra

vipin chauhan का कहना है कि -

बहुत खूबसूरत ख्याल हैं
लेकिन शायद जिस सांचे में डाल कर ग़ज़ल को पेश किया है वो थोडा सा कमजोर रहा है
आप ने ये ग़ज़ल एक दिन में पूरी की है
यदि थोडा सा समय और दिया जाता तो और भी सुन्दर हो जाती
बाकी आप को सलाह देने की गुस्ताखी नहीं कर रहा हूँ क्युकी आप को देख कर ही लिखना सीखा है
आप मुझ से बेहतर अपनी कमियों को पहचान सकते हैं
अगले अंक में आप से बहुत ज्यादा आशाएं हैं
पूरी जरूर कीजियेगा
शेष शुभ
विपिन चौहान "मन"

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