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Tuesday, October 30, 2007

दिनेश गहलोत की 'एक कोशिश'


सितम्बर माह की प्रतियोगिता के शीर्ष २० कवियों में एक और नया चेहरा सामने आया दिनेश गहलोत का। यह हमारी खुशनसीबी है कि बहुत से नये रचनाकार हमसे रूबरू हो रहे हैं। दिनेश गहलोत की कविता 'एक कोशिश' अठारहवें पायदान पर रही। आइए पढ़ते हैं-

कविता- एक कोशिश

कवयिता- दिनेश गहलोत



एक कोशिश......
मानव की मानव को
मानवता सिखाने के लिये
गिरते हुये मूल्यों को
सहेज कर रखने की...
तुम क्या जानो
दुख क्या होता है
जाकर उस मज़दूर से पूछो
जिसने तीन दिन से
रोटी तक नहीं देखी
या फिर देखकर भी
कर दी अनदेखी
लेकिन क्यों?
इसलिये कि वह रोटी
उस कुत्ते की थी
जो उसकी मालकिन
ने दी थी.....
नहीं वह रोटी एक
पशु को दूसरे पशु ने दी थी
फिर भी मज़दूर ने कोशिश की
भूखे पेट काम करने की
अपनी जीविका चलाने की
और वो निकल पड़ा
उस राह पर
जो सत्य और केवल
सत्य है.....
कि उसे सहनी है
भूख और गरीबी.....
फिर भी उसने कोशिश की
मानव बने रहने की....
सत्य पर चलने की
मेहनत करने की.....
हाँ, उसने की..........
एक कोशिश..बस एक कोशिश.....

रिज़ल्ट-कार्ड
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प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ६, ७, ६, ५॰५, ८
औसत अंक- ६॰५
स्थान- चौबीसवाँ
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द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक-६॰५, ८॰२, ५॰३, ६॰५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰६२५
स्थान- अठारहवाँ
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8 कविताप्रेमियों का कहना है :

शोभा का कहना है कि -

मानव की मानव को
मानवता सिखाने के लिये
गिरते हुये मूल्यों को
सहेज कर रखने की...
तुम क्या जानो

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

दिनेश गहलोत जी,

आपकी रचना बताती है कि आप के पास उत्कृष्ठ सोच है। कविता अच्छी है। आपसे अपेक्षा है लेखन निरंतर जारी रहे। बधाई...।

*** राजीव रंजन प्रसाद

शोभा का कहना है कि -

दिनेश जी
मानवीय मूल्यों से भरी सुन्दर कविता । आप जो कोशिश करना चाहते हैं वह आज की महती आवश्यकता है ।
एक कोशिश......
मानव की मानव को
मानवता सिखाने के लिये
गिरते हुये मूल्यों को
सहेज कर रखने की...
तुम क्या जानो
बधाई

परमजीत सिहँ बाली का कहना है कि -

बढिया रचना है।बधाई।

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

आपकी कोशिश भी सहरानीय है .

बधाई .

अवनीश तिवारी

Harihar Jha का कहना है कि -

कोशिश बहुत बढ़िया

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

गहलोत जी,
आपको लगातार लिखने की कोशिश ज़ारी रखनी चाहिए। आप अच्छा लिखते हैं।

आर्य मनु का कहना है कि -

भाई तू पहली बार में ही छा गया ।
हिन्दयुग्म के लिये मैं ३-४ मास पुराना हूँ, किन्तु अभी तक मेरी कोई रचना यहां स्थान न पा सकी, और तुमने पहली ही कोशिश में वह कर दिखाया, इस हेतु ढेरों बधाईयाँ ।
शाम को बात करता हूँ ।

आर्यमनु, उदयपुर ।

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