हमारा प्रयत्न रहा है कि हम हिन्दी और हिन्दी कविता को आवश्यक प्रोत्साहन दे पायँ। अब तक हम जुलाई माह में आईं २७ कविताओं में से १४ कविताओं को प्रकाशित कर चुके हैं। आज हम पंद्रहवीं कविता लेकर आये हैं जिसका शीर्षक है 'विजयी होगा अभिमन्यु' जिसके कविताकार हैं डा.रामजी गिरि। आइए पढ़ते हैं।
कविता- विजयी होगा अभिमन्यु
कवि- डॉ॰ रामजी गिरि, बरेली (उत्तर प्रदेश)
हर मोड़ पर उलझा
अभिमन्यु मरता है
रोज़
उम्र के साथ
बुज़ुर्ग हो गये हैं भीष्म
बातें आदर्श की निष्ठा की
पर साथ
दुर्योधन का
शकुनि का,
जिनकी गिरफ़्त में है
सारा धर्म, ये समाज।
मुट्ठी भर पांडव
बिखरे बन्द महलों में
करते कॄष्ण का इन्तज़ार
द्रौपदी की लाज़
सुदामा की इज़्जत
सरे आम लगती बोली
रोज चौराहों पर
कृष्ण नहीं हैं कहीं।
गद्दी पर आसीन
जरासन्ध
धृतराष्ट्र
मत करो अब
कृष्ण का इन्तजार।
कृष्ण के नाम पर
राम के नाम पर
हो रह व्यापार
मानव का, मानवता का।
पर
अभिमन्यु ही तोड़ सकता है
चक्रव्यहू
धर्म के ठेकेदारों का
इन्द्रजाल
धर्म के महाभारत का।
कृष्ण ने तब भी नहीं दिया था साथ
अभिमन्यु का
मत करो उसका इन्तजार।
चाहिए
एक नहीं
सात-सात अभिमन्यु
एक साथ एकजुट
टूटेगा चक्रव्यहू
चाहिए समग्र चेतना
नव नेतृत्व
करना है भरोसा
अपने सामर्थ्य पर
विजयी होगा अभिमन्यु
अब इस बार।
रिज़ल्ट-कार्ड
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प्रथम चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक- ७, ७॰५, ६॰५
औसत अंक- ७
स्थान- बारहवाँ
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द्वितीय चरण के ज़ज़मेंट में मिले अंक-
७, ९, ७, ६॰७५, १॰३३, ७ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰३४६६७
स्थान- पंद्रहवाँ
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
राम जी
बहुत ही अच्छा लिखा है । प्रतीक योजना भी सुन्दर है ।
राम जी, आपने अच्छी कविता लिखी है।
पर अभी मैं दुविधा में हूँ। ज़्यादा कविताओं के बारे में नहीं जानाता हूँ शायद इसीलिये।दर असल मैं लयबद्ध और अलयबद्ध कविताओं में अन्तर करना चाहता हूँ।
क्या "अभिमन्यु" भी अलयबद्ध की श्रेणी में आती है? बचपन में लयबद्ध कवितायें ही पढ़ीं थीं। अब मुझे अलयबद्ध कवितायें भी पढ़ने को मिल रही हैं...
किस प्रकार की कवितायें उचित रहती हैं। मेरी सोच अलयबद्ध से प्रभावित हो गई है और आपने मेरी "दहेज" वाली कविता यदि पढ़ी है तो आप समझ जायेंगे कि मैं ऐसा क्यों पूछ रहा हूँ?
मैं जानना चाहता हूँ कि
1. अलयबद्ध कवितायें कब शुरू हुई?
2. ये सही हैं या गलत?
3. अलयबद्ध कवितायें कब लिखनी चाहियें?
आभार,
तपन शर्मा
अच्छी रचना है।
चाहिए
एक नहीं
सात-सात अभिमन्यु
एक साथ एकजुट
टूटेगा चक्रव्यहू
चाहिए समग्र चेतना
नव नेतृत्व
करना है भरोसा
अपने सामर्थ्य पर
विजयी होगा अभिमन्यु
अब इस बार।
प्रभावशाली अंत।
*** राजीव रंजन प्रसाद
राम जी,
अच्छा लिखा है आपने।
टूटेगा चक्रव्यहू
चाहिए समग्र चेतना
नव नेतृत्व
करना है भरोसा
अपने सामर्थ्य पर
विजयी होगा अभिमन्यु
अब इस बार।
मैं हमेंशा ऐसे भाव का प्रशंसक रहा हुँ। बधाई।
राम जी
बहुत सुन्दर
यह भी एक संयोग ही है कि मैन॓ इसी मंच पर कई माह पूवॅ कविता इस तरह भेजी थी
अभिमन्यु
घिर गया है चक्र्रव्यूह में फिर
आज का अभिमन्यु
भ्ष्टाचार का दुर्योधन
सत्ता के रथ पर सवार
कर रहा है निरंतर
वार पर वार
राजनीति के द्रोणाचार्य ने
रचा है मानव मूल्यों से दूर
अनैतिकता का व्यूह
सत्ता की भूमि जायेगी
शायद इस बार
इनके साथ साथ
मृत्यु महानद के पार
अब किसी भोज का
'शोणित पत्र' करता नहीं
विचलित इन्हें
वंचना के कृपाचार्य
कीर्ति कवलित कर्ण
मानव मर्यादाओं से दूर
राष्ट्र अभिमन्यु पर
नित नवीन वार
देशप्रेम नैतिकता
निष्ठा के अर्जुन
घिर गये हैं
समरांगण से दूर
क्षत विक्षत घायल
आज फिर अभिमन्यु
परिचित अपरिचित
एक द्रष्टि
उसके तुणीर में
एक नयी स्रष्टि
शिष्य हूँ कृष्ण का
रणछोड घरछोड क़ा
होगी नहीं पुनरावृत्ति
उस विगत इतिहास की
अतः हे तात
आधुनिक राष्ट्र के दुयेधिन
और सप्त महारथी सुनो
जन्म ले चुका है
एक नया अभिमन्यु
इस राष्ट्र के गर्भ से
श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'
डा.गिरि बहुत ही सुन्दर लिखा है ।
टूटेगा चक्रव्यहू
चाहिए समग्र चेतना
नव नेतृत्व
करना है भरोसा
अपने सामर्थ्य पर
विजयी होगा अभिमन्यु
अब इस बार।
गिरि जी,
आज का अभिमन्यु निश्चित रूप से अगर आप वाला होगा तो विजयी होगा। सामाजिक संदेश देने के मामले में आपकी कविता तो नं॰ १ है लेकिन पाठकों को जोड़ने में पूरी तरह सक्षम नहीं है। अंत पढ़ने के नाम पर तो जुड़ा जा सकता है मगर बिना रस की अपेक्षा से।
आप को फ़िर से प्रयास करना चाहिए। शुभकामनाएँ।
तपन जी,
हिन्द-युग्म टीम इस ओर विचार कर रही है कि गीत, ग़ज़ल, लयबद्ध/अलयबद्ध कविता, क्षणिका आदि पर ट्यूटोरियल दिया जा सके। जैसे ही कोई गुणीजन मिलेगा, हम यह कार्य शुरू कर देंगे।
श्रीकांत जी,
आपकी कविता में शिल्पगत खूबियाँ है। निश्चित रूप से आप दोनों की ही कविताएँ अच्छी हैं। सबसे बड़ी बात आप दोनों ने पौराणिक चरित्रों को आज के दौर में उतारा है। बधाई।
RAM JI KO PEHALE BHI PADHA HAI....BHUT ACHA AUR LIKHA HAI
A very good effort...
सुस्पस्ट बिम्बों के साथ एक सार्थक प्रस्तुति।
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