जनवरी २००७ में हिन्द-युग्म का देवनागरी-प्रयोग के प्रोत्साहन का कार्य इस संकल्प के साथ आरंभ हुआ था कि हम हिन्दी की हर विधा में यह प्रयास करेंगे। अभी तक काव्य विधा में ही हाथ-पाँव मारते आये हैं। अब हम गद्य में उतर रहे हैं, और कहानी को माध्यम बनाकर 'कहानी-कलश' नाम से सामूहिक प्रयास करने जा रहे हैं।
कहानी को हमने इसलिए चुना है क्योंकि यह बहुत अधिक लिखी और पढ़ी जाने वाली विधा है। इसके अतिरिक्त इंटरनेट पर हिन्दी में समकालीन कहानियों का वह संकलन उपलब्ध नहीं है जिसकी ज़रूरत पाठकों को है।
हमारी कोशिश रहेगी कि हम प्रतिदिन कम से कम एक नई और ताज़ी कहानी पाठकों को दें। फ़िलहाल हम एक महीने में ६ कहानियों से शुरू कर रहे हैं। एक कहानीकार को महीने का एक दिन दिया जा रहा है।
कहानी-कलश को यहाँ देखें।
इसकी सारी बागडोर गौरव सोलंकी के हाथों में है। हम आशा करते हैं कि वो कहानी-कलश को भी पाठकों में इतना ही लोकप्रिय बनायेंगे।
इसकी आरंभिक पोस्ट यहाँ पढ़िए।
आज हम कहानीकार तुषार जोशी की कहानी 'कीचड़' से शुरूआत कर रहे हैं।
आप में से कोई यदि कहानियाँ लिखता हो, लगता हो कि आपकी कहानियाँ जनचेतना का कारण बन सकती हैं, तो कृपया सहयोग दें। सदस्यता के लिए नियमों व शर्तों को यहाँ देख लें।
पिछले महीने हिन्द-युग्म बाल-साहित्य में भी कदम बढ़ा चुका है और बाल-उद्यान पर राजीव रंजन प्रसाद के मार्गदर्शन में कार्य शुरू किया है।
पाठकों से हमें जो प्यार और सहयोग मिल रहा है, हिन्द-युग्म कृतज्ञ है।
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4 कविताप्रेमियों का कहना है :
कहानी विधा एक बहुत ही प्राचीन एवं लोकप्रिय विधा है । हिन्द युग्म ने इस दिशा में
कदम बढ़ाया । अति सुन्दर । मेरा अनुरोध है कि नवीन कथाओं के साथ कुछ पुरानी
पुरूस्कृत कहानियों को भी प्रकाशित करें । शुभकामनाओं सहित
साधुवाद।उत्तरोत्तर साहित्य की समृद्धि के लिए आप्का प्रयास प्रसन्शनीय है।साथ ही भविष्य मे अन्य विधाओं पर भी ध्यान देंगे ऐसी अपेक्षा है।
शोभा जी का विचार उत्तम है। कुछ पुरस्कृत लघुकथायें मास के किसी विषेश दिन "साभार" प्रकाशित की जा सकती है । चूंकि कहानी की उपलब्धता कविता की तरह निरंतर होना एक कठिन कार्य है..इस ब्लोग पर पाठको का आकर्षण बनाये रखने के लिये उपरोक्त प्रकार के अन्य सुझावों पर भी कार्य किया जा सकता है।
***राजीव रंजन प्रसाद
अच्छा प्रयास है।
बधाई
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