१४ जुलाई २००७ को दिल्ली में आयोजित हिन्दी-ब्लॉग मीट अब तक की सबसे बड़ी और सफल मीट रही। कुल ३० लोग शरीक़ हुए। यद्यपि ममता॰टीवी चाहकर भी नहीं आ सकीं क्योंकि उनके पास किसी भी ब्लॉगर का मोबाइल नं॰ और आयोजन-स्थल की सही जानकारी नहीं थी। होटेल सरवन के बाहर अपनी गाड़ी में वो दोपहर १२ बजे तक इंतज़ार करती रहीं। जीतू जी व्यक्तिगत कारणों से दिल्ली नहीं पहुँच पाये।
स्थान निर्धारित हुआ था जनपथ स्थित 'कैफ़े कॉफ़ी डे' और समय १०:३० सुबह। समय निर्धारण के पीछे अमित गुप्ता थे। १०:३० बजे या उससे भी पहले से सजीव सारथी और अफ़लातून वहाँ मौज़ूद थे। १० मिनट विलम्ब से मैं भी वहाँ पहुँच गया। ११ बजे तक अजय यादव और अरविन्द चतुर्वेदी पहुँच चुके थे। आयोजक स्वयम् १२:०५ तक पहुँचे। वैसे अफ़लातून ने पहले ही स्पष्ट कर दिया कि यह किसी की तरफ़ से आयोजित नहीं है। एक गेदरिंग है। इसलिए कोई आये या न आये, यह चिंता की बात नहीं है। स्वेच्छा है।
११:१५ तक रंजना भाटिया और मोहिन्दर कुमार पधार चुके थे।
[नीरज शर्मा, सुनिता चौटिया एवं रंजना भाटिया]
रचना जी ने मोटा-मोटी यह बात रखी कि उनके अनुसार सारथी हिन्दी का अधिकतम सूचना देने वाला ब्लॉग है। यदि आप वहाँ छप गये तो हिट हो जायेंगे। तुरंत ही इस पर सभी लोगों ने अपनी मतभिन्नता व्यक्त कर दी।
इसी बीच मैथिली शरण गुप्ता, अरुण अरोड़ा, काकेश और घुघुती बासूती का आना हुआ। भीड़ बढ़ने लगी थी।
[मैथिलि, शैलेश एवं संजय बैंगाणी]
सबकी आशंका थी कि इस चर्चा के लिए यह जगह उपयुक्त नहीं है।
[अविनाश एवं अफ़लातून]
अमिताभ त्रिपाठी जी ने पुत्रीरत्न की प्राप्ति पर सबका मुँह मीठा किया तो नीरज शर्मा जी ने नाथद्वारा से लाया हुआ भगवान का प्रसाद बाँटा।
[रचना सिंह, सजीव सारथी, अरूण आरोड़ा, राजेश रोशन, मैथिली, शैलेश भारतवासी, संजय बेंगाणी, काकेश, अमित गुप्ता एवं रंजना भाटिया]
सभी ने अपने-अपने तरीके से अपना परिचय दिया। यह भी खुलासा हुआ कि ब्लॉगवाणी के पीछे सारी की सारी मेहनत मैथिली जी के सुपुत्र सिरिल गुप्ता की है।
धीरे-धीरे बातचीत शुरू होने लगी थी। पहला मुद्दा उठाया घुघुती बासूती ने परिचर्चा के संदर्भ में। उनका सवाल अमित गुप्ता से था कि वो किसी भी थ्रेड को कितने समय अंतराल के बाद बंद करते हैं या कैसे निर्णय लिया जाता है कि अब इस थ्रेड को बंद कर दिया जाना चाहिए? अमित ने कहा कि कोई हार्ड एण्ड फ़ास्ट रूल नहीं है।
[रचना सिंह, सजीव सारथी, राजेश रोशन, सृजनशिल्पी, मैथिली, शैलेश भारतवासी, संजय बेंगाणी, अमिताभ त्रिपाठी, अमित गुप्ता (दिख नहीं रहे), रंजना भाटिया एवं सुनीता चोटिया]
लोकमंच-प्रमुख अमिताभ त्रिपाठी ने बताया कि उन्हें हिन्दी और अंग्रेज़ी चिट्ठों के स्वरूप में भारी अंतर दिखलाई पड़ता है। अंग्रेज़ी चिट्ठों में इतनी विविधताएँ हैं कि गूगल का न्यूज़ एलर्ट भी किसी ताज़ा ख़बर से जुड़ी १० प्रविष्टियों में २ से ३ ब्लॉग का फ़ीड दिखाता है। हिन्दी-ब्लॉगिंग को अपना स्वरूप बदलना होगा। वैयक्तिक से डिमांड पर उतरना होगा। मसिजीवी ने जोड़ा 'साधुवाद से बाहर आना होगा'।
[अरूण अरोड़ा, आलोक, अमित गुप्ता एवं नीरज दीवान]
अमूमन सभी लोग उनकी इस बात से संतुष्ट दिखे लेकिन भूपेन इससे भिन्न मत रखते थे। उन्होंने कहा कि इस मार्केट से भी अलग ब्लॉगिंग के कुछ वेल्यू, कुछ एथिक्स होने चाहिए। मार्केट की संकल्पना के खिलाफ भी लोग हैं। हर जगह इकोनामिक की संकल्पना नहीं रखी जा सकती।
[विजेंद्र विज, संगीता मनराल, जगदीश भाटिया एवं आलोक]
मगर इन सबके बीच कुछ गड़बड़ भी हो रही थी। मैथिली जी ने पुराणिक जी के 'दुकान' शब्द को गलत तरीके से ले लिया था, वो भावुक हो गये- "मैं पूरी ज़िंदगी हिन्दी की सेवा में लगा रहा। भारत के ७५% कम्प्यूटर में मेरे द्वारा बनाये गये साफ़्टवेयर चल रहे हैं। मैंने निःशुल्क या कम दाम पर लोगों को दे रखा है, सरकारी संकायों को दे रखा है तो क्या मैंने दुकान लगा रखी है?"
मगर उनका पुत्र सिरिल ने सबको और अपने पिता जी को समझाया कि भावुक होने से कुछ नहीं होता। जिसका प्रोडक्ट अच्छा होगा वो बिकेगा। बस इतनी सी बात है जो आलोक जी कहना चाह रहे हैं। आपका ब्लॉग, आपका काम आपकी अपनी दुकान है, क्या बेचना है, किससे बेचना यह आपके ऊपर है।
[नीरज दीवान एवं आलोचक]
मसिजीवी जी ने कहा कि 'ब्लॉग पर जो हम लिख रहे हैं वो हमारा रियल एस्टेट है, इसका विस्तार हम जितना करेंगे हमारी सम्पति उतनी बढ़ेगी।
भोजन के पैकेट आ चुके थे। सब लोग खाने-पीने में जुट गये। और उपवर्गों में बातें भी होने लगीं।
भोजन के बीच ही चित्रकार विजेन्द्र विज और उनकी धर्मिणी संगीता मनराल का आना हुआ। उन दोनों ने भी सभी से परिचय किया।
इसके बाद तीन मुख्य बिंदुओं पर बात हुई-
हिन्दी ब्लॉग की रीडरशीप कैसे बढ़ाई जाय
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की लगाम कहाँ पर खींचे
हिन्दी ब्लॉगों को कंटेंट और विविधता के दृष्टि से कैसे समृद्ध करें
[रंजना, सुनीता, अरविन्द चतुर्वेदी, अजय यादव एवं नीरज]
संजय बेंगाणी- "हममें से कोई कहीं भी, किसी भी व्यक्ति से मिले, हिन्दी-ब्लॉगिंग के बारे में बताकर उसे इस दुनिया के ग्लैमर से लुभाये"
अमित जी ने कहा कि अपने उन मित्रों से जो कि अंग्रेज़ी में आपसे चैट करते हैं, आप देवनागरी में चैट कीजिए, उसे उत्सुकता होगी, लिंक पकड़ा दीजिए। कुछ दिनों में वो हिन्दी में लिखने लगेगा।
घुघुती बासूती-"अपने या अपने मित्रों के अंग्रेज़ी ब्लॉग पर हिन्दी के ब्लॉग का लिंक या विज्ञापन दीजिए"
राजेश रोशन- " डिजिटल प्वॉन्ट जैसे बड़े फ़ोरम पर अपने हिन्दी चिट्ठों का लिंक दीजिए। हिन्दी ब्लॉगिंग के बारे में जागरूक कीजिए।'
[सृजनशिल्पी, अविनाश, संजय, अफ़लातून एवं अरविन्द]
[शैलेश, सुजाता, नीलिमा, उनका पुत्र, मैथिली एवं आलोक]
ब्लॉगिंग पर अवेयरनेस फैलाने पर भी चर्चा हुई। जिसमें मैथिली और अरूण अरोड़ा ने यह बताया कि वो लोग इस सत्र से मसिजीवी और आलोक पुराणिक के साथ मिलकर स्कूलों-कॉलेज़ों में ब्लॉगिंग पर सेमिनार और वर्कशॉप करने जा रहे हैं।
अफ़लातून जी ने कहा कि हम सभी लोग बीबीसी हिन्दी वालों से यह निवेदन करें कि जिस प्रकार बीबीसी की अंग्रेज़ी साइट पर वेबवाइज़ नाम से इंटरनेट, यूआरएल, वेबहोस्टिंग आदि पर सरल ट्यूटोरियल उपलब्ध है, उसी प्रकार का सरल हिन्दी ट्यूटोरियल भी लगायें जिससे नये लेखकों-पाठकों को लाभ हो।
मैंने छोटे-छोटे शहरों और कस्बों में भी नॉन-ब्लॉगरों से मिलकर ब्लॉगिंग पर अवेयरनेस फैलाने की बात की और अपनी फ़ैज़ाबाद, प्रतापगढ़ और इलाहाबाद मीट का उल्लेख किया।
पहले खाने-पीने का खर्च सभी को अपना-अपना वहन करना था। मगर मैंथिली जी ने कहा कि उन्हें दुःख पहुँचेगा। सिरिल गुप्ता ने निवेदन किया कि इसे सभी लोग मेरी तरफ़ से ब्लॉगवाणी के लॉचिंग की पार्टी समझ लें।
[जगदीश भाटिया एवं नीरज दीवान]
अरविंद चतुर्वेदी और राजेश रोशन ने इस बात का उल्लेख किया कि हिन्दी के पाठकों की संख्या कम नहीं है। बस ब्लॉग के बारे में सूचना का आभाव है। हमें बाज़ार की माँग समझनी होगी।
जगदीश भाटिया ने कहा कि आप चिट्ठे पर कुछ भी २० मिनट के बाद मिलने वाली अटेंशन के लिए मत लिखिए बल्कि २० साल बाद मिलन वाली अटेंशन के लिए लिखिए।
अविनाश ने हिन्दी का समाजशास्त्र समझाकर यह कहा कि जो चल रहा है उसे चलने दो उसकी अपनी गति से।
विजेन्द्र विज जगदीश जी से पूर्णतया सहमत दिखे।
बात अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भी उठी। संजय जी ने कहा कि अब बहुत हो चुका। हमलोगों को बाज़ार वाला और जोगलिखी, नारद और ब्लॉगवाणी से ऊपर उठकर आना चाहिए। मैं चाहता हूँ कि हिन्दी तरक्की करे। भाईचारे का संदेश लेकर अहमदाबाद से यहाँ तक आया हूँ। मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है।
[सृजन शिल्पी]
मैं इस रिपोर्ट में शायद १०% बातें भी नहीं कवर कर पाया हूँ। सभी की रिपोर्ट से पूरी बात निकल पायेगी। सभी बधुओं से अनुरोध है कि इससे संबंधित जितने भी पोस्टें आती हैं। उन्हें नीचे स्थाई कड़ियों में जोड़ दें।
[नोट - चित्र अमित गुप्ता, सृजनशिल्पी और मोहिन्दर कुमार के सौजन्य से लगाये गये हैं एवं स्पष्ट रूप से देखने के लिये कृपया इस प्रविष्टी को इंटरनेट एक्सपलोरर में ही देखें]
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41 कविताप्रेमियों का कहना है :
विस्तृत रिपोर्ट के लिए धन्यवाद। मेरे जैसे जो लोग नहीं जा पाए, उन्हें बैठक के बारे में सब कुछ पता चल गया। दूसरे बंधुओं की रिपोर्ट का भी इंतज़ार रहेगा
शैलेश जी बहुत ही सुंदर और स्पष्ट तरीक़े से आपने हर बात लिख दी है .इस को पढ़ के जो वहाँ नही थे वो भी साथ ही होने का अनुभव करेंगे ....बहुत सी बाते विचार करने यौग्य थी कल की गेदरिंग में!1
सब से मिल कर बहुत ही अच्छा लगा ...मैथिली जी का बहुत बहुत शुक्रिया उनकी मेहमान नवाज़ी के तो हम कायल हो गये हैं ...:)
सच में बड़ी अच्छा रिपोर्ट लिखी है आपने । चित्रो का इन्तेजार रहेगा.
जी अच्छा हमे तो पता ही नही चल मैथीली जी के यहा ब्लोगवाणी की दावत खाते खाते हम लोगो ने रिकार्ड तोड दिये.मान गये जी कि दिल्ली के लोग चिरकुट दिखते जरुर है पर है नही..:)
आंखो-देखा हाल प्रसारित करने के लिए शुक्रिया.
शुक्रिया आपकी इस विस्तृत रपट केलिए मैं अभी तक रपट लिखने का मन ही नहीं बना पाया हूँ। आपके प्रतिवेदन के आ जाने से और प्रतीक्षा करने का अवसर मिल पाया, शुक्रिया।
वाह शैलेष भाई, मजा आ गया आपकी विस्तृत रिपोर्ट पढ़कर। हमारे न आ पाने का गम कुछ बढ़ भी गया कि काश इतनी रुचिकर बातचीत में हम वहाँ शामिल होते। साथ ही आपसे सब ब्यौरा पाकर थोड़ी राहत भी मिली।
मगर इन सबके बीच कुछ गड़बड़ भी हो रही थी। मैथिली जी ने पुराणिक जी के 'दुकान' शब्द को गलत तरीके से ले लिया था, वो भावुक हो गये- "मैं पूरी ज़िंदगी हिन्दी की सेवा में लगा रहा। भारत के ७५% कम्प्यूटर में मेरे द्वारा बनाये गये साफ़्टवेयर चल रहे हैं। मैंने निःशुल्क या कम दाम पर लोगों को दे रखा है, सरकारी संकायों को दे रखा है तो क्या मैंने दुकान लगा रखी है?"
मैथिली जी, आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि आपकी सेवाभावना पर किसी को शक है। औरों का तो पता नहीं लेकिन हमारे शहर में हर जगह डीटीपी वर्क के लिए आपके कृतिदेव फॉन्ट का ही उपयोग होता है।
फोटो तो आपने दाल दिया लेकिन इसका नामकरण करने की जरुरत महसूस हो रही है साथ ही अन्य चित्रो को भी डाल दे। या फिर मुझे मेल कर दे। मैं फोटो की एक पोस्ट अलग से बना दूंगा
शैलेश बहुत अच्छा लगा पढ़कर... तुम्हारी रिपोर्ट तो आ गई मगर हम ये सोच रहे है कि आखिर मैथिली जी का शुक्रिया अदा कैसे किया जाये...बस यही दुआ करते है वो दिन-प्रतिदिन प्रगती करें...
सुनीता(शानू)
अरे मैं तो ममता जी की चिट्ठी पढ़ कर समझा कि बैठक नहीं हुई। यह चिट्ठी पढ़ कर अच्छा लगा। हिन्दी बढ़गी ऐसा विश्वास है।
लिखा तो सही है, अभी तक की विस्तृत रिपोर्ट यही है कदाचित्, तो इसलिए मसिजीवी जी के विरोध के बावजूद, साधूवाद!! ;)
और जिन लोगों के द्वारा ली गई तस्वीरें लगाई हैं कम से कम "साभार" उनका नाम/ब्लॉग-पता वगैरह भी लिख दिया करो, इंटरनेटिया शिष्टाचार होता है। और यदि आप मेरी द्वारा ली गई तस्वीरों में ऐसा नहीं करते हैं तो आप मेरी तस्वीरों के लाइसेन्स का उल्लंघन कर रहे हैं जिनको प्रयोग करने की एक शर्त यह भी है कि आप जहाँ भी प्रयोग करें वहाँ मेरा नाम/वेबसाइट बता जायज़ क्रेडिट दें। साथ ही आपसे निवेदन है कि फोटो को कॉपी कर अपने यहाँ अपलोड करने से बेहतर है कि फ्लिकर से ही सीधा हॉटलिन्क कर लो, फ्लिकर करने देता है, इसी बात के उसको पैसे देता हूँ। इसके क्या लाभ हैं वो भी जल्दी ही बताउँगा।
अमित जी,
मैं उस समय पोस्ट अपडेट ही कर रहा था, इसलिए एक-एक करके फ़ोटो लगा रहा ता। मैंने अब चित्रों के मालिकों को धन्यवाद लिख दिया है। मैं आपके चित्र फ़्लिकर से ही लेना चाह रहा था, लेकिन तकनीकी अज्ञानमता के कारण नहीं इस्तेमाल कर पा रहा था, इसलिए मैंने उसे फ़ोटोंबकेट में डाल दिया। क्षमाप्रार्थी हूँ।
Bahut achha coverage,
Fir se maafi chahoonga ki main vyaktigat vyastatao ke chalte, Kanpur mein hi rookna pada aur main is meet ka hissa nahi ban saka.
is blogger meet ke liye sabhi ko bahut bahut dhanyavad.
मैंने अब चित्रों के मालिकों को धन्यवाद लिख दिया है। मैं आपके चित्र फ़्लिकर से ही लेना चाह रहा था, लेकिन तकनीकी अज्ञानमता के कारण नहीं इस्तेमाल कर पा रहा था, इसलिए मैंने उसे फ़ोटोंबकेट में डाल दिया। क्षमाप्रार्थी हूँ।
ठीक है, कोई बात नहीं, मैंने सोचा कि याद दिला दूँ, कहीं भूल न जाओ!! रही बात अज्ञानता की तो उसे जब तक (किसी से पूछ के या कहीं पढ़ के)दूर करने की कोशिश नहीं करोगे वो कभी नहीं जाएगी। :)
वैसे ऊपर से आठवें फोटो के शीर्षक में नीरज दादा के नाम को गलत(नीरजह) लिख गए हो, ठीक कर लो।
विस्तृत और सचित्र ब्यौरे के लिए धन्यवाद! कहने की ज़रूरत नहीं कि इस तरह की महाबैठकों से नेट पर हिंदी को उसकी जगह दिलाने के प्रयासों को बल मिलता है. और इतनी सारी तस्वीरें डाल कर आपने कुछ ही घंटे पहले बने फ़ुरसतिया के रिकॉर्ड को चकनाचूर कर दिया!
बहुत बढ़िया विवरण !
शुक्रिया इस विस्तृत जानकारी को यहां उपलब्ध करवाने के लिए!
बहुत अच्छा विवरण लिखा है आपने शैलेश जी.. शायद ही कोई और ऐसा लिख पाये.. मेरे पास करीब २० फोटो हैँ इस मीट के लेकिन कुछ मिलते जुलते है और कुछ को आप्पति थी कि उनका फोटो ना छापा जाये इस लिये नही दिये गये. फोटोग्राफर बनने का सबसे बड मुल्य यह चुकाना पडता है कि आप का अपना कोई फोटो नही होता... अगर किसी मित्र के पास इस मीट के दोरान खीँचा गया मेरा चित्र हो त उसे अपलोड कर देँ या मुझे ईमेल कर देँ ताकि मुझे लगे कि मैँ भी वहाँ था :)
धन्यवाद शैलेशजी,
ब्लॉगर भेंटवार्ता को आपने बहुत ही खूबसूरती से कवर किया है, मैं इस भेंटवर्ता में उपस्थित न हो सका, इसका बेहद दुख है।
निश्चय ही इस प्रकार की भेंटवार्ता से आपसी स्नेह बढ़ता है एवं अंतरजाल पर हिन्दी की समृद्धि के लिये भी सामूहिक वार्ता से अच्छे नतिजे आते है।
जानकारी देने के लिये धन्यवाद!
अब तक की सर्व श्रेष्ठ स्मृति आधारित पोंस्ट, पढ़कर अच्छा लगा।
ऐसा लगा ही नही कि हम नही शामिल थें।
स्वयं उपस्थित ना था, ऐसा बिल्कुल भी महसूस नही हुआ ।
जिन महाशयों के सिर्फ नाम पढा करतें है, उन्हे देखकर अच्छा लगा ।
चर्चा सार्थक रही, इससे बेहतर और क्या हो सकता है ।
आप सभी का साधुवाद, जो हिन्दी को अनन्त ऊँचाईयों तक ले जाना चाहते है ।
आर्यमनु
बहुत ही अच्छे तरीके से लिखी विस्तृत रिपोर्ट।
पढ़ कर अच्छा लगा ।
वाह भाई वाह!!!
अनायास यही मुंह से निकला रिपोर्ट पढ्कर.
विस्तृत, वास्तविक,तथ्यपूर्ण जानकारी के साथ साथ चित्र तो सोने पर सुहागा.
जो लोग पहुंच नही पाये ,वो भी इस रिपोर्ट् को पढ्कर महसूस करेंगे कि वो भी वहां थे.,
भारतीयम्
मीटिंग की जानकारी तॊ बहुत ही रॊमाचंक ढंग से प्रस्तुत की गई है। सभा में हुई चर्चाऒं के विषय पंसद आए। वैसे मेरा मानना है कि नए ब्लॉगरॊं कॊ लाने के साथ साथ इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाए कि नए ब्लागर आ रहे हैं उन्हे भरपूर समर्थन मिले एवं उनकी रचनाऒं पर टिप्पणियां करने से ना कतराया जाए।
वैसे आदरणीय शैलेष जी, आज की कविता कहां है?
बेहद विस्तृत रपट। हिन्दी चिट्ठाजगत कि ये बढ़ती सामाजिकता स्वस्थ चिट्ठाकारी को भी जन्म देगी मुझे पूरा यकीन है. जब आप व्यक्तिगत रू से भी मेल मिलाप रखते हैं तो न केवल सामने वाले का लेखन अधिक समझ आने लगता है बल्कि हमें अपने लेखन में भी संयम बरतना आ जाता है। ये गलत कयास नहीं कि आनेवाले दिनों में नारद वारद की बहसें बेमानी हो जायेंगी।
Thanks for the update, and also thanks to those who enabled it to happen.
I think for future such meetings, one person should just jot down the points being raised, and related short discussions, without any censorship.
And to further maintain contacts and communication, we should have a Google or yahoo moderated group just to promote hindi blogging and its techniques, and it will ensure broader participation. Physical meeting is costly and difficult to bring everyone together.
भाई, साफ़ दिख रहा है कि कितनी मेहनत की गई है, मीटिंग के नोट्स लिए गए और उन्हें तरतीब से लिखा गया. मेरा आभार स्वीकार करें, सभी लोगों से मुलाक़ात कराने के लिए. बनारस से अफ़लातून और अहमदाबाद से संजय जी का आना दिखाता है कि लोग ब्लॉगिंग को लेकर कितने पैशनेट हैं. तीस की संख्या बहुत होती है, ये तीस सक्रिय लोग हैं जो तीस लाख के बराबर हैं. जितनी विविधता से लिखने वाले लोगों का समूह था, आलोक पुराणिक, अविनाश से लेकर रंजना जी, शानू जी और संजय बेंगाणी जी तक...क्या बात है. बहुत मज़ा आया होगा आप सब लोगों को. मैथिली जी के आभारी आप लोग ही नहीं, मैं भी हूँ. आनंद आया, पूरा पढ़ गया, लंबा था, लेकिन लगा नहीं.
बहुत अच्छी रपट। इतने विस्तार से लिखा और फोटो लगाये कि लगा हम स्वयं वहां शामिल थे।
मिलने-जुलने से ब्लागरों की आपसी आभासी गलतफ़हमियां दूर होंगी। यह मीटिंग और इस तरह की रिपोर्टिंग इसमें सहयोगी है। बधाई!
बहुत ही विस्तार से अपने लिखा है और पूरी जानकारी देने का और फोटो का शुक्रिया। पर एक बात हमे समझ नही आयी की जो लोग फोटो मे नही है उनका नाम भी है जैसे ऊपर एक फोटो मे जिसमे रंजना जी और सुनीता जी है उसमे तो और भी तीन नाम है पर वो लोग अदृश्य है.और एक फोटो मे नीरज दीवान और आलोचक लिखा है उसमे कौन नीरज है और कौन आलोचक !!!
अच्छा विवरण. बहुत सुन्दर.
मैं थोड़ी दूर से आया था, आज ही सब पढ़ पा रहा हूँ, अपने हिस्से का लिखना बाकि है, उसे भी पूरा करना है :)
शैलेश जी अच्छी रपट तैयार की है..देर से पहुचने क जो मलाल था दूर हो गया..सभी के विचारो से रूबरू हो गये.
धन्यवाद..
हिंदयुग्म के कार्य सरहनीय हैं। भविष्य उज्जवल है।
प्रयाससार्थक एवं प्रशंसनीय हैं। मेरी शुभकामनाएं..
कवि कुलवंत
एक बेहद खूबसूरत रपट.. चित्रों से सजी सजायी। शैलेश जी मेरी बधाई स्वीकारें आप। आलोक पुराणिक व्यंग्य में बोल रहे होंगे..वरना हम लोग तराजू-बट्टा ढोने वालों में से थोड़े ही हैं।
एकप्क्षीय सकारत्मक कवरेज अच्छा रहा ! पृष्ठ सज्जा एव फोटो संकलन भी अच्छा है वैसे सामुहिक फोटो ज्यादा उपयोगी होता फोटो ही दर्शाने के लिये पर्यप्त है कि ना तो सभा स्थल एक रहा ना ही उसमें सम्मिलित होने वाले समय के पाबन्द रहे! बेहतर यही होगा कि इन फोटो को हटा दिया जाये! देरी मुझे भी हुई थी आने मे पर उसकी वजह बारिश और नाथद्वारा से देहली की की दूरी थी बस से पहुँचते पहुँचते ही देरी हो गई पर यह देख कर सन्तोष हो गया था की स्थानीय साथी और आयोजक तो हमसे भी लेट लतीफ़ निकले
यह जानकर भी खुशी हुई कि मीटिंग भी सानन्द सम्पन्न हुई वाक युद्ध भी थोडा बहुत हुआ पर व्यक्तिगत टीका टिप्पणियों से बचा जाना चाहिये हाँ आप किसी कमी की और ध्यान दिलाते है तो यह सकारात्मक पहलू है और आपको ऐसा करने का पूरा अधिकार है सार संग्रह भी प्रकाशित कर दिया जाता तो उपयुक्त होता !
मेरा अवतरण तो सुनीताजी एवं पवन जी की वजह से हो गया वरना मुझे इस मिटिंग की जानकारी ही नही थी वैसे मै बिना लाग लपेट कर कहना चहुँगा कि आप ऎसे ही १०.३० बजे से बुलाकर २.३० तक वक्त की फ़िजूल खर्ची करते हैं तो मुझे नहीं लगता है कि दूर दराज से आने वाले अपनी निरन्तरता बनाये रख पायेंगे
शैलेष जी, मानना होगा आप रिपोर्टिंग अच्छी कर लेते हैं. बधाई.
सबने बहुत कुछ लिख दिया , लेट लतीफ होने का यह नुकसान में अक्सर भुगतता हूँ जो मैं कहना चाहता हूं कोई और कह देता है और मेरे पास शाब्द ही नहीं बचते।
बहुत बढ़िया वर्णन, बधाई
बढ़िया रपट, इतनी मेहनत करने के लिए साधुवाद! :)
समय मिला तो बैठक में हुई चर्चा के बारे में अभी तो नहीं, लेकिन जल्द ही किसी अन्य उपयुक्त संदर्भ में मैं भी लिखने की कोशिश करूंगा।
बढ़िया विस्तृत रपट पढ़कर मजा आ गया. बहुत खूब विस्तार से लिखा है, आभार. चित्र भी बढ़िया आये हैं.
शैलेश , मैंने का जिक्र किया था ।
सृजन शिल्पी जी ने मुझे भी कहा था कि आप भी आ जाएं मुंबई से इस मीट में लेकिन कुछ कारणों से इस ब्लॉगर मीट में आना न हो सका। लेकिन आपकी विस्तृत रिपोर्ट पढ़कर वहां उपस्थिति का अहसास हुआ। इस मीट में अनेक बातें ऐसी उभरी कि उन पर सभी ब्लॉगरों को अमल करना चाहिए। अगली ब्लॉगर मीट में आने की लालसा रहेगी क्योकि आपने जिस तरह से रिपोर्ट लिखी है वह अगली मीट में आने के लिए आमंत्रित कर रही है।
अच्छा लगा जाकर लेकिन पहले से पता ही नहीं चला था इस मीट के बारे में तो...
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