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Tuesday, April 17, 2007

अब नहीं कोई सवाल, अब जवाब चाहिये


अब नहीं कोई सवाल, अब जवाब चाहिये
मुझे मेरे आँसुओं का, अब हिसाब चाहिये

खो गया जो कहीं, वादियों में इन्तज़ार की
मुझे वही फिर से मेरा, खोया शबाब चाहिये

वर्क़ा-वर्क़ा, रो-रो के, आँसुओं से है लिखी
मेरे ख़्वाबों की तामीर जो, वो किताब चाहिये

बिसरे किसी ख़्याल ने, है फिर मुझे रुला दिया
भूल जाऊँ माजी को मैं, इक अजाब चाहिये

चांदनी है खिली हुयी, हम गम से सराबोर हैं
ढक ले जो मुक्कमिल वज़ूद, वो हिजाब चाहिये

था शाख से तोड़ कर, ख़ाक में मिला दिया
चमन की दरकार है, नहीं एक गुलाब चाहिये

अब नहीं कोई सवाल, अब जवाब चाहिये
मुझे मेरे आँसुओं का, अब हिसाब चाहिये


शब्दार्थः-

शबाब = खूबसूरती, सुन्दरता (beauty)
वर्का-वर्का =वरक़, एक एक पन्ना, सफ़ा (page)
ख्वाबों = सपनों (dream)
तामीर = इमारत, पूर्णता, (completion, building)
अजाब= अज़ायब, अनोखा, अजूबा, चमत्कार (Rare, Strange, Wonder)
माजी= भूतकाल, बीता हुआ समय (past)
मुक्कमिल = मुक़म्मल, पूरा, पूर्ण (complete)
हिजाब = पर्दा, रात (curtain, night, shyness)
दरकार = आवश्यकता, ज़रूरत (needed)

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22 कविताप्रेमियों का कहना है :

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

मोहिन्दर जी
बहुत ही सुन्दर गज़ल है। चाहत के कई मोती बटोरे हैं आपनें और सभी बहुमूल्य। वैसे तो सभी शेर सुन्दर हैं यह मुझे विशेष पसंद आया:

था शाख से तोड़ कर, ख़ाक में मिला दिया
चमन की दरकार है, नहीं एक गुलाब चाहिये

*** राजीव रंजन प्रसाद

Anonymous का कहना है कि -

Bahut sundar bhavnaon ki Abhivayktee.
shabdo ko jaise peroya gaya hai..
good .i have become your FAN.


Sameer sharma

Kripaya batayen HINDI me kaise likhe..

Unknown का कहना है कि -

अति सुंदऱ॰॰॰॰॰॰ आपकी रचना पढकर वास्तव में मन में कई सवाल उमड़ पडते हैं

Anonymous का कहना है कि -

रचना अच्छी है;

चौथा शेर पर एक बार फिर निगाह दौढ़ा लें।

SahityaShilpi का कहना है कि -

मोहिन्दर जी, गजल अच्छी है, पर कहीं कहीं रवानगी बरकरार नहीं रह पायी है।

रंजू भाटिया का कहना है कि -

था शाख से तोड़ कर, ख़ाक में मिला दिया
चमन की दरकार है, नहीं एक गुलाब चाहिये

अब नहीं कोई सवाल, अब जवाब चाहिये
मुझे मेरे आँसुओं का, अब हिसाब चाहिये

mohinder ji yah sher bahut hi pasand aaye ,...

Gaurav Shukla का कहना है कि -

गज़ल वाकई बहुत सुन्दर बन पडी है मोहिन्दर जी
इस विधा में भी आपके प्रयास बहुत सुन्दर हैं

बहुत अच्छा लिखा है
बधाई

सस्नेह
गौरव

सुनीता शानू का कहना है कि -

वाह क्या बात है,बहुत ही उम्दा गज़ल है मोहिन्दर जी हर शेर बहुत हि सुन्दर है कि भूल जाऊँ उस कल को एसा चमत्कार चाहिये,...बहुत हि अच्छा लिखते है आप,
मुझे मेरे आँसुओं का, अब हिसाब चाहिये
खो गया जो कहीं, वादियों में इन्तज़ार की
मुझे वही फिर से मेरा, खोया शबाब चाहिये

यहि शेर अपने आप में बहुत सुन्दर है
सुनिता(शानू)

Anonymous का कहना है कि -

था शाख से तोड़ कर, ख़ाक में मिला दिया
चमन की दरकार है, नहीं एक गुलाब चाहिये

bahut khoobsurat gazal likhi hai aapne...gazal ka maza hi kuch aur hai bas man prafullit ho jaata hai

Reetesh Gupta का कहना है कि -

वर्क़ा-वर्क़ा, रो-रो के, आँसुओं से है लिखी
मेरे ख़्वाबों की तामीर जो, वो किताब चाहिये

बहुत खूब मोहिन्दर भाई ..

Anonymous का कहना है कि -

बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल लिखी है आपने मोहिन्दरजी, प्रत्येक शेर लाजवाब है।

Manish Kumar का कहना है कि -

achcha prayas hai likhte rahein.

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

अच्छी लगी यह कविता। पहली बार शायद कोई कवि आँसुओं का हिसाब माँग रहा है।

क्या मस्त शेर है-
खो गया जो कहीं, वादियों में इन्तज़ार की
मुझे वही फिर से मेरा, खोया शबाब चाहिये


इस शेर ने दिल जीत लिया-

चांदनी है खिली हुयी, हम गम से सराबोर हैं
ढँक ले जो मुकम्मिल वज़ूद, वो हिजाब चाहिये


यह भी खूभ कहा आपने-

वर्क़ा-वर्क़ा, रो-रो के, आँसुओं से है लिखी
मेरे ख़्वाबों की तामीर जो, वो किताब चाहिये

Uttam का कहना है कि -

Bahut hi acchi tarah shabdon ko piroya hai..
Bahaar-e-chaman daud ke ayega,
Kuch is tarah bulaya hai..

Anonymous का कहना है कि -

Bahot he aacha likha hai.. jaise sab kuch bikhra pada tha or aap ne sab ko samet kar rakh diya ho. Bahot khoob.

Upasthit का कहना है कि -

आंसुओं का हिसाब मांगने वाली आपकी यह गजल सराहनीय है...मुझे तो विश्वास हो चला है कि गजल मे आंसू,चांदनी, ख्वाव, इन्तजार, बार बार, रोना धोना, इश्क और हां शाख और खाक जैसे करीब १०० शब्दों से गजल लिखी जा सकती है । अपने computer ज्ञान की भी आजमाइश करने की सोंचने लगा हूं...

Upasthit का कहना है कि -

हां एक बात रह गयी कि, दुसरी पंक्ति पहली पंक्ति का विरोधाभास दिखाये तो quality of गजल अच्छी मानी जाती है...

Anonymous का कहना है कि -

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