देखा जो तुमको मैंने, देखना लगे है सुहाना
तुम हौले से मुसकाए, जीना लगे है सुहाना
तुम हृदय-विभोर हुए जब, चंपा भी महका खुलके
वो बाहों में शरमा के, आना लगे है सुहाना
हाथों को थामा तुमने, आँखों में प्यार छलकाकर
क्षण में दुनिया की खुशियाँ, पाना लगे है सुहाना
मेरे आँसू तुमने सँजोए, सपने भी बटोर लिये हैं
इस प्यार में डूब गया मैं, भीगना लगे है सुहाना
तुम अर्थ नया जीवन का, तुम किरण नयी आशा की,
भर गये ज़ख्म यूँ तुम्हारा, चूमना लगे है सुहाना
तुषार जोशी, नागपुर
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
हाथों को थामा तुमने, आँखों में प्यार छलकाकर
क्षण में दुनिया की खुशियाँ, पाना लगे है सुहाना
धीरे से आ के दिल के क़रीब मेरे
वोह मेरी धड़कनो को होले से सुन जाना..बहुत ही सुंदर ...
जोशी जी, इसबार थोड़ी धार कम गई…भाव को पूरी तरह समेट नहीं पाये…लिखा ठीक है पर पहले की अपेक्षा यानि सापेक्षतया…।
जोशी जी की कविता में भाव अच्छे हैं, पर शब्दों में कुछ शिथिलता आ गई है। शायद थोड़ी और मेहनत अपेक्षित थी। फिर भी प्रयास सराहनीय है।
सिर्फ़ इतना की एह्सास तो हैं पर व्यक्त नहीं हो पाये खुल के.. कुछ कमि सी है..
सब दिन नही एक समान..
प्रशंसा प्रयास की है...कभी कम कभी अधिक चलता है
टिप्पणीयों को मन से न लगायें, भाव सराहनीय हैं
हो सकता है कि यह गीत पढ़ने में वो मज़ा न दे पाती हो मगर जब इसे तुषार की मधुर आवाज़ में सुना जाय तो इसकी सुंदरता १० गुना बढ़ जाती है।
क्या बात है तुषार जी..नितांत रोमांटिक गज़ल है| आपकी आवाज़ भी बहुत मीठी है..निम्नलिखित पंक्तियाँ बहुत सुन्दर बन पडी हैं:
देखा जो तुमको मैंने, देखना लगे है सुहाना
तुम हौले से मुसकाए, जीना लगे है सुहाना
"क्षण में दुनिया की खुशियाँ, पाना लगे है सुहाना"
"मेरे आँसू तुमने सँजोए, सपने भी बटोर लिये हैं
इस प्यार में डूब गया मैं, भीगना लगे है सुहाना"
Tushaar ji is gazal ko bhi gaa dijiye jaadu khud b khud phail jaayega:-
देखा जो तुमको मैंने, देखना लगे है सुहाना
तुम हौले से मुसकाए, जीना लगे है सुहाना
एक acchha prayas जो और भी acchha हो सकता था.
alok singh "sahil"
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