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कथापाठ पर विमर्श हुआ और कथाजगत को नया गौरव मिला




१५ जनवरी २००९ की शाम ५ बजे गाँधी शांति प्रतिष्ठान सभागार में इंटरनेट पर हिन्दी भाषा, साहित्य, कला और तकनीक के लिए समर्पित संस्था हिन्द-युग्म ने 'कथापाठः एक विमर्श' का आयोजन किया जिसकी अध्यक्षता हिन्दी के प्रसिद्ध कहानीकार असग़र वजाहत ने की।

कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए हिन्द-युग्म के निखिल आनंद गिरि अपना सौभाग्य बताया और कहा कि पूरा हिन्द-युग्म परिवार आज गदगद है कि हमारे प्रयासों को सराहने के लिए साहित्य जगत के पुरोधा आज हमारे छोटे से दरबार में उपस्थित हैं।
कथापाठ करते गौरव सोलंकी


इस कार्यक्रम में लंदन से पधारे वरिष्ठ कहानीकार तथा अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी संस्था कथा (यू॰के॰) के महासचिव तेजेन्द्र शर्मा और हिन्दी कहानी में नया नाम गौरव सोलंकी का कहानीपाठ हुआ।

हरियाणा के वरिष्ठ साहित्यकार और कार्यक्रम के संचालक डॉ॰ श्याम सखा 'श्याम' ने कहानी के उद्गम, उद्भव और विकास पर प्रकाश डाला। डॉ॰ श्याम सखा ने अपनी एक कहानी 'महेसर का ताऊ' का भी पाठ किया। संस्था के संस्थापक और प्रधान संपादक शैलेश भारतवासी ने हिन्द-युग्म की गतिविधिओं पर प्रकाश डाला और हर एक को हिन्दी ब्लॉगिंग से जुड़ने की वक़ालत की। शैलेश ने बताया कि इंटरनेट पर आने वाला समय किसी भाषा की लिपि न होकर ऑडियो-वीडियो के विभिन्न रूपों में होगा। इसलिए हम हिन्दी वालों को भी उस तरह के कंटेंट की ओर ध्यान देना चाहिए। इसीलिए हमारी कोशिश है कि हिन्द-युग्म पुरानी-नई हर तरह के साहित्य, संगीत, जानकारियों को ऑडियो और वीडियो के रूप में वेबसाइट पर डालें।



तेजेन्द्र शर्मा ने अपनी प्रसिद्ध कहानी 'पासपोर्ट का रंग' का पाठ किया वहीं गौरव सोलंकी ने अपने ख़ास अंदाज़ वाली दो छोटी-छोटी कहानियों 'डर के आगे' और 'तुम्हारी बाँहों में मछलियाँ क्यों नहीं हैं' का पाठ किया। बानगी देखिए-

मैं जानता हूं कि उसे पता है। उसे लगता है कि बैंक बन्द हो गया है। वह नहीं जाती। मैं घड़ी को पुचकारता हूँ। फिर मैं उसे एक महल की कहानी सुनाने लगता हूं। वह कहती है कि उसे क्रिकेट मैच की कहानी सुननी है। मैं कहता हूं कि मुझे फ़िल्म देखनी है। वह पूछती है, “कौनसी?” मुझे नाम बताने में शर्म आती है। वह नाम बोलती है तो मैं हाँ भर देता हूं। मेरे गाल लाल हो गए हैं।

युवा कथाकार अभिषेक कश्यप ने 'युवा कहानी और नये प्रयोग' पर बोलते हुए कहा कि नये कहानीकार भाषा और शब्द-चयन को लेकर बहुत सहज हैं, लेकिन इनको वह पहचान नहीं मिल सकी हैं, जिसकी ये हक़दार हैं। नामी साहित्यिक पत्रिकाओं के सम्पादकों को इस तरह की भी कहानियों को प्रकाशित कर इनका प्रोत्साहन करना चाहिए। कार्यक्रम के अध्यक्ष और मुख्य वक्ता असग़र वजाहत ने गौरव सोलंकी की कहानियों की तुलना शशांक, बलराम, मधुसूदन आनंद जैसे बड़े कहानीकारों की कहानियों से की। असग़र वजाहत ने तेजेन्द्र शर्मा को एक संपूर्ण कथाकार बताया। युवा कथाकार अजय नावरिया ने कथापाठ की इस परम्परा के निर्वहन के लिए तेजेन्द्र शर्मा की प्रसंशा की और कहा कि कहानी लिखने का कोई ककहरा नहीं है। तेजेन्द्र की कहानियाँ एक नया अनुभव देती हैं, जो अन्य प्रवासी कथाकारों की नॉस्टेलजिया से आगे निकलकर वास्तविकता की धरातल पर चलती हैं।

आलोचना के इस समय को उन्होंने महत्तम समापवर्तक की जगह लघुत्तम समापवर्त्य बताया और कहा कि बड़े आलोचक की आलोचना कर देने मात्र से रचना बड़ी नहीं होती, बल्कि वो कहानी या रचना बड़ी होती है जो पाठक या श्रोता के मन हो छूये।

कथाकार असग़र वजाहत ने हिन्द-युग्म की प्रसंशा करते हुए कहा कि- "विश्व हिन्दी सम्मेलन के आयोजन में कम से कम १२ करोड़ का खर्च होता है, जिससे कोई निष्कर्ष नहीं निकलता, हिन्द-युग्म के इस तरह के छोटे-छोटे आयोजन कई मामलों में उनसे अधिक महत्वपूर्ण हैं जो स्वयं के खर्च से हिन्दी के लिए कुछ सार्थक प्रयास कर रहे हैं।

हिन्दी को लेकर हम इतने चिंतिंत क्यों हैं?-इस बात का जवाब देते हुए वजाहत ने कहा कि हिन्दी सिर्फ हमारी मातृभाषा ही नहीं है, बल्कि दुनिया की दूसरी नं॰ की सबसे बड़ी भाषा है, हम अपनी-अपनी भाषा के प्रमोशन का हठ लेकर न बैठें बल्कि दुनिया की दूसरी बड़ी भाषा के विकास और प्रसार में अपना योगदान दें, क्योंकि कहीं न कहीं यह हमारे सांस्कृतिक विकास से भी जुड़ी है। और सांस्कृतिक विकास कहीं न कहीं हमारे हर तरह के विकास से जुड़ा हुआ है।

कार्यक्रम में उपस्थित सैकड़ों श्रोताओं की भीड़ से यह ज़ाहिर होता है कि तकनीक के जमाने में भी साहित्य का आकर्षण कम नहीं हुआ है।

हिन्द-युग्म की ओर से निखिल आनंद गिरि, प्रेमचंद सहजवाला, भूपेन्द्र राघव, सजीव सारथी, अनुराधा शर्मा, मनुज मेहता, रंजना भाटिया, मनु बेतखल्लुस, नीलम मिश्रा, अभिषेक पाटनी, तपन शर्मा इत्यादि के अलावा प्रवासी संसार के राकेश पाण्डेय, वरिष्ठ पत्रकार अजीत राय, नेशनल बुक ट्रस्ट में संपादक लालित्य ललित, सीएमएस मीडिया लैब के मीडिया-प्रबंधक प्रभाकर सिंह (सपत्नी), आईएएनएस समाचार एजेंसी से गिरीन्द्र, युवा पत्रकार आकांक्षा पारे, पंकज नारायण, साहित्यकार सुभाष नीरव व प्रेम जनमेजय, चोखेरबाली डॉट इन वेबसाइट की मुख्य मॉडरेटर सुजाता तेवतिया, साहित्य शिल्पी ब्लॉग से राजीव रंजन प्रसाद, अजय यादव, मोहिन्दर कुमार, ब्लॉगर विनीत कुमार, राजीव तनेजा (सपत्नी), अविनाश वाचस्पति, सुशील कुमार छोक्कर, पवन चंदन, उमाशंकर, बाल-पत्रिका 'नया-सूरज' के संपादक कवि दीपांकर, सफर (एनजीवो) प्रमुख राकेश सिंह इत्यादि उपस्थित थे।

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हिन्द-युग्म ने २८ दिसम्बर २००८ को विगत् वर्ष का अपना वार्षिकोत्सव मनाया। हिन्द-युग्म इंटरनेट से इतर भी आयोजन की वक़ालत इसलिए भी करता रहा है ताकि इंटरनेट की दुनिया और बाहर की दुनिया के बीच एक सेतु बन सके।

इसी क्रम में एक कार्यक्रम का आयोजन १५ जनवरी २००९ को करने जा रहा है। हिन्द-युग्म साहित्य को तकनीक की आधुनिक विधाओं से और प्रस्तुतिकरण के नये तरीकों से जोड़ने का पक्षधर रहा है। इसीलिए 'आवाज़' के माध्यम से नये से लेकर पुराने साहित्य को दृश्य-श्रव्य माध्यमों से जोड़ता रहा है।

जिसमें प्रेमचंद की कहानियों के पॉडकास्ट का प्रसारण 'सुनो कहानी' स्तम्भ के माध्यम से, पॉडकास्ट कवि सम्मेलन का आयोजन, हर सप्ताह नये गीतों का लोकार्पण, पुस्तकों की पॉडकास्ट समीक्षा, कविताओं के एल्बम का प्रसारण, बाल-साहित्य की पॉडकास्टिंग, ऑडियो डाक्यूमेंट्री का प्रसारण, महान लेखकों-कलाकारों से मुलाक़ात का प्रसारण इत्यादि शामिल है।

इसी क्रम में लेखक की कहानी का लेखक के ही द्वारा पाठ और उसको इंटरनेट तक पहुँचाने का पहला प्रयास १५ जनवरी के कार्यक्रम में करने जा रहा है, जिसमें वरिष्ठ और युवा कथाकार का कहानीपाठ तो होगा, साथ ही उस पर युवा तथा अनुभवी कथाकारों की समीक्षा/टिप्पणी भी होगी।

कार्यक्रम का विवरण का निम्नलिखित है-

कथापाठः एक विमर्श


 


कथाकार-


१॰ तेजेन्द्र शर्मा- अंतर्राष्ट्रीय सम्मान 'कथा यू॰के॰ सम्मान' प्रदान करनेवाली संस्था 'कथा यू. के.' के सचिव, समकालीन हिन्दी कहानी के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक, अनेकों सम्मान (यथा महाराष्ट्र राज्य साहित्य अकादमी पुरस्कार, युवा साहित्यकार पुरस्कार, सुपथगा सम्मान, प्रथम संकल्प साहित्य सम्मान, तितली बाल पत्रिका का साहित्य सम्मान, डॉ. हरिवंशराय बच्चन सम्मान इत्यादि) से सम्मानित, इंग्लैंड से प्रकाशित होने वाली पत्रिका पुरवाई के संपादक।


 


२॰ गौरव सोलंकी- उभरते कथाकारों में सशक्त नाम, हिन्द-युग्म के चर्चित कवि तथा कहानीकार, कहानी-कलश के संपादन मंडल से जुड़े।


 


मुख्य वक्ता


असग़र वजाहत-  कथा यू॰के॰ २००६ से सम्मानित कथाकार, तीन कहानी संग्रह, चार उपन्यास, छः नाटकों के सृजक।छह नाटकों का देश भर में मंचन और प्रदर्शन हुआ, 'जिन लाहौर नईं वेख्या, ते जन्म्या नईं' ने देश की सरहद के बाहर भी खूब तारीफें बटोरी हैं। बुदापैस्त, हंगरी में आपकी दो एकल चित्र प्रदर्शनियाँ भी हो चुकी हैं। टेलीविज़न व फ़िल्म लेखन और निर्देशन से भी जुड़े रहे हैं। कई वृत्ताचित्रों, धारावाहिकों और कुछ फीचर फ़िल्मों के लिए पटकथा लेखन भी किया।
सप्रंति- हिंदी विभाग
,
जामिया मिल्लिया इस्लामिया (नई दिल्ली) में अध्यापन।


अजय नावरिया- चर्चित दलित लेखक, जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली में धर्मशास्त्र के प्राध्यापक, चर्चित उपन्यास 'उधर के लोग' के लेखक।


 


टिप्पणीकार


अभिषेक कश्यप- युवा कहानीकार तथा राजनैतिक पत्रिका 'राज-सरोकार' के उप संपादक।


 


अभिषेक 'युवा कहानी और नये प्रयोग' पर अपने विचार रखेंगे।


 


संचालक


डॉ॰ श्याम सखा 'श्याम'- हरियाणा के वरिष्ठ हिन्दी साहित्यकार और हिन्दी साहित्यिक त्रैमासिक 'मसि-कागद' के संपादक।


 


स्थानः गाँधी शांति फाउँडेशन (प्रतिष्ठान) सभागार (221/223, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, आई टी ओ के पास), नई दिल्ली


 


दिन व समयः १५ जनवरी २००९, शाम ५ से ८ बजे तक


 


चाय का समयः शाम ५ से ६ बजे तक


हमने इस कार्यक्रम में एक आकर्षण और जोड़ रहे हैं। आप कथापाठ करने वाले कहानीकारों से उस कहानी से जुड़े अपने सवाल भी पूछ सकते हैं।

इसके अतिरिक्त हिन्दी ब्लॉगिंग से जुड़े आपकी किसी भी तरह की परेशानी के निदान के लिए हिन्द-युग्म के संस्थापक-नियंत्रक शैलेश भारतवासी उपस्थित होंगे। आप अपने सवाल लिखकर ले आयें और कार्यक्रम के शुरू होने
से पहले जमा कर दें। आपकी हर एक जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास किया जायेगा।

भाग अवश्य लें और हमारा प्रोत्साहन करें।

कृपया इस कार्यक्रम की सूचना का पोस्टर अपने ब्लॉग/वेबसाइट/ऑरकुट स्क्रैपबुक में लगाकर हमारी मदद करें। लगाने के लिए निम्न कोड कॉपी करें।