१. तुमसे
एक कप चाय मांगी
खाना खाया
बच्चों को दुलारा
तुमको डांटा
और शरीर जोड़ कर सो गया
तुम्हारा मन वहीं तकिये के ऊपर सुलगता रहा
और मेरा मन?
ये है शादी
२. तुमने सामान की एक फेहरिस्त मुझको थमाई
बच्चों की ढेर सी शिकायतें बताई
चाय, खाने की सामजिक रीत निभाई
और सो गई
मेरा मन सोचता रहा, और जागता रहा
और तुम्हारा?
ये है शादी
३. तुमने मुझे प्यार से टिफिन थमाया
और दिन भर सोचती रही मेरी गतिविधियाँ
कामना में रही तुम मेरी सफलता की
इंतज़ार किया सूरज के बुझने का
ताकि मैं उदित हो सकूँ
तुम्हारी शाम में-
यह है शादी
४. मैंने सुबह तुमसे विदा ली
और छोड़ गया अपना अस्तित्व,
अपनी चंचलता और निजी सानिध्य
तुम्हारे आँचल में
दिन भर एक नए मुखौटे के साथ
तुम्हें याद रख कर भी भूला रहा
गोधुली में जब लौटा
तुम्हारी चाय में घुल गया अपराजित मन, थकन और क्लान्ति
और मैं फिर महकने लगा
ये है शादी
यूनिकवयित्री- रचना श्रीवास्तव