
पुरस्कृत कविता- मछली रानी
मछली को तलें तेल में
शुद्ध देसी घी में या वीटा में
या मिल्क फूड में
मछली पर क्या फर्क पड़ता है ?
बंसी में लगी कच्चे आटे की गोली
उसके विश्वास को छल गई
धनिया की बेटी संतरा
कच्चे आटे की महक के पीछे
सराए में जो गई अभी तक नहीं लौटी
सराए के बंद तिलस्मी दरवाजे पर धनिया
उसकी बाट जोहती
दिल में एक रोटी का सपना लिए सोती
तो आखों में नींद नही होती।
दरवाजे की झिर्रियों से सटी
वह; अंदर से आ रही सिसकियों; सिसकारियों से
कोई बू पाने की चेष्टा करती
हां! शायद
.......रोटी सिकनें की नहीं
गोश्त जलने की गंध है
वे लोग; संतरा का गोश्त पका रहे हैं
जश्न मना रहे हैं
अब;
सराय हो या फाइव़ स्टार होटल;
रेलवे स्टेशन; बस अड्डे का मुसाफिर खाना
या किसी रेडलाइट एरिया में
किसी चकले की बदबूदार सीलन भरी कोठरी
संतरा पर क्या फर्क पड़ता है ?
प्रथम चरण मिला स्थान- चौथा
द्वितीय चरण मिला स्थान- चौथा
पुरस्कार- अनुराग शर्मा तथा अन्य 5 कवियों के कविता-संग्रह 'पतझड़ सावन बसंत बहार' की एक प्रति।