धर्मेंद्र कुमार सिंह की रचनाओं ने यूनिप्रतियोगिता मे हर माह शीर्ष पायदानों पर रहने की आदत ही बना ली है। इनकी कविताएं और ग़ज़लें पाठकों की भी पसंद बनती रही हैं। पिछले माह दूसरे स्थान पर धर्मेंद्र की गज़ल प्रकाशित हुई थी। तो इस बार उनकी प्रस्तुत कविता ने चौथा मुकाम हासिल किया है। प्रस्तुत कविता इंद्रियों और दिमाग के अंतर्संबंध के इशारे से हमारी सामाजिक व्यवस्था के इतिहास की सच्चाई बयाँ करने की कोशिश करती है।
पुरस्कृत कविता: इंद्रियाँ और दिमाग़
इंद्रियाँ तो कठपुतलियाँ हैं
सबसे ऊपर बैठे दिमाग़ की
उसी के इशारों पर नाचती हैं
इंद्रियों को तो पता भी नहीं होता
कि वो आखिर कर क्या रही हैं
आवश्यकता से अधिक सुख सुविधाएँ
जिन्हें वो गलत तरीके से इकट्ठा कर रही हैं
उन्हें या तो निकम्मा बना देंगी
या रोगी
और अगर पकड़ी गईं
तो सारी सजा मिलेगी इंद्रियों को
बलि की बकरियाँ हैं इंद्रियाँ।
इंद्रियाँ करें भी तो क्या करें
आदिकाल से
नियम ही ऐसे बनते आये हैं
जिससे सारी सजा इंद्रियों को ही मिले,
हर देवता, हर महात्मा ने
हमेशा यही कहा है
कि इंद्रियों पर नियंत्रण रखो
दिमाग़ की तरफ़ तो
कभी भूल कर भी उँगली नहीं उठाई गई
कैसे उठाई जाती
उँगली भी तो आखिरकार
दिमाग़ के नियंत्रण में थी।
मगर कलियुग आने का
पुराने नियमों से विश्वास उठने का
एक फायदा तो हुआ है
अब यदा कदा कोई कोई
उँगली दिमाग़ की तरफ भी उठने लगी है,
ज्यादातर तो तोड़ दी जाती हैं
या जहर फैल जाएगा कहकर काट दी जाती हैं
मगर क्या करे दिमाग़
अनिश्चितता का सिद्धांत तो वो भी नहीं बदल सकता
कि उठने वाली हर उँगली तोड़ी नहीं जा सकती,
कोई न कोई उँगली बची रह ही जाएगी
तथा उस उँगली की सफलता को देखकर
उसके साथ और भी उँगलियाँ उठ खड़ी होंगी,
अन्ततः दिमाग को
उँगलियों की सम्मिलित शक्ति के सामने
सर झुकाना ही पड़ेगा
अपनी असीमित शक्ति का दुरुपयोग
रोकना ही पड़ेगा।
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पुरस्कार: हिंद-युग्म की ओर से पुस्तक।
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8 कविताप्रेमियों का कहना है :
तथा उस उँगली की सफलता को देखकर
उसके साथ और भी उँगलियाँ उठ खड़ी होंगी,
अन्ततः दिमाग को
उँगलियों की सम्मिलित शक्ति के सामने
सर झुकाना ही पड़ेगा
अपनी असीमित शक्ति का दुरुपयोग
रोकना ही पड़ेगा।
jarur hoga aesa .dimag aur ungliyon ke madhyam se achchha vyang
badhai
saader
rachana
कविता में इन्द्रियों और दिमाग़ का प्रयोग दिल पर असर करता है..प्रभावशाली रचना...
मर्म स्पर्श करने वाली रचना |दूसरा स्थान हासिल करने के लिए बधाई |
रचना जी, मीनाक्षी जी और अनंत जी आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया।
इन्द्रिया की जिसने अपने बस में करलिया उसने मानो जीवन जीत लिया हो | इन्द्रियों को वश में कर के इंसान पंत को प्राप्त हो सकता है | Talented India News App
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