भ्रष्टाचार भगाने आये अन्ना जी
सोया देश जगाने आये अन्ना जी
सत्य, अहिंसा सत्याग्रह की ताकत को
फिर से याद दिलाने आये अन्ना जी
इन्कलाब के, आजादी की यादों के
गीत दुबारा गाने आये अन्ना जी
आगे आओ सब मिलकर संघर्ष करो
सबको यह समझाने आये अन्ना जी
बचके रहना भ्रष्ट मंत्रियो जनता से
ऐसा बिगुल बजाने आये अन्ना जी
बलिदानों की अमर कथा लिख जायेंगे
खुद भेंट चढाने आये अन्ना जी
शत शत नमन आपके दृढ संकल्पों को
हमको आप बचाने आये अन्ना जी
अरुण मित्तल ‘अद्भुत’
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
सुन्दर कविता।
बहुत खूब अद्भुत भाई...
एक मेरी ओर से भी-
चल पड़ी है बात
तो बस शाम तक ही ना चले
अब हमारी जंग
अधूरे काम तक ही ना चले
विकास की पुरवाई गर
इस बार जो आये यहाँ
ध्यान रखना वो महज़
कुछ ग्राम तक ही ना चले
हर एक मस्जिद में चले
चल पड़े इक-इक गुरुद्वारे में
ये बात
सिर्फ चारों धाम तक ही ना चले
मैं इतनी दूर बैठा हूँ
हूँ मगर फिर भी वहीं
पीने वालों बात सच्ची
बस जाम तक ही ना चले
हर आम का है हक अगर
हर आम को मिल जाए वो
रेवड़ी बनकर ये केवल
कुछ आम तक ही ना चले
हर उम्र लांघे अगर
दहलीज देश के लिए
तो नया क़ानून
कुछ के काम तक ही ना चले
निशान भी छोड़े जो ये
तब तो कोई बात हो
जो चल रहा है वो अकेले
नाम तक ही ना चले.
दीपक मशाल
सही कहा है
काश भविष्य में इस तरह कि घटनाओं से बचें हमारे नीति नियंता
कवि को बहुत बहुत बधाई
समसामयिक रचना के लिए साधुवाद
बेहद जरूरी कविता.....
हैरानी होती है...कि लोग अन्ना के जीवित रहने और ना रहने पर भी शर्तें लगा रहे हैं...
ऐसे उल्लू के पठ्ठों के लिए अन्ना का ये कदम....
क्या कहें..
बेहद जरूरी कविता.....
हैरानी होती है...कि लोग अन्ना के जीवित रहने और ना रहने पर भी शर्तें लगा रहे हैं...
ऐसे उल्लू के पठ्ठों के लिए अन्ना का ये कदम....
क्या कहें..
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