वर्ष 2008 के दिसम्बर माह से हिन्द-युग्म अपना वार्षिक समारोह आयोजित करना आरम्भ किया है। वर्ष 2009 का वार्षिकोत्सव हिन्द-युग्म ने 19वें विश्व पुस्तक मेला, प्रगति मैदान में आयोजित किया था। इस कार्यक्रम के माध्यम से हिन्द-युग्म अपनी ऑनलाइन उपस्थिति की धमक को इंटरनेट के बाहर की दुनिया तक पहुँचाना चाहता है।
हिन्द-युग्म वर्ष 2010 का वार्षिकोत्सव शनिवार, 05 मार्च 2011 को नई दिल्ली में आयोजित करने जा रहा है। अपने पुराने कार्यक्रमों से अलग हिन्द-युग्म इस कार्यक्रम में कुछ नये कार्यक्रम भी जोड़ रहा है। इस कार्यक्रम को हिन्द-युग्म एक ब्लॉगर मिलन समारोह के तौर पर भी देख रहा है क्योंकि इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से ढेरों ब्लॉगर सम्मिलित हो रहे हैं।
कार्यक्रम का विवरण निम्नवत हैः-
दिन व समयः शनिवार 05 मार्च 2011, सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक। दोपहर 2-3 भोजन।
स्थानः राजेन्द्र भवन ट्रस्ट सभागार, 210, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, निकट आईटीओ, नई दिल्ली-01
मुख्य अतिथिः वीरेन्द्र कुमार बरनवाल, वरिष्ठ साहित्यकार
विशिष्ट अतिथिः अनामिका, वरिष्ठ कवयित्री, डॉ॰ हरिकृष्ण देवसरे, वरिष्ठ बालसाहित्यकार, प्रकाश मनु, वरिष्ठ बाल साहित्यकार।
संचालनः डॉ. श्याम सखा 'श्याम'
मुख्य आकर्षणः
वर्ष 2010 के 12 यूनिकवियों का काव्यपाठ और उनका सम्मान,
सुनीता प्रेम यादव और रंजना भाटिया को हिन्द-युग्म शमशेर अहमद खान बाल साहित्यकार सम्मान,
सुजॉय चटर्जी को हिन्द-युग्म लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई हिन्दी सेवी सम्मान,
ऋषि एस. को हिन्द-युग्म अन्ना साहब संगीत सम्मान,
मास्टरस्ट्रोक प्रोडक्शन की लघु फिल्म 'इट्स रिंगिंग' का प्रदर्शन।
युवा कवि सुशील कुमार के काव्य-संग्रह 'तुम्हारे शब्दों से अलग' का विमोचन।
पुस्तक का विमोचन वरिष्ठ कवि वीरेन्द्र कुमार बरनवाल के करकमलों द्वारा होगा।
यूनिकवियों का सम्मान वरिष्ठ कवि वीरेन्द्र कुमार बरनवाल और कवयित्री अनामिका के कर-कमलों से होगा।
सुजॉय चटर्जी और ऋषि एस. का सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार वीरेन्द्र कुमार बरनवाल अपने करकमलों द्वारा करेंगे।
सुनीता प्रेम यादव और रंजना भाटिया 'रंजू' का सम्मान डॉ॰ हरिकृष्ण देवसरे और प्रकाश मनु के द्वारा होगा।
सभी यूनिकवि को अपनी प्रतिनिधि कविता का पाठ करेंगे।
वरिष्ठ कवि सुरेश यादव तुम्हारे शब्दों से अलग पुस्तक पर अपनी टिप्पणी देंगे।
सम्मानित होने वाले यूनिकवियों की सूची
एम॰ वर्मा
कृष्णकांत
विमल चंद्र पाण्डेय
संजीव कुमार सिंह
मृत्युंजय साधक
आलोक उपाध्याय 'नज़र'
अनिल कार्की
सुभाष राय
महेन्द्र वर्मा
अपर्णा भटनागर
वसीम अकरम
स्वप्निल तिवारी आतिश
उल्लेखनीय है कि सक्रिय हिन्द-युग्मी, पर्यावरणविद, वरिष्ठ बालसाहित्यकार और पत्रकार शमशेर अहमद खान का ब्लड कैंसर की वजह से असामयिक निधन हो गया। हम इस वार्षिकोत्सव से 'हिन्द-युग्म शमशेर अहमद खान बालसाहित्यकार सम्मान' की शुरूआत कर रहे हैं। यह सम्मान हिन्दी के ऑनलाइन बाल-साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लेखकों को प्रदान किया जायेगा। इस वर्ष यह सम्मान बाल-उद्यान में लम्बे समय से सक्रिय योगदान कर रहीं श्रीमती सुनीता प्रेम यादव और श्रीमती रंजना भाटिया 'रंजू' को प्रदान किया जा रहा है। शमशेर जी की स्मृति में युवा कवि-लेखक रामजी यादव अपना वक्तव्य प्रस्तुत करेंगे।
सुनीता प्रेम यादव
39 वर्षीय सुनीता प्रेम यादव मूल रूप से एक कवयित्री हैं। इन्होंने बाल रचनाएँ बहुत कम लिखी हैं, लेकिन बाल-साहित्य को बच्चों तक पहुँचाने के लिए इन्होंने बहुत से रचनात्मक योगदान दिये हैं। सुनीता औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में दर्जनों आयोजन करके बाल-साहित्य को बाल सुलभ बनाने का काम किया है। सुनीता ने ऑडियो-विधा के माध्यम से भी बाल-साहित्य को अपने शहर के बच्चों में लोकप्रिय बनाया है। सुनीता की ही ऊर्जा से बाल-उद्यान फला-फूला है। सुनीता ने महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे के साथ मिलकर बाल-उद्यान के कई कार्यक्रम किये। इनका विस्तृत परिचय पढ़ने और इनके योगदान के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
रंजना भाटिया 'रंजू'
दिल्ली की रंजना भाटिया का एक स्तम्भ 'दीदी की पाती' बाल-उद्यान का बेहद लोकप्रिय स्तम्भ है। इस माध्यम से रंजना भाटिया ने बाल-सुलभ शैली में अद्भुत और रोचक जानकारियाँ बच्चों को बाँटी। यह स्तम्भ इतना लोकप्रिय हुआ कि कई समाचार-पत्रों ने इसे जस-का-तस अपने यहाँ स्थान दिया। रंजना भाटिया हिन्द-युग्म के बाल-उद्यान पर 2007 से सक्रिय हुईं और लगभग इसी समय से इन्होंने बच्चों के लिए लिखना शुरू किया और बहुत जल्द इसमें महारत हासिल कर ली। हिन्द-युग्म इनको सम्मानित करके अभिभूत है। रंजना का पूरा परिचय पढ़ने और उनके योगदानों को जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
हिन्द-युग्म पर सबसे सक्रिय योगदान करने वाले लोग गैर हिन्दी भाषी हैं। ऐसा ही एक नाम सुजॉय चटर्जी का है। सुजॉय चटर्जी ने आवाज़ के 'ओल्ड इज़ गोल्ड' नामक एक दैनिक स्तम्भ की शुरूआत की। सुजॉय की मातृभाषा बंगाली है और वे प्रतिदिन ओल्ड इज गोल्ड स्तम्भ पर हिन्दी में लिखते हैं। सुजॉय चटर्जी को वर्ष 2011 का 'हिन्द युग्म लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलाई हिन्दी सेवी सम्मान' प्रदान किया जा रहा है। लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलाई असम राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे और इनकी अध्यक्षता में असम हिन्दी प्रचार समिति का गठन हुआ। बाद में इसी संस्था का नामकरण असम राष्ट्रभाषा प्रचार सभा कर दिया गया। स्वतंत्रता आंदोलन के समय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पूर्वोत्तर में राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए बाबा राघव दास और कमल नारायणदेव को असम भेजा था। इनलोगों के विचार को आगे बढ़कर लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलाई ने स्वागत किया। पूर्वोत्तर में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में भारत रत्न लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलाई का योगदान अतुलनीय है। हिन्द-युग्म इन्हीं को श्रद्धांजलि स्वरूप इस सम्मान की शुरूआत कर रहा है।
सुजॉय चटर्जी
सुजॉय चटर्जी हिन्द-युग्म के सक्रियतम स्तम्भकार हैं और 'आवाज़' के लगभग 900 ईमेल सब्सक्राइबर इन्हीं के स्तम्भ 'ओल्ड इज गोल्ड' के प्रसंशक हैं। सुजॉय की मातृभाषा बांग्ला है, पेशे से इंजीनियर हैं और चंडीगढ़ में रहते हैं। हिन्दी में खुद ही टाइप भी करते हैं। 20 फरवरी 2009 से सुजॉय ने हिन्द-युग्म पर ओल्ड इज़ गोल्ड शृंखला की शुरूआत की, जिसमें पुराने अमर फिल्मी गीतों की पूरी चर्चा हिन्दी में होती है। सुजॉय बहुत रोचक ढंग से गीतों की चर्चा करते हैं, गीत आधारित पहेली पूछते हैं। इसमें गीत भी सुनवाया जाता है। अब तक इस स्तम्भ में 601 आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। इन दिनों इन्होंने आवाज़ पर एक साहित्यिक स्तम्भ 'सुर-संगम' की भी शुरूआत की है, जिसके 9 अंक प्रकाशित-प्रसारित हो चुके हैं। इस माध्यम से सुजॉय शास्त्रीय संगीत के कुछ सूक्ष्म पक्षों को एक तार में पिरोने की एक कोशिश करते हैं।
हिन्द-युग्म ने वर्ष 2007 के अक्टूबर माह से एक बिलकुल अनूठी शुरूआत की थी। वह शुरूआत थी ऑनलाइन संगीत को रचना। इस संकल्पना को मूर्त रूप दिया था ऋषि एस बालाजी ने। हिन्द-युग्म के सजीव सारथी इस बात को लेकर निश्चिंत नहीं थे कि ऑनलाइन संगीत रचा जा सकता है, लेकिन ऋषि एस. थे। और ऋषि एस. ने यह कर दिखाया। आज हमें यह कहीं भी बताते हुए बहुत खुशी होती है कि हिन्द-युग्म ने ऑनलाइन ही 100 से अधिक गाने बनाये हैं। हम इसे एक ऑनलाइन संगीत क्रांति मानते हैं। हिन्दी फिल्म संगीत में एक क्रांति के अग्रदूत अन्नासाहब या चितलकर नरहर रामचंद्र या सी. रामचंद्र थे। वे संगीत में नित नये प्रयोग में विश्वास रखते थें। हम उनकी स्मृति में एक सम्मान ऋषि एस को दे रहे हैं।
ऋषि एस॰
ऋषि एस॰ ने हिन्द-युग्म पर इंटरनेट की जुगलबंदी से संगीतबद्ध गीतों के निर्माण की नींव डाली है। पेशे से इंजीनियर ऋषि ने सजीव सारथी के बोलों (सुबह की ताज़गी) को अक्टूबर 2007 में संगीतबद्ध किया जो हिन्द-युग्म का पहला संगीतबद्ध गीत बना। हिन्द-युग्म के पहले एल्बम 'पहला सुर' में ऋषि के 3 गीत संकलित थे। ऋषि ने हिन्द-युग्म के दूसरे संगीतबद्ध सत्र में भी 5 गीतों में संगीत दिया। हिन्द-युग्म के थीम-गीत को भी संगीतबद्ध करने का श्रेय ऋषि एस॰ को जाता है। इसके अतिरिक्त ऋषि ने भारत-रूस मित्रता गीत 'द्रुजबा' को संगीत किया। मातृ दिवस के उपलक्ष्य में भी एक गीत का निर्माण किया। इन दिनों ये रश्मि प्रभा की कविताओं को संगीतबद्ध कर रहे हैं।भारतीय फिल्म संगीत को कुछ नया देने का इरादा रखते हैं।
तुम्हारे शब्दों से अलग
यह हिन्द-युग्म प्रकाशन की सोलहवीं पुस्तक है। हिन्द-युग्म ने वर्ष 2010 के विश्व पुस्तक मेला से अपना प्रकाशन भी शुरू किया है, जिसके माध्यम से विश्वस्तरीय साहित्य को विश्व स्तरीय प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल करके प्रकाशित किया है। मात्र एक वर्ष में ही हिन्द-युग्म ने अपने मात्र 16 प्रकाशनों से हिन्दी प्रकाशन का ध्यान अपनी ओर खींचा है। प्रस्तुत पुस्तक युवा कवि सुशील कुमार का कविता संग्रह है। इस कविता संग्रह और कवि के बारे में वरिष्ठ कवि अरुण कमल कहते हैं-
सुशील कुमार विलक्षण कवि हैं। इन कविताओं की भूमि स्वयं कवि का जीवन है, और कवि की सहानुभूति की परिधि में आयत्त संपूर्ण समाज। बहुत प्रेम और अपनपों से कवि ने दमित-पीड़ित जन के जीवन को भाषा में स्थायित्व दिया है। इन कविताओं का संसार हम सब का जाना-पहचाना, रोज़-ब-रोज़ का संसार है।
इस पुस्तक की ऑनलाइन चर्चा यहाँ पढें।
हिन्द-युग्म काफी समय से दृश्व और श्रव्य माध्यमों में काम कर रहा है। हिन्द-युग्म से परिचित प्रत्येक व्यक्ति इसके 'आवाज़' मंच का मुरीद है। हिन्द-युग्म ने बहुत से गीतों के वीडियो भी बनाये हैं। कुछ समय ने हिन्द-युग्म ने लघु फिल्मों के निर्माण पर भी गंभीरता से काम कर रहा है। इस दिशा में ढेरों प्रोडक्शन कम्पनियाँ हिन्द-युग्म के साथ काम कर रही हैं। ऐसी एक प्रोडक्शन कम्पनी है 'मास्टरस्ट्रोक प्रोडक्शन', जिसके संचालक हिन्द-युग्मी दिव्य प्रकाश दुबे और इनके कुछ साथी हैं। इस प्रोडक्शन कम्पनी ने ही हिन्द-युग्म का प्रमोशनल वीडियो बनाया है। इस प्रोडक्शन कम्पनी की एक लघु-फिल्म 'इट्स रिंगिंग' भी इस कार्यक्रम में प्रदर्शित होगी।
इट्स रिंगिंग
यह एक लघु फिल्म है जो 25 फरवरी 2011 को भुवनेश्वर में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय लघु फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित की गई। यह आजकल बहुत तेज़ी से हो रहे MMS Scandal पर आधारित है। यह फिल्म महानगर में रहने वाले नवविहाहित जोड़ों की कहानी पर आधारित है। फिल्म नव दंपत्तियों द्वारा अपने बेहद निजी पलों को मोबाइल में कैद करने और उसके लापरवाही से चोरी हो जाने की बात करती है। फिल्म की पटकथा दिव्य प्रकाश दुबे की है और निर्देशन सामर्थ गर्ग का है। फिल्म में संगीत हिन्द-युग्म के ही प्रतिभावान संगीतकार श्रीनिवास पांडा का है।
बस से आने वाले आगंतुकः
ITO बस-स्टैंड पर उतरें। वहाँ से किसी से पूछकर रामचरण अग्रवाल चौक तक पहुँचें। इस चौक से दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर पैदल आगे बढ़ें। इस मार्ग से चलते हुए बायीं ओर ही, लगभग 500 मीटर आगे गांधी शांति प्रतिष्ठान है, इससे थोड़ा आगे दाहिनी ओर (सामने की दिशा में) अणुव्रत भवन है, इसके ठीक बगल में राजेन्द्र भवन सभागार है।
मेट्रो से आने वाले आगंतुकः
'मंडी हाउस' मेट्रो स्टेशन पर उतरें और 'हिमाचल भवन' निकास की तरफ निकलें। यहाँ से पैदल रास्ता भी है, किसी से पूछ लें या यहीं से दीन दयाल उपाध्याय मार्ग के लिए ऑटो ले लें। यदि मेट्रो-यात्री प्रगति मैदान भी उतरें तो लगभग यही दूरी पड़ेगी। यदि आप प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन पर उतर रहे हैं तो प्रगति मैदान के गेट नं 8 या 9 की तरफ निकलें।
निजी वाहन/टैक्सी से आने वाले आगंतुकः
इसके लिए गूगल मैप में कार्यक्रम-स्थल यहाँ से देखें।
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20 कविताप्रेमियों का कहना है :
सभी को बधाई व शुभकामनाएं
सभी विजेताओं को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।
sabhi ko dheron badhaaiyaan !
Rishi ke saath maine kaafi gaanon par kaam kiya hai aur wo behad hi saksham sangeetkaar hain .... very very well deserved award for him :)
- Kuhoo Gupta
ढेरों ब्लॉगर ढेरों बधाईयां । इतने सारे ढेर। अच्छा ढेर लगाया है हिन्दी ब्लॉगरों का।
विजेताओं को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ।
regards
sabhi sahitykaron ko bahut-bahut badhai.
हिन्द-युग्म वार्षिकोत्सव वर्ष 2010 के लिए सब को बधाई और शुभकामनायें.
: राकेश.
हिन्द-युग्म वार्षिकोत्सव वर्ष 2010 के सब विजेताओं को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ ....................
सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं...हिन्दयुग्म को खूबसूरत प्रयास कि लिए बहुत-बहुत बधाई..शैलेश भारतवासी जी बहुत अच्छा लगा यह जानकर कि हिन्दयुग्म नई ऊंचाईयां छूने जा रहा है.आपके सद्प्रयास के लिए बधाई..
sabhi unikaviyo ko badhai.......
Sumit Bhardwaj
आपके बढते कदमों के लिए शुभकामनाएं
और, विजेताओं को बधाई
बहुत ही शानदार प्रयास है। इसकी जितनी सराहना की जाए, कम है।
इस समारोह में सम्मानित किये जाने वाली सभी जनों को हार्दिक बधाई।
...........
ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का विनम्र प्रयास।
सभी को बधाई व शुभकामनाएं...हिंद युग्म की जितनी प्रशंसा की जाए कम है..
Hindi yung k jaise kisi prayas ka bhut arse se intzaar tha..mujhe amantrit karne ke lie dhnayvaad
prayaas ki jitni taareeef ki jaye kam hai ..aamntran ke lie dhanyvaad
कार्यक्रम की रूपरेखा इसमें सम्मिलित होने को उत्साहित कर रही है...निश्चय ही यह सफल होगा...मेरी शुभकामनाएं...
समस्त प्रतिभागियों/विजेताओं को भी बहुत बहुत बधाई...
bahoot sundar
हिन्दयुग्म के वार्षिकोत्सव में शामिल होकर बहुत अच्छा लगा .. कार्यक्रम कल्पना से कहीं अच्छा रहा. हिन्दयुग्म का स्थाई सदस्य बनने की इच्छा है .. कैसे बना जा सकता है ?
हिन्दयुग्म का ५ वर्ष का सफर अविस्मरणीय और बहुत ही सफल रहा!...ऐसे ही उन्नति यह संस्था करती रहे यही ईश्वर से नेक प्रार्थना!....कार्यक्रम का आयोजन बहुत ही बढिया रहा!...संपादक श्री. शैलेश भारतवासी का अथाग परिश्रम सराहनीय है!...श्री शैलेश भारतवासी और इस कार्यक्रम से जुडे सभी को हार्दिक बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं!
में गया था इस कार्यक्रम में.......
अच्छा था...... लेकिन फिर वही......
राजनीती थी ...... अपने ओलोगों को आगे बढाओ और नाम कमाओ....
हिन्दी युग्म दूसरो के महनत पर नाम कमाता हे.....जहां कुछ हुया नाम जोड़ दिया हमारा सदस्य ...हे हे हा हा
अच्छा धंधा हे .....पुरा एक नेता के जैसा ....
:) :)
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