तितर-बितर तारों के दम पर,
चमचम करता होगा रात का लश्कर,
चांद छुट्टी पर रहा होगा उस रात...
एक दो कमरों का घर रहा होगा,
एक दरवाज़ा जिसकी सांकल अटकती होगी,
अधखुले दरवाज़े के बाहर घूमते होंगे पिता
लंबे-लंबे क़दमों से....
हो सकता है पिता न भी हों,
गए हों किसी रोज़मर्रा के काम से
नौकरी करने....
छोड़ गए हों मां को किसी की देखरेख में...
दरवाज़ा फिर भी अधखुला ही होगा...
मां तड़पती होगी बिस्तर पर,
एक बुढ़िया बैठी होगी कलाइयां भींचे....
बाहर खड़ा आदमी चौंकता होगा,
मां की हर चीख पर...
यूं पैदा हुए हम,
जलते गोएठे की गंध में...
यूं खोली आंखे हमने
अमावस की गोद में...
नींद में होगी दीदी,
नींद में होगा भईया..
रतजगा कर रही होगी मां,
मेरे साथ.....चुपचाप।।
चमचम करती होगी रात।।।
नहीं छपा होगा,
मेरे जन्म का प्रमाण पत्र...
नहीं लिए होंगे नर्स ने सौ-दो सौ,
पिता जब अगली सुबह लौटे होंगे घर,
पसीने से तर-बतर,
मुस्कुराएं होंगे मां को देखकर,
मुझे देखा भी होगा कि नहीं,
पंडित के फेर में,
सतइसे के फेर में....
हमारे घर में नहीं है अलबम,
मेरे सतइसे का,
मुंहजुठी का,
या फिर दीदी के साथ पहले रक्षाबंधन का....
फोटो खिंचाने का सुख पता नहीं था मां-बाप को,
मां को जन्मतिथि भी नहीं मालूम अपनी,
मां को नहीं मालूम,
कि अमावस की इस रात में,
मैं चूम रहा हूं एक मां-जैसी लड़की को...
उसकी हथेली मेरे कंधे पर है,
उसने पहन रखे है,
अधखुली बांह वाले कपड़े...
दिखती है उसकी बांह,
केहुनी से कांख तक,
एक टैटू भी है,
जो गुदवाया था उसने दिल्ली हाट में,
एक सौ पचास रुपए में,
ठीक उसी जगह,
मेरी बांह पर भी,
बड़े हो गए हैं जन्म वाले टीके के निशान,
मुझे या मां को नहीं मालूम,
टीके के दाम...
निखिल आनंद गिरि
(मेरा जन्मदिन भी है, मेरी कविता भी है....आपकी बधाई का इंतज़ार है....)
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25 कविताप्रेमियों का कहना है :
जन्म दिन बहुत बहुत , मुवारक हो
मार्मिक रचना दिल को छू गयी बहुत बहुत बधाई
जन्मदिन की शुभकामनाएं
निखिलजी, जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं. कविता अच्छी लगी, अपने जन्म का अच्छा माहौल रचा है...:)
जन्मदिन की बधाई निखिल...
निखिल जी,
आपकी कविता बहुत सुन्दर है भावनाओं की एक टीस सी लिये हुये..और हाँ, इसे देखकर और पढ़कर याद आया कि पिछले साल भी आपने अपने जन्म दिन पर कविता लिखी थी..और तभी आपकी जन्म तिथि का पता लगा था...
जन्म दिन की बहुत बधाई! और भविष्य के लिये तमाम मंगलकामनायें...
janmdin ki dheron shubhkamnayein.
Kavita bahut achchi hai.
निखिल,
शब्दों में दम है... बचपन और घर की याद के साथ दिल्ली का अकेलापन भी है.. अच्छी कविता है.. जारी रहिए... जन्मदिन की बधाई...
अतुल सिन्हा
हमारे घर में नहीं है अलबम,
मेरे सतइसे का,
मुंहजुठी का,
सतइसे का अलबम हो न हो .. जन्मदिन तो नियत समय पर ही आया और आता रहेगा.
बधाई हो जन्मदिन का और मार्मिक कविता के प्रस्तुतिकरण के लिये
अपने जन्मदिन पर कविता का कलेवा..बढ़िया है निखिल बाबू..
..खैर इतनी मार्मिक कविता के लिये आभार..खूबसूरत नही कहूँगा..क्योंकि खूबसूरती कविता के लिये अंडरस्टेटमेंट होगा..जीवन खूबसूरत होता भी नही..मगर शब्दों के कोयले मे बसी उसकी आँच को आँखों पर महसूस कर पाने का अहसास इस खूबसूरती से बहुत ऊपर की चीज है..जो इस कविता को हलके-हलके तापते हुए आती है...जीवन की कितनी रेखाएँ एक दूसरे को काटती रहती हैं..और कितने जीवन अलग-अलग होते हुए भी कुछ साझा स्मृतियों के प्लेटफ़ार्म से गुजरते रहते हैं..समय यादों के साहिल पर बार-बार टकराता है..लौट जाता है..
जन्मदिन की हार्दिक बधाइयाँ..
पहले तो जन्म दिन की ढेरों बधाइयाँ...
दूसरे इस सशक्त कविता के लिए.
फिर आउंगा इस कविता को अभी और पढ़ना है..
बड़ी मार्मिक कविता है निखिल...
हमारे पास भी नहीं है एलबम मेरे सतइसे का, मुंहजुठी का या फिर दीदी के साथ पहले रक्षाबंधन का..शायद फोटो खिंचवाने का सुख नहीं पता था मेरे भी मां-बाप को या चलन नहीं था उन दिनों फोटो खिंचवाने का. एक तश्वीर भी नहीं है मां-बाप की एक साथ..
..दिल को छू लेने वाली इस कविता को अपनी आवाज दो न भाई, तुम्हारी आवाज बड़ी दमदार है कुछ और डुबो देगी पाठकों को यादों के समुंदर में..
पहले to janm din ki shub kamnaye nikhil bhai bahut hi kubsurat aur dil ko chu jane vali kavita likhi hai apne agar kisi ne aise halato ko jiya ho to vakyi ye kavita uske man ko kahi na kahi kuch aisa sonchne par vivash kar deti hai jo vakaye ek un kaha ehsasa hai
इस बेहतरीन कविता के बारे में कुछ बोलना या लिखना ज्यादती होगी..इतना ही कहूंगा कि आपके कलम से ताउम्र लाजवाब और बेहतरीन रचनाएं रची जाती रहें और कलम की उम्र हर आने वाले दिन दोगुनी हो जाए..जन्मदिन की ढेर सारी बधाईयां
बहुत बढिया कविता .
अशोक वाजपेई की कविता अपनी आसन्न प्रसवा मां के लिये याद आ गयी.
पहले तो भाई आपको जन्मदिवस की मुबारकबाद , तुम जिओ हजारों साल
अपने जीवन में वो हर मुकाम हासिल करो जो तुम पाना चाहते हो यहीदुआ है अपनी
कविता के क्या कहने बहुत खूब लिखी इसको पड़ते ही आह और वाह दिल से निकली
टीस सी है कविता में ........दर्द सा है......बहुत खूब .......बधाई.......
नहीं छपा होगा,
मेरे जन्म का प्रमाण पत्र...
नहीं लिए होंगे नर्स ने सौ-दो सौ,
पिता जब अगली सुबह लौटे होंगे घर,
पसीने से तर-बतर,
मुस्कुराएं होंगे मां को देखकर,
मुझे देखा भी होगा कि नहीं,
पंडित के फेर में,
सतइसे के फेर में....।
जन्म दिन की शुभकामनाएं ।
बहुत ही गहरे शब्द, मार्मिक प्रस्तुति ।
निखिल जी ....जन्मदिन की हार्दिक बधाईयां
"कविता दिल तक पहुँच कर वही ठहर जाने वाली है | सुबह ही पढ़ ली थी | मन में कुछ कौंध सा रहा था | अभी तक वही आलम है | इस बेचैनी से तन्हाई में निपटूंगा|
बेहद ही खूबसूरत..........जारी रखिये "
janam din ki bahut bahut badhai nikhil bhai,
kavita bahut acchi lagi...
आपका टैटू कहां है..कृपया इसका सचित्र वर्णन करें..वैसे कविता काफी अच्छी है..इसमें कोई शक नहीं है..उम्मीद है...अगली कविताओं का...
kya baat hai sir......uttam rachna...janm din ki badhai
निखिल जी,
अब मुझे खुद पर गुस्सा आ रहा है। कविता का लिंक आपके स्टेटस मैसेज में था और आपसे उस दिन (उसके एक दिन पहले और एक दिन बाद भी) बात हुई थी, लेकिन मैं बेवकूफ़ न हीं आपकी कविता पढ पाया और न हीं आपको बधाई दे पाया। इस गलती की सज़ा आप मुकर्रर कीजिए, मैं तैयार हूँ।
चलिए, अभी तो कम से कम अपनी शुभकामनाएँ दे दूँ। जैसा कि शन्नो जी ने बताया कि आपके पिछली जन्मदिन पर जब आपकी कविता पढी थी तब हीं हमें इस दिन के खास होने का पता लगा था। आपकी यह अदा काबिल-ए-तारीफ़ है कि आप याद करके अपने जन्मदिन पर एक कविता जरूर लिखते हैं। जितना आपकी पिछली कविता ने हमारे दिल को छुआ था, उतनी हीं यह कविता भी मर्मस्पर्शी है। अपने जन्म का वर्णन करने के बारे में शायद हीं किसी कवि ने सोचा होगा। आप ने उस अनछुए विषय को इस तरह छुआ है कि लगता है कि यह तो कोई जानी-पहचानी-सी कहानी है। मानो शायद यह हमारे साथ भी हुआ हो। क्योंकि हम भी तब के निम्नवर्ग से ताल्लुक रखते थे, अलग बात है कि अब मध्यमवर्ग में आ चुके हैं।
कविता के बारे में और क्या कहूँ। बस अपने कांधे पर लगे टीके का निशान निहार रहा हूँ।
इसी तरह लिखते रहें। एक बार फिर से आपके इस खास दिवस की बधाईयाँ।
-विश्व दीपक
सज़ा यही है कि दिल्ली आकर मुझे गिफ्ट दीजिए...और अगली बार नहीं भूलेंगे, ये ध्यान रखिए...
HAPPY BRITH DAY KA NIRALA TARIKA MUBARK HO
बड़ी हीं महँगी सज़ा है। एक तो दिल्ली आना और ऊपर से गिफ़्ट देना.... सोचना पड़ेगा :)
ek ek shabd chitr ban ankho me ghoom raha hai .kyan hi mohk kavita hai
der se sahi pr meri taraf se janm din ki bahut bahut shubhkamnayen .
rachana
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