इश्क सचमुच इक बला है
खुद मजा है,खुद सजा है
हो गई फ़िर से खता है
दिल तुझे जो दे दिया है
इश्क सचमुच इक बला है
रोग भी खुद,खुद दवा है
गम से बचकर है निकलना
प्यार ही बस रास्ता है
आ रही शायद वही है
दिल मेरा जो झूमता है
है हसीं अपनी धरा ये
चाँद पीछे घूमता है
ढूंढता है ‘श्याम किसको
दिल हुआ क्या लापता है
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4 कविताप्रेमियों का कहना है :
हो गई फ़िर से खता है
दिल तुझे जो दे दिया है
दिल दे दिया तो लिया भी तो है
सुन्दर गज़ल
गम से बचकर है निकलना
प्यार ही बस रास्ता है
है हसीं अपनी धरा ये
चाँद पीछे घूमता है
Yah ashaar bahut pasand aaye.
आ रही शायद वही है
दिल मेरा जो झूमता है
पहले मिसरे के अंत मे "है" आ रहा है जो आपकी गजल का रदीफ है
उचित समझे तो सुधार करें
है हसीं अपनी धरा ये
चाँद पीछे घूमता है
ye mast laga
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