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Wednesday, May 05, 2010

गया बेचने ‘श्याम’दिल को तो पाया--गज़ल


अनोखी ये इन्सां की फितरत है साहिब
लिये फ़िरता अपनो से नफरत है साहिब

रहे चाक चौबन्द पैसों की खातिर
क्यों गिनती में सांसों की गफलत है साहिब

लिखा उसका टल जाएगा क्या,कहें सब
जिसे ये नसीबी इबारत है साहिब

गरीबों के दिल में हो जिसका ठिकाना
उसी के लिये ये जग जन्नत है साहिब

लिपटते जो देखा कली को अलि से
कहा सबने रुत की शरारत है साहिब

गया बेचने ‘श्याम’दिल को तो पाया
नहीं कोई दिल की तो कीमत है साहिब

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7 कविताप्रेमियों का कहना है :

M VERMA का कहना है कि -

अनोखी ये इन्सां की फितरत है साहिब
लिये फ़िरता अपनो से नफरत है साहिब
फितरत तो ऐसी ही है
सुन्दर

संजय कुमार चौरसिया का कहना है कि -

achchhi kavya rachna

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

Unknown का कहना है कि -

गरीबों के दिल में हो जिसका ठिकाना
उसी के लिये ये जग जन्नत है साहिब
गजल पसंद आई, श्याम जी को बहुत बहुत बधाई , धन्यवाद
विमल कुमार हेडा

दिगम्बर नासवा का कहना है कि -

गरीबों के दिल में हो जिसका ठिकाना
उसी के लिये ये जग जन्नत है साहिब

कमाल का शेर है श्याम जी का ... लाजवाब ग़ज़ल है ...

दिपाली "आब" का कहना है कि -

अनोखी ये इन्सां की फितरत है साहिब
लिये फ़िरता अपनो से नफरत है साहिब

बहुत खूबसूरत मतला अर्ज़ कियाहै श्याम जी
बहुत दिन के बाद आपकी रचना पढ़ी, आनंद आ गया

मयंक का कहना है कि -

"लिपटते जो देखा कली को अलि से...रुत की शरारत है शायद.." क्या खूबसूरत खयाल है । जनाब श्याम जी, आपकी गज़लें पहले भी पढीं हैं । पर इसने तो दिल जीत लिया । ऐसे ही लिखते रहिये ।
-मयंक

डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी का कहना है कि -

गरीबों के दिल में हो जिसका ठिकाना
उसी के लिये ये जग जन्नत है साहिब
गजल ये भाई बहुत है साहिब
लेखनी मुबारक आपको श्याम साहिब.

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