अनोखी ये इन्सां की फितरत है साहिब
लिये फ़िरता अपनो से नफरत है साहिब
रहे चाक चौबन्द पैसों की खातिर
क्यों गिनती में सांसों की गफलत है साहिब
लिखा उसका टल जाएगा क्या,कहें सब
जिसे ये नसीबी इबारत है साहिब
गरीबों के दिल में हो जिसका ठिकाना
उसी के लिये ये जग जन्नत है साहिब
लिपटते जो देखा कली को अलि से
कहा सबने रुत की शरारत है साहिब
गया बेचने ‘श्याम’दिल को तो पाया
नहीं कोई दिल की तो कीमत है साहिब
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
7 कविताप्रेमियों का कहना है :
अनोखी ये इन्सां की फितरत है साहिब
लिये फ़िरता अपनो से नफरत है साहिब
फितरत तो ऐसी ही है
सुन्दर
achchhi kavya rachna
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
गरीबों के दिल में हो जिसका ठिकाना
उसी के लिये ये जग जन्नत है साहिब
गजल पसंद आई, श्याम जी को बहुत बहुत बधाई , धन्यवाद
विमल कुमार हेडा
गरीबों के दिल में हो जिसका ठिकाना
उसी के लिये ये जग जन्नत है साहिब
कमाल का शेर है श्याम जी का ... लाजवाब ग़ज़ल है ...
अनोखी ये इन्सां की फितरत है साहिब
लिये फ़िरता अपनो से नफरत है साहिब
बहुत खूबसूरत मतला अर्ज़ कियाहै श्याम जी
बहुत दिन के बाद आपकी रचना पढ़ी, आनंद आ गया
"लिपटते जो देखा कली को अलि से...रुत की शरारत है शायद.." क्या खूबसूरत खयाल है । जनाब श्याम जी, आपकी गज़लें पहले भी पढीं हैं । पर इसने तो दिल जीत लिया । ऐसे ही लिखते रहिये ।
-मयंक
गरीबों के दिल में हो जिसका ठिकाना
उसी के लिये ये जग जन्नत है साहिब
गजल ये भाई बहुत है साहिब
लेखनी मुबारक आपको श्याम साहिब.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)