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Sunday, May 02, 2010

क्षमता


शब्द ही सब कुछ है
हर्ष -उल्लास
सुख-दुःख,व्यथा-कथा..
है अव्यक्त
हर झाँकी में छिपा
समीप जाने से पहले ही
दूर क्षितिज से
नई राह खुल जाती है
नए उत्साह के साथ
जैसे पंछी लौटता है बसेरे में..

संभावनाओं की लम्बी जड़
सात समंदर पार
न जाने कहाँ है
हर "मगर" का अस्तित्व रहता भोर में
सूरज,चन्दा,तारे,पर्वत,कीडे,पतंग,केंचुए
सभी शब्द शब्द होने पर भी
शब्द बनकर नहीं रहे...

कोई उसे बिजली की रस्सी से बाँध देते हैं
तो कहीं उसके लिए कागज़,कलम,स्याही,खर्च करते हैं
हँसी,भय,दुःख,उड़ने,डूबने,चलने में समर्थ ये शब्द
प्रकाश फैला देते हैं, धुन प्रसारित कर देते हैं
सभी ने देखा
भावों में, संवेदनाओं में,रचनाधर्मिता में
घटनाओं में,आस्वाद में
यह संचरण क्षमता ही
शब्द का मुखर मौन है..

सुनीता यादव

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9 कविताप्रेमियों का कहना है :

M VERMA का कहना है कि -

यह संचरण क्षमता ही
शब्द का मुखर मौन है..
बेहतरीन
शब्दो की सीमा का विस्तार

Unknown का कहना है कि -

वास्तव में शब्दों की क्षमता का कोई पर नहीं
तलवार का घाव तो भर जाता है पर शब्दों के घाव नहीं भरते है
सुन्दर रचना के लिए बहुत बभूत बधाई धन्यवाद
विमल कुमार हेडा

Unknown का कहना है कि -

ऊपर की टिपणी में मात्रात्मक त्रुटी रहगई उसे इस प्रकार पढ़े
कोई पर नहीं के स्थान पर
कोई पार नहीं
एवं
बहुत बभूत के स्थान पर
बहुत बहुत

धन्यवाद
विमल कुमार हेडा

स्वप्निल तिवारी का कहना है कि -

achhe shabd diye shabdon ko
yun hi vyarth kiye shabdon ko .. :)

SAMVEDNA का कहना है कि -

छमता एक विदुशी का चिन्तन है कि
शब्द किसी भी सभ्यता एवं सस्क्रति का इतिहास रचते है
यदि शब्द नही होते हम अपनी भावनाओ को कैसे उकेरते?
अति सुन्दर !
बधाई!
बोधि सत्व कस्तूरिया

Aruna Kapoor का कहना है कि -

शब्दों में कितनी क्षमता होती है और शब्दों की कितनी अहमियत होती है... यह भाव सुनिताजी ने इस कविताके माध्यम से व्यक्त किया है...एक सुंदर रचना!

ritu का कहना है कि -

shabd ki aaena jo yathartha samne late hain.bahot hi sundar

दिपाली "आब" का कहना है कि -

सच कहा सुनीता जी,
येः शब्द ही हैं जो हमें अपने मन कि व्यथा सामने लाने में मदद करते हैं,
बहुत सुन्दर रचना.
शब्द संयोजन भी सुन्दर है

डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी का कहना है कि -

भावों में, संवेदनाओं में,रचनाधर्मिता में
घटनाओं में,आस्वाद में
यह संचरण क्षमता ही
शब्द का मुखर मौन है..
वाह खूब!
शब्द मे अव्यक्त अर्थ भरने से कविता बनती है और आप यह सृजन करने मे सिद्धहस्त है.

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