नारी:
मुझे सूरजमुखी या चाँद ना कहा करो
मैं खुद रोशनी हूँ
सूरज की तरफ ताका नहीं करती।
अम्मा:
बँटवारे में बाबू जी आए
बडकऊ के हिस्से में
माँ का कौरा बहा गया
छोटकू के घर से
लिट्लबिट प्रोफेशनल होने की
कोशिश में हैं अम्मा
कलेजा फँट गया पर
ना रोई
ना छापा हल्दी प्याज
जब इनरे पर गिर गये बडकऊ
निकल आया माथे पर गुल्ला।
बहन:
शादी के बाद
भैया बिदके रहते है
छोटकी बहन से
ननद की तरह.
साली को करते है इतना प्यार
जैसे वही छुटकी हो.
भाभी:
होली में गाल पे गुलाल मलने
की कोशिश पर
बी इन लिमिट एण्ड
डोन्ट मिस्बिहैव
का सख्त जुमला सुनने के बाद
भकुआ गये है देवर
अब रहते है भाभी के भाई बनकर
नदिया के पार को
बता रहे है
इमेजिनरी फिल्मी ड्रामा।
पत्नी:
डायोर्स के पेपर पर
तुम्हारे साइन के बाद
ख़त्म हो गयी मियाद मेरे रिश्ते की
मुझे भी दो आरक्षण
चालिश प्रतिशत से ज़्यादा है मेरी
भावनात्मक विकलांगता.
बिटिया:
कौन बनेगा करोड़पति में
कैटरीना नही दे पाई
बिग ब के आसान सवाल का जबाब.
वो कौन सा जीव है
जो पैदा होने के 6 महीने पहले ही मर जाता है?
ए. गाय ब. बकरी सी. साँप डी. बिटिया
कैटरीना
कितना कम जानती हो तुम
अपने बारे में.
यूनिकवि- अखिलेश श्रीवास्तव
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18 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत समर्थ लेखन से रूबरू हुआ
सार्थक और गहराई लिये
वाह
बहुत समर्थ लेखन से रूबरू हुआ
सार्थक और गहराई लिये
वाह
bahut achha
ab main kya kahun...sar jhuk gaya aapke liye ant ne to jhakjhor diya...hats off to you....
ammaa..
bahan........
aur bhaabhi kaa nahin pataa..
lekin....
aajkal ki patni...bitiyaa......
aur.....
hameshaa se hi jeewant rahne waali naari ko pranaam......
sahmat...
sahmat..
:)
\
sahmat.
रचनाएँ पसंद आयी , बहुत बहुत बधाई धन्यवाद
विमल कुमार हेडा
भाई अखिलेशजी, शुक्रिया इतनी अच्छी कविताओं के लिए। सलाम करने को जी चाहता है। कुछ भाव ऐसे होते हैं जिनमें ज्यादा गढ़न और कीमियागिरी से बात बनने की बजाय बिगड़ जाती है। ये कविताएं अनुभव की सच्चाई और पूर्णता का अहसास करा रही हैं। इन मुददों पर बहुत कम लिखा जा रहा है, आप खूब लिखें यही कामना है।
अम्मा पढ़ते-पढ़ते ही यकीं हो जाता है कि यह लेखनी अखिलेश जी की ही हो सकती है..और कुछ क्षणिकाओं के सहारे रिश्तों के पूरे स्पेक्ट्रम के हर रंग को साध लिया..खासकर जहाँ पत्नी वाली रिश्ते के टूटने की तल्खबयानी को सधे सुर देती है तो बिटिया वाली हमारी अज्ञानता का सबसे डरावना रूप दिखाती है..मगर अम्मा वाली तो..उफ़..
लिट्लबिट प्रोफेशनल होने की
कोशिश में हैं अम्मा
कलेजा फँट गया पर
ना रोई
मगर फिर भी अम्मा को कभी प्रोफ़ेशनल होना न आया..
अखिलेश जी की छोटी और सधी हुई सशक्त रचनाओं ने अंतर की संवेदनाओं के तालाब में कंकड़ का काम किया है..
प्रमोद भाई के आशीर्वाद सीधे मस्तक पर, उनकी ठलुआ , दीदी कविताये युग्म के साथ साथ हमारे लिए भी धरोहर जैसे है.
उनके संकलन की प्रतीक्षा है.
नारी के रिस्तो पर लिखी कविता में इक भी नारी की आलोचना नहीं मिली , कविता को सफल कैसे मानू..
हा हा ...
मनु , अपूर्व , मशाल .... इतने लोग कह रहे है तो मानना ही पड़ेगा.
आप सब को बधाई.
इस बार उनिकोदे में कविता नहीं भेज पाया था ,कई जगह ले टूट रही है.
sari ki sari rachnayen bahut hi achhi hain...kam shabdon me badi badi bat kah gaye aap ...and the last one..its incredible..hats off .....
मुझे सूरजमुखी या चाँद ना कहा करो
मैं खुद रोशनी हूँ
सूरज की तरफ ताका नहीं करती
इतना गुरूर अमूमन होता नहीं है नारी में पर फिर भी अच्छी लगी ये पंक्तियाँ भी
क्या बात है अखिलेश जी बहुत खूब ,आलोचना की कोई गुंजाइश कहीं है ही नहीं
BAHUT ACHCHA LAGA MERA NAAM DILEEP
HAI AUR LIKHANA MUJHE BHI ACHCHA
LAGTA HAI 09336265169
kavittay main bhi likti hu or bhi likhna chahti hu aapke lye, aapke paper ke lye or sbke lye cchapoge kya meri kavita jitna khoge utna likh dungi......Shashi Atwal (Poetes)
kavittay main bhi likti hu or bhi likhna chahti hu aapke lye, aapke paper ke lye or sbke lye cchapoge kya meri kavita jitna khoge utna likh dungi......Shashi Atwal (Poetes)cont:shashiatwal1309@gmail.com
kavita ka prasang yah hai ki naari purus k sath kadam mila kar chalti hai phir bhi purus kau kahta hai meri saflta k peche kisi mahila k hath hai blki ya kahna chiya uska sath mere sath hai mere agai uska hath jase -"radhe kisna"
VERY NICE
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