फटाफट (25 नई पोस्ट):
बहुत खूब श्याम जी..
जाने कहाँ फिसलखुशियों के पल गयेखुशियों के पल वाकई चले गये हैसुन्दर गज़ल
सुन्दर रचना । बधाई ॥
जाने कहाँ फिसलखुशियों के पल गयेbahut sundersaaderrachana
जाने कहाँ फिसलखुशियों के पल गयेbahut khoob saaderrachana
बहुत सुंदर गजल।
bahut acha likha hai aapne,sach ko khoobsurat shabdo main dhala hai.
सच कहा आपने सब कुछ बदल रहा है....बढ़िया ग़ज़ल श्याम जी
बहुत सुन्दर विचार अभिव्यक्ति और शब्द-विन्यास ।
रिश्ते बदल गयेसिक्कों में ढल गयेदुश्मन तो दूर थेअपने ही छल गयेबहुत खूब श्याम जी, आज के समाज में अधिकतर लागों की मानसिकता को उजागर कराती ये रचना बहुत अच्छी लगी, बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद विमल कुमार हेडा
sundar rachna, gehre bhaav, gazal aur kavita dono ke gun. Badhai ho Shyamji!
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत खूब श्याम जी..
जाने कहाँ फिसल
खुशियों के पल गये
खुशियों के पल वाकई चले गये है
सुन्दर गज़ल
सुन्दर रचना । बधाई ॥
जाने कहाँ फिसल
खुशियों के पल गये
bahut sunder
saader
rachana
जाने कहाँ फिसल
खुशियों के पल गये
bahut khoob
saader
rachana
बहुत सुंदर गजल।
bahut acha likha hai aapne,sach ko khoobsurat shabdo main dhala hai.
सच कहा आपने सब कुछ बदल रहा है....बढ़िया ग़ज़ल श्याम जी
बहुत सुन्दर विचार अभिव्यक्ति और शब्द-विन्यास ।
रिश्ते बदल गये
सिक्कों में ढल गये
दुश्मन तो दूर थे
अपने ही छल गये
बहुत खूब श्याम जी, आज के समाज में अधिकतर लागों की मानसिकता को उजागर कराती ये रचना बहुत अच्छी लगी, बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद
विमल कुमार हेडा
sundar rachna, gehre bhaav, gazal aur kavita dono ke gun. Badhai ho Shyamji!
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