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Wednesday, March 24, 2010

रिश्ते बदल गये सिक्कों में ढल गये-gazal


रिश्ते बदल गये
सिक्कों में ढल गये

दुश्मन तो दूर थे
अपने ही छल गये

जो थे खरे, रहे
खोटे थे चल गये

काम क्या आ पड़ा
थे सभी टल गये

जाने कहाँ फिसल
खुशियों के पल गये

 बदला तू 'श्याम’ कुछ
कुछ हम बदल गये

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11 कविताप्रेमियों का कहना है :

kavi kulwant का कहना है कि -

बहुत खूब श्याम जी..

M VERMA का कहना है कि -

जाने कहाँ फिसल
खुशियों के पल गये
खुशियों के पल वाकई चले गये है
सुन्दर गज़ल

dipayan का कहना है कि -

सुन्दर रचना । बधाई ॥

rachana का कहना है कि -

जाने कहाँ फिसल
खुशियों के पल गये
bahut sunder
saader
rachana

rachana का कहना है कि -

जाने कहाँ फिसल
खुशियों के पल गये
bahut khoob
saader
rachana

Jandunia का कहना है कि -

बहुत सुंदर गजल।

sheetal का कहना है कि -

bahut acha likha hai aapne,sach ko khoobsurat shabdo main dhala hai.

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

सच कहा आपने सब कुछ बदल रहा है....बढ़िया ग़ज़ल श्याम जी

प्रवीण पाण्डेय का कहना है कि -

बहुत सुन्दर विचार अभिव्यक्ति और शब्द-विन्यास ।

Unknown का कहना है कि -

रिश्ते बदल गये
सिक्कों में ढल गये

दुश्मन तो दूर थे
अपने ही छल गये

बहुत खूब श्याम जी, आज के समाज में अधिकतर लागों की मानसिकता को उजागर कराती ये रचना बहुत अच्छी लगी, बहुत बहुत बधाई, धन्यवाद
विमल कुमार हेडा

Rajesh 'Pankaj' का कहना है कि -

sundar rachna, gehre bhaav, gazal aur kavita dono ke gun. Badhai ho Shyamji!

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