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Wednesday, February 24, 2010

पति - पत्नी


अहा ! मन में बिखरी खुशियाँ,

अहा ! दिल में खिलती कलियाँ .

आज यौवना का परिणय है,

अपने सपनों में तन्मय है .



लेकर भाव पूर्ण समर्पण,

करना है यह तन मन अर्पण .

पल्लव मन गुंजारित हर्षित,

लज्जा नारी सुलभ समर्पित .



मृदु-क्रीड़ा, आलिंगन, चुंबन,

रोम रोम में भरते कंपन .

अधीर हृदय की प्रणय पुकार,

उष्ण स्पर्श की मधु झंकार .



पुष्प सुवासित महका जीवन,

सात रंग से बहका जीवन .

किलकारी से खिला संसार,

खुशियों का न पारावार .



जग जीवन ने डाला भार,

कर्तव्यों का बोझ अपार .

मीत की मन में प्रीत अथाह,

देखे लेकिन कैसे राह .



अब शिथिल हुआ है बाहुपाश,

भटका मन है बृहत आकाश .



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मन में कोंपल फूट रही हैं,

सिंधु तरंगे उमड़ रही हैं .

माही को पाने की चाह,

बंधन पावन शुभ्र विवाह .



उन्माद अतुल रूप की राह,

काम तरंगित रुधिर प्रवाह .

भाव भंगिमा अंग उभार,

मोहित करतीं हृदय अपार .



सुरभि सांस में अधर विनोद,

रूप आलिंगन मदिर प्रमोद .

तन मन पर कर पति अधिकार,

आत्मिक सुख पौरुष संसार .



निसर्ग मिलन प्रकृति उपहार,

जीवन नन्हा हुआ साकार .

जग जीवन ने डाला भार,

कर्तव्यों का बोझ अपार .



भूल गया वह बाग बहार,

पाने को सारा संसार .

जग में हो उसका उत्थान,

सभी करें उसका सम्मान .



अब शिथिल हुआ है बाहुपाश,

भटका मन है बृहत आकाश .


कवि कुलवंत सिंह

--
Kavi Kulwant Singh
http://kavikulwant.blogspot.com
http://kulwant.mumbaipoets.com/
022-25595378
09819173477

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9 कविताप्रेमियों का कहना है :

प्रकाश पंकज | Prakash Pankaj का कहना है कि -

वाह अति सुन्दर ..... बहुत की मीठा
धन्यबाद कुलवंत सिंह जी

श्रद्धा जैन का कहना है कि -

bahut sunder geet
aap jab bhi likhte hain shabdon ka chayan bahut achcha hota hai

Harihar का कहना है कि -

पुष्प सुवासित महका जीवन,

सात रंग से बहका जीवन .

किलकारी से खिला संसार,

खुशियों का न पारावार .

बहुत सुन्दर कविता ! कुलवन्त जी !

Anonymous का कहना है कि -

सुन्दर कविता बहुत बहुत बधाई , धन्यवाद
विमल कुमार हेडा

निर्मला कपिला का कहना है कि -

बहुत अच्छी लगी रचना कुलवन्त जी को बधाई

रचना प्रवेश का कहना है कि -

प्रेम समर्पण का बहुत हि सुन्दर शब्दो से चित्रण किया हे ,मानाव मन प्यार पाना ओर देना ही चाह्ता हे पर भोतिक जिम्मेदारिया मनुश्य की नाजुक भावनाओ क रुख मोड देती हे .........बहुत सुन्दर गीत कि रचना कि हे आपने ......बधाई!!!

जग जीवन ने डाला भार,

कर्तव्यों का बोझ अपार .

मीत की मन में प्रीत अथाह,

देखे लेकिन कैसे राह .

Neeraj Kumar का कहना है कि -

होली आई जी...
और मन में उठती है तरंगे...
प्रस्फुटित होती हैं उद्दात्त यौवन की लहरें...
तो क्यों न कवी मन बौराए...
और बौराएँ कवि कुलवंत तो कविता की ही खिलेंगे होली...
मन भिगो दिया आपने हम सभी का...
सुन्दर अतिसुन्दर...

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

लेकर भाव पूर्ण समर्पण,
करना है यह तन मन अर्पण .
पल्लव मन गुंजारित हर्षित,
लज्जा नारी सुलभ समर्पित ,

अत्यन्त सुंदर रचना....बढ़िया लगी..बधाई!!

kavi kulwant का कहना है कि -

aap sabhi ke pyaar se sarabor hun.. ot prot hun.. happy holi to all of you dear friends.. with love

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