अहा ! मन में बिखरी खुशियाँ,
अहा ! दिल में खिलती कलियाँ .
आज यौवना का परिणय है,
अपने सपनों में तन्मय है .
लेकर भाव पूर्ण समर्पण,
करना है यह तन मन अर्पण .
पल्लव मन गुंजारित हर्षित,
लज्जा नारी सुलभ समर्पित .
मृदु-क्रीड़ा, आलिंगन, चुंबन,
रोम रोम में भरते कंपन .
अधीर हृदय की प्रणय पुकार,
उष्ण स्पर्श की मधु झंकार .
पुष्प सुवासित महका जीवन,
सात रंग से बहका जीवन .
किलकारी से खिला संसार,
खुशियों का न पारावार .
जग जीवन ने डाला भार,
कर्तव्यों का बोझ अपार .
मीत की मन में प्रीत अथाह,
देखे लेकिन कैसे राह .
अब शिथिल हुआ है बाहुपाश,
भटका मन है बृहत आकाश .
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मन में कोंपल फूट रही हैं,
सिंधु तरंगे उमड़ रही हैं .
माही को पाने की चाह,
बंधन पावन शुभ्र विवाह .
उन्माद अतुल रूप की राह,
काम तरंगित रुधिर प्रवाह .
भाव भंगिमा अंग उभार,
मोहित करतीं हृदय अपार .
सुरभि सांस में अधर विनोद,
रूप आलिंगन मदिर प्रमोद .
तन मन पर कर पति अधिकार,
आत्मिक सुख पौरुष संसार .
निसर्ग मिलन प्रकृति उपहार,
जीवन नन्हा हुआ साकार .
जग जीवन ने डाला भार,
कर्तव्यों का बोझ अपार .
भूल गया वह बाग बहार,
पाने को सारा संसार .
जग में हो उसका उत्थान,
सभी करें उसका सम्मान .
अब शिथिल हुआ है बाहुपाश,
भटका मन है बृहत आकाश .
कवि कुलवंत सिंह
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Kavi Kulwant Singh
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
वाह अति सुन्दर ..... बहुत की मीठा
धन्यबाद कुलवंत सिंह जी
bahut sunder geet
aap jab bhi likhte hain shabdon ka chayan bahut achcha hota hai
पुष्प सुवासित महका जीवन,
सात रंग से बहका जीवन .
किलकारी से खिला संसार,
खुशियों का न पारावार .
बहुत सुन्दर कविता ! कुलवन्त जी !
सुन्दर कविता बहुत बहुत बधाई , धन्यवाद
विमल कुमार हेडा
बहुत अच्छी लगी रचना कुलवन्त जी को बधाई
प्रेम समर्पण का बहुत हि सुन्दर शब्दो से चित्रण किया हे ,मानाव मन प्यार पाना ओर देना ही चाह्ता हे पर भोतिक जिम्मेदारिया मनुश्य की नाजुक भावनाओ क रुख मोड देती हे .........बहुत सुन्दर गीत कि रचना कि हे आपने ......बधाई!!!
जग जीवन ने डाला भार,
कर्तव्यों का बोझ अपार .
मीत की मन में प्रीत अथाह,
देखे लेकिन कैसे राह .
होली आई जी...
और मन में उठती है तरंगे...
प्रस्फुटित होती हैं उद्दात्त यौवन की लहरें...
तो क्यों न कवी मन बौराए...
और बौराएँ कवि कुलवंत तो कविता की ही खिलेंगे होली...
मन भिगो दिया आपने हम सभी का...
सुन्दर अतिसुन्दर...
लेकर भाव पूर्ण समर्पण,
करना है यह तन मन अर्पण .
पल्लव मन गुंजारित हर्षित,
लज्जा नारी सुलभ समर्पित ,
अत्यन्त सुंदर रचना....बढ़िया लगी..बधाई!!
aap sabhi ke pyaar se sarabor hun.. ot prot hun.. happy holi to all of you dear friends.. with love
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