झूठ कभी मुझको रास नहीं आया
सच सुनकर कोई पास नहीं आया
कौन भला समझे अब दुख हाकिम का
हुक्म बजाने को दास नहीं आया
भूखे पेट सदा सोये हम यारो
भूखे पेट सदा सोये हम यारो
करना लेकिन उपवास नहीं आया
पाँव बुजुर्गों के दाबे हैं हमने
यार हुनर यह अनायास नहीं आया
ईद दिवाली होली त्यौहार गए
अम्मा हिस्से अवकाश नहीं आया
यार महाभारत बच जाता,करना
पाँचाली को उपहास नहीं आया
ईद दिवाली होली त्यौहार गए
अम्मा हिस्से अवकाश नहीं आया
यार महाभारत बच जाता,करना
पाँचाली को उपहास नहीं आया
‘आम‘ सभी बिकते हैं बेभाव यहाँ
`श्याम `कभी बिकने ‘खास‘ नहीं आया
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9 कविताप्रेमियों का कहना है :
duniya me bahut kam hi log ek dusare ke dukh ko samajh paate hai...badhiya bhav....sundar rachana..badhai shyam ji
Bahut Badhiya Hai Bhai.
सच कहना मुझको रास नहीं आया
सुनकर सच कोई पास नहीं आया
सच हमेशा कडवा होता है, बहुत सुन्दर रचना श्यामजी को बहुत बहुत बधाई
धन्यवाद
विमल कुमार हेडा
wah shyam ji wah..
हर शेर मन को भाया सखा जी....
आपकी रचनाओँ में भाषा और भाव का
सुंदर समावेश हमेशा ही देखने को मिला है.....आभार....
गीता पंडित
भूखे पेट सदा सोये हम यारो
करना लेकिन उपवास नहीं आया
गरीबो के दर्द को क्या सही तरीके से फ़रमाया है..बधाई शाम जी!
सीधे सादे शब्द लेकिन गहरी बात
ईद दिवाली होली त्यौहार गए
अम्मा हिस्से अवकाश नहीं आया
वाकई मां को क्ब अवकाश मिला है
ईद दिवाली होली त्यौहार गए
अम्मा हिस्से अवकाश नहीं आया
sahi kaha maa to bas kaam hi karti hai
सच कहना मुझको रास नहीं आया
सुनकर सच कोई पास नहीं आया
sach kaha aap ne
aap ki puri gazal hi sunder hai.
aap jo photo lagate hain vo bhi bahut achchhi hoti hai
saader
rachana
भूखे पेट सदा सोये हम यारो
करना लेकिन उपवास नहीं आया
apke shabdo ne aas paas ki haqiqat ko behad sankshipt aur sadhe hue andaaj mein byan kiya hai padhkar lga jaise mai bhi to kitne dino se yehi kehna chah rahi thi..jab pathak apki rachna se itna jud jaye to samjhe ki rachna safal hui
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