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Wednesday, February 03, 2010

उनको कहाँ सुधरना था -गज़ल


जीना था या मरना था
आखिर कुछ तो करना था

भीतर दफ्तर था खाली
बाहर बैठा धरना था

दर्द न था जब कोई भी
क्यों अश्को का झरना था

मेरे बदले मरता कौन
मुझको ही तो मरना था

डूब गये वो दरिया में
जिनको  पार उतरना था

पछताना मत 'श्याम सखा
उनको कहाँ सुधरना था

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16 कविताप्रेमियों का कहना है :

निर्मला कपिला का कहना है कि -

भीतर दफ्तर था खाली
बाहर बैठा धरना था
डूब गये वो दरिया मे
नको पार उररना था
वाह लाजवाब गज़ल है । आज मेरी गज़ल को भी अपना स्नेह दें धन्यवादी हूँगी।

श्यामल सुमन का कहना है कि -

कहि पते की बात गजल में
मुझको निश्चित पढ़ना था

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

श्यामल सुमन का कहना है कि -

कहि पते की बात गजल में
मुझको निश्चित पढ़ना था

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

Sajeev का कहना है कि -

भीतर दफ्तर था खाली
बाहर बैठा धरना था

वाह श्याम जी, बहुत खूब....हर शेर कमाल का लगा

Anonymous का कहना है कि -

बहुत ही बढ़िया गजल, बहुत बहुत बधाई एवं धन्यवाद
विमल कुमार हेडा

रवीन्द्र शर्मा का कहना है कि -

प्यारी ग़ज़ल ....वाह वाह
रवीन्द्र शर्मा 'रवि '

M VERMA का कहना है कि -

बहुत सुन्दर गज़ल

bhawna का कहना है कि -

मेरे बदले मरता कौन,
मुझको ही तो मरना था........

थोड़े शब्दों में जिंदगी की सच्चाई...बहुत सुंदर।

rachana का कहना है कि -

भीतर दफ्तर था खाली
बाहर बैठा धरना था
sahi kaha aap ne
मेरे बदले मरता कौन
मुझको ही तो मरना था

kitni unchi baat aur kitni sadgi se kah di aap ne ye to aap hi kar sakte hain
bahut sunder
saader
rachana

manu का कहना है कि -

मेरे बदले मरता कौन
मुझको ही तो मरना था..
बहुत सुन्दर श्याम जी..

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

बहुत खूब....खूब संवारा है आपने भावों को...धन्यवाद सुंदर ग़ज़ल के लिए..

Anonymous का कहना है कि -

धन्यवाद्
जो जैसा करके आया है
उसको वैसा भरना था

Unknown का कहना है कि -

goodone

Anonymous का कहना है कि -

मेरे बदले मरता कौन
मुझको ही तो मरना था
बहुत सही बत कही आपने ...सुंदर और हर उम्दा शेर के लिये बहुत-बहुत बधाई! शाम सखा जी आपसे मुलाकात करनी थी वह रह गई इसका अफ़सोस रह गया। बाद में आप दिखायी नहीं दिये। सोचा तो यह था कि आप सभी को मिलूं जो हिन्दयुग्म से जुडे हैं लेकिन यह मुराद पूरी न हो सकी...!

evarunjain का कहना है कि -

Jindagi jinda dili ye kis bla ka naam hai
Jindagi jinda dili ye kis bla ka naam hai
Gam Ko Chupana Aur Mehfil me muskurana yahi toh hum asshiqo ka kaam hai

regards,
Abaxis Software
Home Page
http://www.abaxsoft.com

Varun Jain का कहना है कि -

भीतर दफ्तर था खाली
बाहर बैठा धरना था
कहि पते की बात गजल में
मुझको निश्चित पढ़ना था

Varun Jain

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