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Wednesday, January 13, 2010

गमों को जीत मैं आँसू छुपाता


गमों को जीत मैं आँसू छुपाता .
खुशी के गीत हूँ हर पल सुनाता .


किया है खून मेरा तो उसी ने,
जिसे था मैं कभी अपना बताता .


हुआ मुश्किल है लेना सांस भी अब,
हवा में ज़हर देखो वह मिलाता .


किसे दूँ दोष यह गलती मेरी ही,
सभी को क्यों मैं हूँ अपना बनाता .


जिसे दर्जा दिया मैने पिता का,
वही था आग में मुझको जलाता .


जिसे अपना समझ दिल में बिठाया,
मजे लेकर कलेजा भून खाता .


बनाये क्यूँ भला हैवान उसने,
मजे क्या खेल के लेता विधाता .


कवि कुलवंत सिंह

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

हुआ मुश्किल है लेना सांस भी अब,
हवा में ज़हर देखो वह मिलाता .
सारे शेर बहुत सुंदर - एक से बढ़कर एक - बहुत प्यारी भावपूर्ण ग़ज़ल

Anonymous का कहना है कि -

मेरे साथियो - मै इस पत्रिका की पाठिका थी और कवयित्री भी , लोगों के सामने अलग चेहरा रखने वाले इस तरह के लोगो से सावधान रखिये यही कहूंगी
अनाम

Anonymous का कहना है कि -

बनाये क्यूँ भला हैवान उसने,
मजे क्या खेल के लेता विधाता .
सुंदर ग़ज़ल के लिए कवि को बधाई.
फिर से अपनी टिप्पणी इसलिए पोस्ट कर रहा हूँ कि इस पत्रिका की अनाम पाठिका और कवयित्री कृपया स्पष्ट करें कि वो क्या कहना चाहती हैं, लोगों के सामने अलग चेहरा रखने वाले इस तरह के लोग कौन हैं?

msi-kagad का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
निर्मला कपिला का कहना है कि -

किया है खून मेरा तो उसी ने,
जिसे था मैं कभी अपना बताता .


हुआ मुश्किल है लेना सांस भी अब,
हवा में ज़हर देखो वह मिलाता . वाह वाह हर शेर लाजवाब बना है कवि कुलवन्त जी को बहुत बहुत बधाई । आपका धन्यवाद्

Unknown का कहना है कि -

acchaa kahane ka rivaj hai hum kah dete hain lekin
जिसे दर्जा दिया मैने पिता का,
वही था आग में मुझको जलाता .


जिसे अपना समझ दिल में बिठाया,
मजे लेकर कलेजा भून खाता .
ye panktiyan ghazal ki komalta par aaghaat de rhin hain kavi ji

Unknown का कहना है कि -

anoni ji
kam se kam jinki aur aapka ishaara hai unke chehare to hain aap to....jane kya hain .hain bhi ya nhin yah bhi sochiye aap khud
गमों को जीत मैं आँसू छुपाता .
खुशी के गीत हूँ हर पल सुनाता
yeh khoobsoorat bhav hai aisibaten likhen-sarthk

rachana का कहना है कि -

किसे दूँ दोष यह गलती मेरी ही,
सभी को क्यों मैं हूँ अपना बनाता .
bahut sunder

हुआ मुश्किल है लेना सांस भी अब,
हवा में ज़हर देखो वह मिलाता .
lajawab
saader
rachana

Unknown का कहना है कि -

ghazal acchi lagi......
sumit bhardwaj

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

किया है खून मेरा तो उसी ने,
जिसे था मैं कभी अपना बताता .

आज के दौर में अपनों से ज़्यादा धोखा खाते है हम..बढ़िया रचना..धन्यवाद जी!!

Anonymous का कहना है कि -

बहुत ही सुन्दर रचना कुलवंत जी बहुत बहुत बधाई
विमल कुमार हेडा

Kavi Kulwant का कहना है कि -

आप सभी का बहुत शुक्रिया...

रचना प्रवेश का कहना है कि -

दर्द था दिल मै वो घुमड कर बरसा,
शब्द कि बुन्दे लिये भावो का अन्धड बरसा

अपनो के धोके रिसते है जख्म बन कर
किया है खून मेरा तो उसी ने,
जिसे था मैं कभी अपना बताता

बहुत अच्छी रचना हे........बधाई

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