जब भी तुझको याद करते हैं सनम
खुद को ही बरबाद करते हैं सनम
आपके पहलू में निकले अपना दम
बस यही फरियाद करते हैं सनम
हम फ़कीरों का ठिकाना, है कहां
टूटे दिल आबाद करते हैं सनम
कैद जुल्फों में तेरी हम तो रहें
पर तुझे आजाद करते हैं सनम
खेल अपनी जान पर ही तो शलभ
इश्क जिन्दाबाद करते हैं सनम
कोशिशे नाकाम सारी जब हुईं
तब भला इमदाद करते हैं सनम
‘श्याम’ है दरवेश,है खानाखराब
पर उसे सब याद करते हैं सनम
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8 कविताप्रेमियों का कहना है :
हमेशा की तरह अच्छी गजल.
बधाई स्वीकार करें..
बहुत सुन्दर गज़ल है ।लोहडी की हिन्द युग्म परिवार को बहुत बहुत बधाई
बहुत सुन्दर गज़ल !!
हम फ़कीरों का ठिकाना, है कहां
टूटे दिल आबाद करते हैं सनम
कैद जुल्फों में तेरी हम तो रहें
पर तुझे आजाद करते हैं सनम
बहुत खूब
सुन्दर लिखा है श्याम जी...
शलभ वाली बात भी ठीक ही है...
हम फ़कीरों का ठिकाना, है कहां
टूटे दिल आबाद करते हैं सनम
बढ़िया ग़ज़ल..बधाई स्वीकारें श्याम जी!!
hamesha ki tarah sunder likha hai sabhi sher achchhe lage
badhai
saader
rachana
जब भी तुझको याद करते हैं सनम
खुद को ही बरबाद करते हैं सनम
आपके पहलू में निकले अपना दम
बस यही फरियाद करते हैं सनम
हम फ़कीरों का ठिकाना, है कहां
टूटे दिल आबाद करते हैं सनम
wah.. wah.. bahut khoob..
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