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Tuesday, December 22, 2009

एक छोटी सी कविता


धरती को बता देगें, अम्बर को दिखा देंगे
अन्दर जो सुलगता है उसे और हवा देंगे

बेनाम नहीं रहना, बेजान नहीं रहना
है सच का साया तो ज़ुल्म नहीं सहना

तकदीर बदल देंगे, तस्वीर बदल देंगे
सूरज जो निकलता है उसे नई सहर देंगे

कवि- अवनीश गौतम

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4 कविताप्रेमियों का कहना है :

मनोज कुमार का कहना है कि -

बहुत अच्छे भाव, बहुत सुंदर कविता।

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

आत्मविश्वास बढ़ाती हुई एक प्रेरक कविता छोटी भले हो परंतु शब्दों और विचारों में विशाल सागर जैसी है यह आपकी यह कविता..बहुत बधाई.

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