अधूरा
है पुरूष
इसीलिए
पालता है भ्रम
नाथ,
स्वामी,
पति,
होने का
पति,
सेनापति
यूथ पति
या राष्ट्रपति होने
या फ़िर है उसे वहम
ईश्वर होने का,
अर्धनारीश्वर होने का
लक्ष्मी पति-विष्णु
उमापति महादेव
यहां तक कि
राधाकृष्ण-सीता राम
राधे श्याम या
गौरी शंकर
पुरूष
रहता है पीछे-पीछे नारी के
जबकि
नारी है पूर्ण प्रकृति
इसी लिये उसके
लिये बेमानी
है
पत्नी,स्वामिनी या देवी होना
वह तो है जननी
मां
जी मां दुर्गा
मां अम्बिका
मां भवानी
हां मां होना ही
तो है प्रकृति होना
मां सचमुच है मां
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4 कविताप्रेमियों का कहना है :
मां होना ही तो है प्रकृति होना
मां सचमुच है मां
सखा जी अति सुंदर - सादर
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राकेश कौशिक
जी मां दुर्गा
मां अम्बिका
मां भवानी
हां मां होना ही
तो है प्रकृति होना
मां सचमुच है मां
Maa sachmuch maa hai isase badh kar duniya me kuch nai aur rahi nari aur purush ki baat to wo sadiyon se chali aa rahi gatha hai nari ka naam purush ke naam ke aage aata hai..
सही कहा है ...नारी के बिना पुरुष अधुरा है तभी तो हमेशा नारी के पीछे पीछे रहता है ...कहीं भी देख लो अपनी गली मोहल्ले से लेकर आधुनिक मॉल्स और फिल्मो तक ...नारी को कविता , निबंधों और लेखो में पूजा गया पर हकीकत में उसी पुरुष ने अपना रूप बदल लिया और नारी को बताया की उसकी जगह सिर्फ पैरों में है ...कितनी बड़ी विडंबना है ये
सही कहा , परन्तु ना्री, पत्नी, स्वामिनी, देवी हुए बिना मां नहीं हो सकती ।
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