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Sunday, October 04, 2009

जाने क्यों


जाने क्यों,
कब,
कैसे,
लेकिन कुछ छूट जाता है

बहुत सहेजा,
नाज़ुक रिश्ता,
टूट जाता है....

माँ से हर बात बाँटना
पिता से छोटी-छोटी
चीजों पर ज़िद करना

ज़रा-ज़रा सी बात पर
बहन से रूठना,
भाई से झगड़ना,
परिवार के
हर सदस्य ...
हर वस्तु ...
पर अपना अधिकार
खोने लगता है

जाते हुए मुड़ कर देखना,
किसी के माँगने पर दे देना,
ख़ुशी होते ही हँस देना,
दर्द होते ही रो देना,

ये सभी आदतें
बचकानी-सी लगती हैं,

दोस्तों पर विश्वास,
प्यार पर आस्था,
जड़ों की अहमियत,
यहाँ तक कि
ईश्वर के अस्तित्व पर भी
संदेह होने लगता है ...

लेकिन घूम-फिर कर
थक-हार कर
कभी-न-कभी
जिंदगी में
फिर वो वक़्त
आता है,

जब ज़रुरत महसूस होती है
तलाशने की,
उन खोई हुई जड़ों को,
उन टूटे हुए धागों को,
उन छूटे हुए रिश्तों को ...
अपने अस्तित्व को ....

कवयित्री- कु॰ स्मिता पाण्डेय

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19 कविताप्रेमियों का कहना है :

ब्लॉ.ललित शर्मा का कहना है कि -

जब ज़रुरत महसूस होती है
तलाशने की,
उन खोई हुई जड़ों को,
उन टूटे हुए धागों को,
उन छूटे हुए रिश्तों को ...
अपने अस्तित्व को ....

ये ही तो जिन्दगी है, बहुत बढि्या बधाई

"अर्श" का कहना है कि -

रिश्ते की अपनी अलग परिभाषा को परिभाषित करती ये कविता अछि लगी ... बधाई इनको मेरे तरफ से भी

अर्श

Anonymous का कहना है कि -

बहुत सुंदर तरीके से भावनाओं को व्यक्त किया है। जब जरुरत महसूस होती है तलाशने की...बहुत अच्छी रचना बधाई !

Manju Gupta का कहना है कि -

बहुत सुंदर कविता लगी .बधाई

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति - जब जरूरत होती है तलाशने की ---- अपने अस्तित्व को …

अभिषेक आर्जव का कहना है कि -

शायद इसी को कहते है हारे को हरी नाम !!!!..................वैसे यह कविता कुछ ज्यादा समझ न आयी !

Safarchand का कहना है कि -

bahut sarahniya prayas hai. meri shubhkamna kaviyatri ko dein aaur sath mein ek request bhi karein (wahi request jo kisi ne mujhe paramarsh ke roop mein diya tha 1963 mein)---Khoob padhe...likhne se jyada padhna zaroori hai abhi is kaviyatri ke liye..Ye ladki to bahut kuch de sakti hai hindi ko
Safarchand

Safarchand का कहना है कि -

bahut sarahniya prayas hai. meri shubhkamna kaviyatri ko dein aaur sath mein ek request bhi karein (wahi request jo kisi ne mujhe paramarsh ke roop mein diya tha 1963 mein)---Khoob padhe...likhne se jyada padhna zaroori hai abhi is kaviyatri ke liye..Ye ladki to bahut kuch de sakti hai hindi ko
Safarchand

मनोज कुमार का कहना है कि -

आपकी मान्यता पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। जीवन की सच्चाई को सच साबित करती एक बेहतरीन रचना के लिए बधाई।

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

हारे को हरी नाम नहीं सत्य को प्रणाम करती कविता।

शोभना चौरे का कहना है कि -

apne astitv ko tlashti stri ki bhavnao ko rekhankit karti sundar kavita
badhai

Sheeba Aslam Fehmi का कहना है कि -

hum sab ek tanha wajood hain aur jeeney ka matlab bichhadtey-jana bhi hai...Smita ek lamhe me kitni parten ho sakti hain purani yadon ki....aapne is reshe ko thama hai...kehti rahiye yunhi...aur tasweer me jaisi hain waisi hi khoobsoorat bani rahiyega...hamesha....waise Shair to hotey hi khoobsoorat hain!

mohammad ahsan का कहना है कि -

saraahniiya kavita, saral si, madhur si, nirmal si.......

दीपक 'मशाल' का कहना है कि -

जाने क्यों,
कब,
कैसे,
लेकिन कुछ छूट जाता है

बहुत सहेजा,
नाज़ुक रिश्ता,
टूट जाता है....

shuruaat hi itni shandar thi ki pata hi nahin chala kab kavita khatm ho gayee. laga ki jaise 2 minute me koi ghar ke aangan me khelti bachchi, kishorawastha me pahunchi aur fir badi bhi ho gayee, byah bhi di gai. sankshep me nari jeevan hai ye.

sundar kavita, shukriya aisa likhne ke liye.

आलोक उपाध्याय का कहना है कि -

दोस्तों पर विश्वास,
प्यार पर आस्था,
जड़ों की अहमियत,
यहाँ तक कि
ईश्वर के अस्तित्व पर भी
संदेह होने लगता है ...

बहुत खूब ....जिंदगी की हकीक़त को बखूबी बयां किया है आपने
देर से ही सही ..बधाई स्वीकारें ....

Shamikh Faraz का कहना है कि -

बहुत सुन्दर शब्दों से पिरोया है कविता को

जाने क्यों,
कब,
कैसे,
लेकिन कुछ छूट जाता है

बहुत सहेजा,
नाज़ुक रिश्ता,
टूट जाता है....

karma का कहना है कि -

दोस्तों पर विश्वास,
प्यार पर आस्था,
जड़ों की अहमियत,
यहाँ तक कि
ईश्वर के अस्तित्व पर भी
संदेह होने लगता है ...


रिश्ते इसे ही कहते है

बेहतरीन

Kashi का कहना है कि -

जब ज़रुरत महसूस होती है
तलाशने की,
उन खोई हुई जड़ों को,
उन टूटे हुए धागों को,
उन छूटे हुए रिश्तों को ...
अपने अस्तित्व को ....

kya aapki soch samuch aisi hai ya ye bas ek kivita hai. yadi aap sachmuch aisa sochti hain to phir 1baar dhyan se sochiyega please.

adidas nmd का कहना है कि -

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