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Friday, September 11, 2009

गौर से देखना चिरागों को..........(अरुण मित्तल 'अद्भुत' की गजल)


यूँ तो सब ही गजल सुनाते हैं
ऐसे कितने हैं जो निभाते हैं

गौर से देखना चिरागों को
जब ये जलते हैं मुस्कुराते हैं

अक्लमंदी हो या हो भोलापन
हम तो दोनों से खौफ खाते हैं

लोग बनते हैं आइना लेकिन
अपनी औकात भूल जाते हैं

कोई पत्थर कहाँ पिघलता है
अश्क हम बेवजह बहाते हैं

हमको मतलब क्या दुनियादारी से
दर्द गजलों में हम सुनाते हैं

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35 कविताप्रेमियों का कहना है :

manu का कहना है कि -

मतला आज जाना है,,,,
बाकी के सभी शेर तो कई कई बार सुने हैं फोन पर..
याद भी हैं सारे...
जल्दी में हूँ..
दोबारा आऊँगा ...
:)

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

हमको मतलब क्या दुनियादारी से
दर्द गजलों में हम सुनाते हैं

par aap bahut badhiya gazal sunate hai..achchi rachana...badhayi..

Anonymous का कहना है कि -

कोई पत्थर कहाँ पिघलता है
अश्क हम बेवजह बहाते हैं
बहुत ही सुन्दर रचना, बहुत बहुत बधाई, धन्याद
इसमें मेरी तरफ से दो पंक्तिया स्वीकार कीजियेगा
पत्थर दिल पर आंसू जो निशां छोड़ जाते है
तो फिर वो किसी के मिटाए भी नहीं मिटते हैं

विमल कुमार हेडा

निर्मला कपिला का कहना है कि -

बहुत सुन्दर गज़ल है
यूँ तो सब ही गजल सुनाते हैं
ऐसे कितने हैं जो निभाते हैं

गौर से देखना चिरागों को
जब ये जलते हैं मुस्कुराते हैं
लाजवाब अरुण जी को बधाई

पी.सी.गोदियाल "परचेत" का कहना है कि -

अच्छे भाव पिरोये है !

gazalkbahane का कहना है कि -

प्रिय अरुण आपके इ-मेल अनुरोध पर अब तक सीधे इ मेल से आपकी रचनाओं पर सुधार की बात कहता रहा हूं ,आज भी आपका मेल मिला जैसा मैने आपको अनेकबार कहा है कि कोई भी रचना लिखकर उसे रख दें फिर कुछ दिन बाद [१५-२०]अपनी ही रचना को दुश्मन की नजर से देखें जो कमी मिले उसे ठीक करें
आज यहां इसलिये कि आप के साथ और नव गज़ल कार भी एक मामूली सी कमी जो ठीक की जा सकती है समझ जाएं

गौर से देखना चिरागों को
जब ये जलते हैं मुस्कुराते हैं
जब ये जलते है तो मुस्कराते हैं ,यानि इस मिसरे में तो की कमी खलती है इसे बहर पर रखते हुए हम यूं करें तो
जब भी जलते हैं मुस्कराते हैं,
भी करने से तो की जो कमी खटक रही थी मेरे खयाल से पूरी हो गयी
हां पहले मिस्रे में भी देखना के स्थान पर देखिये ज्यादा खूबसूरत लगेगा,ऐसा मात्र मेरा विचार है ,बाकी रचना तो लेखक की अपनी है जो चाहे रखे
सस्नेह
श्याम सखा श्याम

डॉ टी एस दराल का कहना है कि -

बहुत अच्छे भावः प्रस्तुत किये हैं. श्याम जी के सुझाव भी सही हैं.

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

श्याम जी,

प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद... दरअसल मैंने इस गजल को बहुत समय लगाकर कहा है, कई बार किसी को कुछ सही लगता है किसी को कुछ. .. शायद मुझे अब भी ये शेर सही लग रहा है, जब मैं आपकी सलाह पर गौर करते करते शायद आप के लॉजिक तक पहुँच गया तो मुझे अगर गलती होगी तो समझ आ जायेगी...

सादर

अरुण अद्भुत

Anonymous का कहना है कि -

Bahut sunder gazal.. bahut achchi rachana..Arunji badhayee.

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

Arun ji,

Your gazal is so lovely! lajabab!

VIHAN RAGHUVANSHI का कहना है कि -

Dear Arun,

Shyam Shakha ji ne bilkul sahi farmaya hain aur jaroori hain aapka in baaton ko sikhna.

Regards.


DINESH RAGHUVANSHI
FARIDABAD

manu का कहना है कि -

जो शे'र कई बार सुना है,,वो भी हमेशा सही लगा है और अभी अभी जो श्याम जी वाली बात पढ़ी है वो भी सही लग रही है,,,

मगर गजल को दुश्मन की नजर से देखना वो भी कुछ वक्त के बाद, इस बात से कम से कम मैं तो सहमत नहीं हूँ...
हो सकता है के १०-२० दिन बाद वो मूड ही ना हो, जिसमे से होकर गजल आयी है,,,,,
जब सही-kharaab honaa hotaa है तो खुद ही हो jaataa है ,,,,
jaiise ये हो रहा है......नेट गया है शायद..
:)

Manju Gupta का कहना है कि -

अंतिम पंक्तियाँ ग़ज़ल की लोक पीडा ,दर्द को बयाँ करती हैं .

neelam का कहना है कि -

hum to bhaai kuch nahi kahenge nahi to kaha jaaega ki ?????????????????????????

Anonymous का कहना है कि -

agar banan tha to kisi acche guru ka shishya banate miyaa ARUN. shyam shakha shyaam jaise aadami ka ban gaye,,,,... koi raaj jarur hai....,,,,,,

baccho wali gazal liki hai.... unke ghar jaao aur p[ractice karo,.,,,..

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

एनी माउस जी

सादर प्रणाम,

आपको किसने कह दिया की श्याम सखा जी मेरे गुरु हैं ... अगर वो गुरु होते तो उनसे दुरुस्त करवा के ही मैं गजल युग्म पर प्रकाशित करता.. और फिर वो दुरुस्त कर देते तो कमी क्यों निकालते ....

मैं उनसे टिपण्णी करने को कहता हूँ ..... ये उनका बड़प्पन है की वो बहुत सकारात्मक टिप्पणी करते हैं .............

सच ये है की मेरा कोई गुरु नहीं है मैंने गजलें पढ़ पढ़ कर सीखी हैं ...

हाँ सलाह जिस से भी मिले सादर ले लेता हूँ ... मन करता है तो मान लेता हूँ नहीं तो नहीं...

और बच्चा हूँ तो बच्चों वाली ही लिखूंगा न बड़ों वाली कैसे लिखूंगा .........

अरुण अद्भुत

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

बुरी बात है अच्छी गज़ल की टाँग खींचना
मुश्किल है मगर एनी माउस को रोकना।
----------------------------------------
अक्लमंदी हो या भोलापन
हम तो दोनों से खौफ खाते हैं।
-----------------------------------------
यह शेर उपरोक्त कमेंटस् पर भी सटीक बैठता है।
--देवेन्द्र पाण्डेय।

Admin का कहना है कि -

अरुण भाई बेहतर लिखा है... और भी खुल के लिखो! दिल खोल के लिखो!

वाणी गीत का कहना है कि -

दर्द गजल बनकर अल्फाजों में ढल गया है ...!!
गजल लिखने की तकनीक के बारे में तो कुछ लिखें भी कैसे ..खुद ही नहीं जानते ना माने तो हमारी पोस्ट पढ़ कर देख लें ..!!

Anonymous का कहना है कि -

श्याम जी की बात की ताईद मनु व सुकवि दिनेश रघुवंशी ने भी की और कोई गुरू बनाया होता तो यह दुर्गति न होती आजतक एक भी गज़ल सही नहीं लिख पाए हो कहते हैं गुरू बिन ज्ञान कहां-तो अरूण महाशय उस्ताद बनालो किसी को वरना केवल घटिया गज़ल ही लिखो्गे

Shamikh Faraz का कहना है कि -

अरुण जी सबसे बढ़िया शे'र यह लगा मुझे तो.

कोई पत्थर कहाँ पिघलता है
अश्क हम बेवजह बहाते हैं


वैसे निजी तौर पर कहना चाहूँगा की श्याम जी वाली बात ज्यादा सही लगती है.

Anonymous का कहना है कि -

अरुण मैं तुम्हारा बहत अच्छा दोस्त हूँ इसलिए तुम्हारे सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा. ये ग़ज़ल एकदम रद्दी है. सही लिखने की कोशिश करो.

Manju Gupta का कहना है कि -

लोग बनते हैं आइना लेकिन
अपनी औकात भूल जाते हैं
Anony mous ji yh sher aap pr thik lgtaa hai .

Anonymous का कहना है कि -

ये सभी अनाम टिपानियाँ मेरी हैं..जो गलती से यहाँ पर पोस्ट हो गयी हैं..
मैं अरुण जी से , शैलेश जी से, शयाम जी से, मनु जी से, समूचे युग्म से माफ़ी चाहता हूँ..
सादर
सुमित

Anonymous का कहना है कि -

और सबसे ज्यादा मंजू जी से

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

ये एनी माउस किसी मानसिक रोग से ग्रस्त है, बरेली या शाहदरा का केस है ....

खुद को मेरा दोस्त कहता है, और कहता है की डर के मारे सामने नहीं आ रहा, मैं इसे दीक्षित जी का एक शेर सौंपता हूँ :

"वो मददगार हो या हो दुश्मन मेरा
पीठ पीछे नहीं रू ब रू चाहिए"

शेष सभी प्रतिक्रिया करने वालों को बहुत बहुत धन्यवाद अपना स्नेह बनायें रखें ...

अरुण मित्तल 'अद्भुत'

NEERAJ MALIK का कहना है कि -

Aisa kabhi hua hai ki aapne yun hi kuchh likh diya ho???... Shaayad nahi...kabhi nahi...!!

Anonymous का कहना है कि -

TRp ki tarah hit badhane ka accha tarika hai anonimus ke nam se coment ka aur yah bhi khoob kment 2 mere mafi sumit ne mangi kaun hai yeh bhikhmanga
pahele bhi mere coment pr mafi mang chuka hai,main to arun ka dost hun aur usaki bina bat ya sahi bat par bhi naraj hone ki aadat ke karn nhin likh raha apana nam han kuchh dino men jaroor batala dunga,use

Anonymous का कहना है कि -

Dr. Sarita Sharma
Priy Arun ji,
is sare bahas mubaahse se alag..mujhe aapki gazal achchhee lagi.
sabse badi baat hai aap likhne ke
liye nahi likhte. swayam ko abhivyakt karne ke liye likhte hain.
any mouse ji ke sandarbh me bus
itna ki
''laakh jugnoo virodh karte ho
soorya kaa maan kam nahi hota''
shubhkaamnaaoN sahit
Dr. Sarita Sharma

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

R/Mam,

आपकी टिप्पणी से मुझे बल मिला ....... ये आपका स्नेह है .. और मुझे विश्वास है कि सदैव बना रहेगा
एनी माउस के लिए आपकी ही गजल का एक मतला :

"देखते ही देखते कैसे जमाने आ गए
जो मुकम्मल खुद नहीं, वो आजमाने आ गए"

अरुण 'अद्भुत'

जहान का कहना है कि -

vaah Arun ji , sachchayi ko apne bahut hi khoobsurti se byan kiya hai.aap meri ghazal 'bhookh ka manzar'padhiye apko aur sach ke darshan honge.

Anonymous का कहना है कि -

हमको मतलब क्या दुनियादारी से
दर्द गजलों में हम सुनाते हैं

yah sher bahut samanya hai baaki ki gazal achhi likhi hai. Shyam ko guru mat banaana wo khud raddi likhta hai. gazal achhi likhi hai.

Sharukh Khan.

Anonymous का कहना है कि -

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Unknown का कहना है कि -

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