यूँ तो सब ही गजल सुनाते हैं
ऐसे कितने हैं जो निभाते हैं
गौर से देखना चिरागों को
जब ये जलते हैं मुस्कुराते हैं
अक्लमंदी हो या हो भोलापन
हम तो दोनों से खौफ खाते हैं
लोग बनते हैं आइना लेकिन
अपनी औकात भूल जाते हैं
कोई पत्थर कहाँ पिघलता है
अश्क हम बेवजह बहाते हैं
हमको मतलब क्या दुनियादारी से
दर्द गजलों में हम सुनाते हैं
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
35 कविताप्रेमियों का कहना है :
मतला आज जाना है,,,,
बाकी के सभी शेर तो कई कई बार सुने हैं फोन पर..
याद भी हैं सारे...
जल्दी में हूँ..
दोबारा आऊँगा ...
:)
हमको मतलब क्या दुनियादारी से
दर्द गजलों में हम सुनाते हैं
par aap bahut badhiya gazal sunate hai..achchi rachana...badhayi..
कोई पत्थर कहाँ पिघलता है
अश्क हम बेवजह बहाते हैं
बहुत ही सुन्दर रचना, बहुत बहुत बधाई, धन्याद
इसमें मेरी तरफ से दो पंक्तिया स्वीकार कीजियेगा
पत्थर दिल पर आंसू जो निशां छोड़ जाते है
तो फिर वो किसी के मिटाए भी नहीं मिटते हैं
विमल कुमार हेडा
बहुत सुन्दर गज़ल है
यूँ तो सब ही गजल सुनाते हैं
ऐसे कितने हैं जो निभाते हैं
गौर से देखना चिरागों को
जब ये जलते हैं मुस्कुराते हैं
लाजवाब अरुण जी को बधाई
अच्छे भाव पिरोये है !
प्रिय अरुण आपके इ-मेल अनुरोध पर अब तक सीधे इ मेल से आपकी रचनाओं पर सुधार की बात कहता रहा हूं ,आज भी आपका मेल मिला जैसा मैने आपको अनेकबार कहा है कि कोई भी रचना लिखकर उसे रख दें फिर कुछ दिन बाद [१५-२०]अपनी ही रचना को दुश्मन की नजर से देखें जो कमी मिले उसे ठीक करें
आज यहां इसलिये कि आप के साथ और नव गज़ल कार भी एक मामूली सी कमी जो ठीक की जा सकती है समझ जाएं
गौर से देखना चिरागों को
जब ये जलते हैं मुस्कुराते हैं
जब ये जलते है तो मुस्कराते हैं ,यानि इस मिसरे में तो की कमी खलती है इसे बहर पर रखते हुए हम यूं करें तो
जब भी जलते हैं मुस्कराते हैं,
भी करने से तो की जो कमी खटक रही थी मेरे खयाल से पूरी हो गयी
हां पहले मिस्रे में भी देखना के स्थान पर देखिये ज्यादा खूबसूरत लगेगा,ऐसा मात्र मेरा विचार है ,बाकी रचना तो लेखक की अपनी है जो चाहे रखे
सस्नेह
श्याम सखा श्याम
बहुत अच्छे भावः प्रस्तुत किये हैं. श्याम जी के सुझाव भी सही हैं.
श्याम जी,
प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद... दरअसल मैंने इस गजल को बहुत समय लगाकर कहा है, कई बार किसी को कुछ सही लगता है किसी को कुछ. .. शायद मुझे अब भी ये शेर सही लग रहा है, जब मैं आपकी सलाह पर गौर करते करते शायद आप के लॉजिक तक पहुँच गया तो मुझे अगर गलती होगी तो समझ आ जायेगी...
सादर
अरुण अद्भुत
Bahut sunder gazal.. bahut achchi rachana..Arunji badhayee.
Arun ji,
Your gazal is so lovely! lajabab!
Dear Arun,
Shyam Shakha ji ne bilkul sahi farmaya hain aur jaroori hain aapka in baaton ko sikhna.
Regards.
DINESH RAGHUVANSHI
FARIDABAD
जो शे'र कई बार सुना है,,वो भी हमेशा सही लगा है और अभी अभी जो श्याम जी वाली बात पढ़ी है वो भी सही लग रही है,,,
मगर गजल को दुश्मन की नजर से देखना वो भी कुछ वक्त के बाद, इस बात से कम से कम मैं तो सहमत नहीं हूँ...
हो सकता है के १०-२० दिन बाद वो मूड ही ना हो, जिसमे से होकर गजल आयी है,,,,,
जब सही-kharaab honaa hotaa है तो खुद ही हो jaataa है ,,,,
jaiise ये हो रहा है......नेट गया है शायद..
:)
अंतिम पंक्तियाँ ग़ज़ल की लोक पीडा ,दर्द को बयाँ करती हैं .
hum to bhaai kuch nahi kahenge nahi to kaha jaaega ki ?????????????????????????
agar banan tha to kisi acche guru ka shishya banate miyaa ARUN. shyam shakha shyaam jaise aadami ka ban gaye,,,,... koi raaj jarur hai....,,,,,,
baccho wali gazal liki hai.... unke ghar jaao aur p[ractice karo,.,,,..
एनी माउस जी
सादर प्रणाम,
आपको किसने कह दिया की श्याम सखा जी मेरे गुरु हैं ... अगर वो गुरु होते तो उनसे दुरुस्त करवा के ही मैं गजल युग्म पर प्रकाशित करता.. और फिर वो दुरुस्त कर देते तो कमी क्यों निकालते ....
मैं उनसे टिपण्णी करने को कहता हूँ ..... ये उनका बड़प्पन है की वो बहुत सकारात्मक टिप्पणी करते हैं .............
सच ये है की मेरा कोई गुरु नहीं है मैंने गजलें पढ़ पढ़ कर सीखी हैं ...
हाँ सलाह जिस से भी मिले सादर ले लेता हूँ ... मन करता है तो मान लेता हूँ नहीं तो नहीं...
और बच्चा हूँ तो बच्चों वाली ही लिखूंगा न बड़ों वाली कैसे लिखूंगा .........
अरुण अद्भुत
बुरी बात है अच्छी गज़ल की टाँग खींचना
मुश्किल है मगर एनी माउस को रोकना।
----------------------------------------
अक्लमंदी हो या भोलापन
हम तो दोनों से खौफ खाते हैं।
-----------------------------------------
यह शेर उपरोक्त कमेंटस् पर भी सटीक बैठता है।
--देवेन्द्र पाण्डेय।
अरुण भाई बेहतर लिखा है... और भी खुल के लिखो! दिल खोल के लिखो!
दर्द गजल बनकर अल्फाजों में ढल गया है ...!!
गजल लिखने की तकनीक के बारे में तो कुछ लिखें भी कैसे ..खुद ही नहीं जानते ना माने तो हमारी पोस्ट पढ़ कर देख लें ..!!
श्याम जी की बात की ताईद मनु व सुकवि दिनेश रघुवंशी ने भी की और कोई गुरू बनाया होता तो यह दुर्गति न होती आजतक एक भी गज़ल सही नहीं लिख पाए हो कहते हैं गुरू बिन ज्ञान कहां-तो अरूण महाशय उस्ताद बनालो किसी को वरना केवल घटिया गज़ल ही लिखो्गे
अरुण जी सबसे बढ़िया शे'र यह लगा मुझे तो.
कोई पत्थर कहाँ पिघलता है
अश्क हम बेवजह बहाते हैं
वैसे निजी तौर पर कहना चाहूँगा की श्याम जी वाली बात ज्यादा सही लगती है.
अरुण मैं तुम्हारा बहत अच्छा दोस्त हूँ इसलिए तुम्हारे सामने आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा. ये ग़ज़ल एकदम रद्दी है. सही लिखने की कोशिश करो.
लोग बनते हैं आइना लेकिन
अपनी औकात भूल जाते हैं
Anony mous ji yh sher aap pr thik lgtaa hai .
ये सभी अनाम टिपानियाँ मेरी हैं..जो गलती से यहाँ पर पोस्ट हो गयी हैं..
मैं अरुण जी से , शैलेश जी से, शयाम जी से, मनु जी से, समूचे युग्म से माफ़ी चाहता हूँ..
सादर
सुमित
और सबसे ज्यादा मंजू जी से
ये एनी माउस किसी मानसिक रोग से ग्रस्त है, बरेली या शाहदरा का केस है ....
खुद को मेरा दोस्त कहता है, और कहता है की डर के मारे सामने नहीं आ रहा, मैं इसे दीक्षित जी का एक शेर सौंपता हूँ :
"वो मददगार हो या हो दुश्मन मेरा
पीठ पीछे नहीं रू ब रू चाहिए"
शेष सभी प्रतिक्रिया करने वालों को बहुत बहुत धन्यवाद अपना स्नेह बनायें रखें ...
अरुण मित्तल 'अद्भुत'
Aisa kabhi hua hai ki aapne yun hi kuchh likh diya ho???... Shaayad nahi...kabhi nahi...!!
TRp ki tarah hit badhane ka accha tarika hai anonimus ke nam se coment ka aur yah bhi khoob kment 2 mere mafi sumit ne mangi kaun hai yeh bhikhmanga
pahele bhi mere coment pr mafi mang chuka hai,main to arun ka dost hun aur usaki bina bat ya sahi bat par bhi naraj hone ki aadat ke karn nhin likh raha apana nam han kuchh dino men jaroor batala dunga,use
Dr. Sarita Sharma
Priy Arun ji,
is sare bahas mubaahse se alag..mujhe aapki gazal achchhee lagi.
sabse badi baat hai aap likhne ke
liye nahi likhte. swayam ko abhivyakt karne ke liye likhte hain.
any mouse ji ke sandarbh me bus
itna ki
''laakh jugnoo virodh karte ho
soorya kaa maan kam nahi hota''
shubhkaamnaaoN sahit
Dr. Sarita Sharma
R/Mam,
आपकी टिप्पणी से मुझे बल मिला ....... ये आपका स्नेह है .. और मुझे विश्वास है कि सदैव बना रहेगा
एनी माउस के लिए आपकी ही गजल का एक मतला :
"देखते ही देखते कैसे जमाने आ गए
जो मुकम्मल खुद नहीं, वो आजमाने आ गए"
अरुण 'अद्भुत'
vaah Arun ji , sachchayi ko apne bahut hi khoobsurti se byan kiya hai.aap meri ghazal 'bhookh ka manzar'padhiye apko aur sach ke darshan honge.
हमको मतलब क्या दुनियादारी से
दर्द गजलों में हम सुनाते हैं
yah sher bahut samanya hai baaki ki gazal achhi likhi hai. Shyam ko guru mat banaana wo khud raddi likhta hai. gazal achhi likhi hai.
Sharukh Khan.
[url=http://www.realcazinoz.com]Online casinos[/url], also known as particular resources casinos or Internet casinos, are online versions of set ("buddy and mortar") casinos. Online casinos admit gamblers to assess as strike it rich in and wager on casino games from start to effluent the Internet.
Online casinos typically inadvertently b perhaps on the securities altercation odds and payback percentages that are comparable to land-based casinos. Some online casinos denote suitable on higher payback percentages looking inasmuch as critical effort sense games, and some about general payout match audits on their websites. Assuming that the online casino is using an fittingly programmed unsystematic exuberant generator, catalogue games like blackjack enthral procure an established management edge. The payout plate voyage of origination of these games are established at expected the rules of the game.
Multitudinous online casinos sublease absent from loose or assemble their software from companies like Microgaming, Realtime Gaming, Playtech, Supranational Prank Technology and CryptoLogic Inc.
fitflops sale clearance
ultra boost
true religion jeans
hermes belts for men
michael kors handbags
adidas gazelle
michael kors handbags
tom ford sunglasses
longchamp bags
nike dunks
hugo boss sale
ugg outlet
ray ban sunglasses
michael kors outlet
seahawks jersey
oakley sunglasses
michael kors uk
bills jerseys
hermes belts
fitflops
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)