पुष्प की पुकार
विधु से मादक शीतलता ले
शोख चांदनी उज्ज्वलता ले,
भू से कण कण चेतनता ले
अंतर्मन की यौवनता ले .
अरुणिम आभा अरुणोदय से
सात रंग ले किरण प्रभा से,
रंग चुरा मनभावन उससे
प्रीत दिलों में जिससे बरसे .
जल बूंदों से निर्मलता ले
पवन तरंगों से झूला ले,
संगीत अलौकिक नभ से ले
मधु रस अपने यौवन का ले .
डाल डाली पर यौवन भार
गाता मधुमय गीत बहार,
पुष्प सुवास बह संग बयार
रति मनसिज सी प्रेम पुकार .
पाकर मधुमय पुष्प सुवास
गंध को भर कर अपनी श्वास
इक तितली ने लिया प्रवास,
किया पुष्प पर उसने वास .
मधुर प्रीत की छिड़ गई रीत
दोनो लिपटे कह कर मीत,
पंखुड़ियों ने भूली नीति
मूक मधुर बिखरा संगीत .
अतिशय सुख वह मौन मिलन का
मद मधुमय उस रस अनुभव का,
कंपन करती पंखुड़ियों का
तितली के झंकृत पंखों का .
पराग कणों से कर आलिंगन
शिथिल हुए दोनों के तन मन,
सुख मिलता सब करके अर्पण
हर इक कण में रब का वर्णन .
कवि कुलवंत सिंह
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
11 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत दिनों बाद आया हूँ युग्म पर और कुलवंत जी की एक सुन्दर रचना भेंट में मिली |
रचना सुन्दर प्रकृति की सुन्दर शब्दों में गुणगान है |
बधाई
अवनीश तिवारी
पुष्प की पुकार सुनकर दिल प्रेममय हो गया..
पुष्प और प्रकृति का बेहद भावपूर्ण चित्रण...शब्द शब्द बेहतरीन है,
और भाव लाज़वाब..बधाई
लाजवाब कविता है कुलवंत जी को बहुत बहुत बधाई आपका आभार्
बहुत ही खुब्सूरत है प्रेम की पुकार जिसमे मौलिकता है भावनाओ का..........बधाई
कविता बहुत अच्छी है, बहुत बहुत बधाई
विमल कुमार हेडा
बहुत बहुत सुन्दर कुलवंत जी
सुख मिलता सब करके अर्पण
हर इक कण में रब का वर्णन
निसर्ग और प्रेम की मार्मिक अनुभूति है .बधाई .
------
-अतिशय सुख वह मौन मिलन का
मद मधुमय उस रस अनुभव का
कंपन करती पंखुड़ियों का
तितली के झंकृत पंखों का
-------
इस वर्णन ने मन मोह लिया।
--दिल में गुदगदी सी हुई और उंगलियाँ आपको बधाई देने के लिए चलने लगीं।
-कृपया बधाई स्वीकारें---।
-देवेन्द्र पाण्डेय।
बहुत सुन्दर...लाजवाब कविता...
chand likhe mein to aap lajabab ho sahab.
bahut acchi lagi rachna.
बहुत सुन्दर शब्द बेहतरीन रचना
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)