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Friday, August 21, 2009

चाय गरमागरम


खून से सने नोटों में हो गया केक का भरम
चक्कर आये, एक कप पी ली चाय गरमागरम

मुमकिन नहीं थी प्यार की मीठी मीठी नींद
बेचैन दिल ने पा लिये हैं बिस्तर नरम नरम

कलियाँ मिली तो चटख डाली उनके ही बाग में
रिवाज़ नही अब रखने का नवाबों सी हरम

ताकत नहीं सूरज की, दे पाये कुछ रोशनी
मांगता सूरदास कब से जुगनुओं की करम

मीठे बोलों में छुपी हुई थी जहर की ज्वाला
दोस्ती में भी दुश्मनी का आनन्द मिला परम

पंडित जी पढ़ गये कथा, नहीं आई कुछ समझ
पल्ले पड़ा तो इस जुबान को परशाद का मरम

-हरिहर झा

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16 कविताप्रेमियों का कहना है :

Shamikh Faraz का कहना है कि -

मतला खूब कहा.

खून से सने नोटों में हो गया केक का भरम
चक्कर आये, एक कप पी ली चाय गरमागरम

Anonymous का कहना है कि -

मीठे बोलों में छुपी हुई थी जहर की ज्वाला
दोस्ती में भी दुश्मनी का आनन्द मिला परम
बहुत अच्छा लिखा, बहुत बहुत बधाई

विमल कुमार हेडा

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

हरिहर जी,
बहुत मजेदार रचना है.

पंडित जी पढ़ गए कथा, नहीं आई कुछ समझ
पल्ले पड़ा तो इस जुबान को परशाद का मरम.

मेरा भी मन कुलबुला रहा है कुछ और कहने को जैसे की:

पंडित जी पढ़ गये कथा सोते रह गये हम
आँखें खुलीं परशाद का जब हुआ हमें भरम.

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

मीठे बोलों में छुपी हुई थी जहर की ज्वाला
दोस्ती में भी दुश्मनी का आनन्द मिला परम

झा जी,मज़ेदार लफ़्ज़ों मे सच्चाई बयाँ कर दी आपने..

मजेदार रचना!!!बहुत बहुत बधाई !!

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

परसाद का ही मरम ज़्यादा लोग रखते है क्योंकि कथा तो बहुत कम ही समझ मे आती है,
बस इतना लगता है की भगवान की पूजा हो रही है..

सुंदर भाव...

Akhilesh का कहना है कि -

haste hasate sacchayee bayaan ker di aapne.
acchi lagi rachna.

Manju Gupta का कहना है कि -

बढिया अभिव्यक्ति है ,बधाई .

Unknown का कहना है कि -

Harihar jee,

Kya bat kahee hai aapne?
Bahut anandmay aur prabhavakaaree hain ye panktiyan
Katha aur prashad dno ka mila maram.

Kamal Kishore Singh, MD

सदा का कहना है कि -

पंडित जी पढ़ गये कथा, नहीं आई कुछ समझ
पल्ले पड़ा तो इस जुबान को परशाद का मरम

बहुत बढि़या ।

Anonymous का कहना है कि -

हरिहर बंधू एन आर आई हैं , साहित्य में प्रयास रत लेकिन इतने अच्छे नहीं है,
....
हिन्दी युग्म उनसे कुछ पाने की चाह में उनकी रचना छाप देता है ....
अब अन्दर क्या गठ जोड़ है कौन जाने ,,,, लेकिन है जरुर .....

यह कविता ३र्द क्लास है ....

anonymous no.2 का कहना है कि -

i really wonder if it is a good poem thought wise, melody wise? it suffers from lot of gender mistakes.
hindyugm has certain personal propensity towards some poets who are not upto the mark.
this is crux of the problem.

Harihar का कहना है कि -

Anonymous No 1 & 2,

आप मुझे जम कर बदनाम कीजिये !
निन्दा कीजिये , आलोचना कीजिये !
मैं इसी काबिल हूँ ।
कम-से-कम हिन्द-युग्म को बक्श दें ।

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

हे राम! हरिहर जी, आपकी 'चाय गरमागरम' के संग तो गरमागरम पकौड़े होने चाहिए थे लेकिन alas! यहाँ तो गरमागरम बहस हो रही है. मुझे तो डर लग रहा है देखकर की हिन्दयुग्म पर यह सब क्या तमाशा हो रहा है.
नियंत्रक जी कहाँ हैं? कुछ कंट्रोल करने की व्यबस्था करें.

अर्चना तिवारी का कहना है कि -

बहुत मजेदार रचना....

anonymous no.2 का कहना है कि -

harihar ji,
my personal advise is you write good poems, and hindyugm will be automatically spared. your words कम-से-कम हिन्द-युग्म को बक्श दें will come true.

Harihar का कहना है कि -

Anonymous ji

आप एक अच्छे आलोचक की भाँति एक-एक शेर पकड़ कर आलोचना कीजिये इससे मुझे मार्गदर्शन मिलेगा । अभी तक तो आपको कुछ पसन्द नहीं आया इतना ही पता चला । मैं विज्ञान का विद्यार्थि रहा होने से मुझे साहित्य की गहराइयों का पता नहीं ।

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