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Thursday, August 20, 2009

छोटी कविताएँ


राजनीति

तिमिर लक्ष्य पर
बढ़ता रथ
भटकी पथ से
हर शपथ
कैसे ?
कौन ?
बताये राह
विवेक सभी का
लहू से
लथपथ
*
उपालंभ

जिस जाडे में
जिस्म जला
जिंदा रखा
तुम्हारी यादों को
उसी में .......
मधुमास तापते
तुम
मेरा नाम तक
भुला बैठे |
*
हंसी

ठहाके महान
पर कुर्बान
उस मुस्कान पर
जो टिकी है
आंसुओं के बांध पर
*
समय

एक और
दिन उगा
काल के
कबूतर ने
जीवन जंगल से
एक और
दाना चुगा
*
विवशता

छाया
लिपट सकती
चूम सकती
नदी को
लेकिन उसमें
नहा नहीं सकती
नदी
छू सकती
महसूस कर सकती
छाया को
लेकिन अपने साथ
बहा नहीं सकती
*
घुटन

कांटें की
चुभन पर
चिल्लाने वालों
कभी सोचा है
उसका दम
घुट रहा है
तुम्हारे जिस्म में

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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

Vinay का कहना है कि -

सुन्दर कविताएँ
---
मानव मस्तिष्क पढ़ना संभव

Harihar का कहना है कि -

उस मुस्कान पर
जो टिकी है
आंसुओं के बांध पर

बहुत अच्छी कवितायें विनय जी ! किस किस को गिनायें !

gazalkbahane का कहना है कि -

बहुत सुन्दर विनय जी

एक और
दिन उगा
काल के
कबूतर ने
जीवन जंगल से
एक और
दाना चुगा

Shamikh Faraz का कहना है कि -

एक और
दिन उगा
काल के
कबूतर ने
जीवन जंगल से
एक और
दाना चुगा

Shamikh Faraz का कहना है कि -

bahut hi badhiya charikaye

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

मुझे हंसी विवशता और घुटन बहुत सुन्दर लगी..

बधाई
सादर
शैलेश

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

ठहाके महान
पर कुर्बान
उस मुस्कान पर
जो टिकी है
आंसुओं के बांध पर

सुन्दर कविताएँ!!!बधाई..हिन्द-युग्म

Akhilesh का कहना है कि -

कांटें की
चुभन पर
चिल्लाने वालों
कभी सोचा है
उसका दम
घुट रहा है
तुम्हारे जिस्म में

acchi lagi saari rachnaaye.

Manju Gupta का कहना है कि -

गागर में सागर भर दिया है . बधाई .

anonymous no. 2 का कहना है कि -

over all good agreeable poems. cheers.

वाणी गीत का कहना है कि -

तुमने भुला दिया ...नदी छाया को साथ बहा नहीं सकती .. अनोखी और सुन्दर कवितायेँ ...!! बहुत बधाई ..!!

सदा का कहना है कि -

कांटें की
चुभन पर
चिल्लाने वालों
कभी सोचा है
उसका दम
घुट रहा है
तुम्हारे जिस्म में

बहुत खूब लिखा आपने,बधाई

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