फटाफट (25 नई पोस्ट):

Sunday, July 19, 2009

एक सवाल/कविता



प्रश्न उठा
दुख: का
सागर
है अपार

कठिन है
जाना इसके पार


समाधान गुना
तो छोड़

कश्ती को मझधार

अपना लहरों को

कर तूफानों से प्यार

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

13 कविताप्रेमियों का कहना है :

M VERMA का कहना है कि -

मझधार से प्यार करने वाला ही तो पार पहुंच सकता है.
बहुत अच्छी रचना

श्यामल सुमन का कहना है कि -

जीवन हो आसान तभी जब तूफानों से प्यार।
पार करें वो दुख का सागर जो उपजा संसार।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

डॉ. मनोज मिश्र का कहना है कि -

कठिन है
जाना इसके पार...
vaah.

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

भावपूर्ण!!!
सुंदर कविता..बधाई!!!

Shamikh Faraz का कहना है कि -

समाधान गुना
तो छोड़
कश्ती को मझधार
अपना लहरों को
कर तूफानों से प्यार

श्याम जी सुन्दर समाधान है.

Manju Gupta का कहना है कि -

गागर में सागर भर दिया . भावपूर्ण रचना के लिए बधाई

अर्चना तिवारी का कहना है कि -

समाधान बिलकुल सही है....

Disha का कहना है कि -

सुन्दर रचना
जो दु:ख न हो जिन्दगी में तो मजा क्या है
तभी लोग जानेगे सुख की अहमियत क्या है

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

सवाल में समाधान है.....

manu का कहना है कि -

सुंदर चित्र के साथ सुंदर रचना..

सदा का कहना है कि -

तो छोड़
कश्ती को मझधार
अपना लहरों को
कर तूफानों से प्यार

बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने आभार.

mohammad ahsan का कहना है कि -

kya ab kavita shabdon aur bhaavon ke sthan par chitron aur rangon se sashakt banaai jaae gi!
rachna bhi m'amuli prakaar ki. wahi purane sagar aur kashti waale prateek, wahi puraane bahut baar ke dohraae bhaav.
ahsan

gazalkbahane का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)