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Wednesday, June 10, 2009

मेरे मौला जो कभी मेरी कहानी लिखना





मेरे मौला जो कभी मेरी कहानी लिखना
जिन्दगी लिखना मगर अब के सुहानी लिखना

भूल सचमुच ही गई है क्या तू मेरी सजनी
लब से अपने यूं मेरे लब पे निशानी लिखना

याद आता है मुझे तेरा वो,दीवानापन
खुद को दीवाना कभी मुझको दिवानी लिखना

गर पड़े तुझको कभी लिखना कहीं मजबूरन
घर में मुफलिस के बेटी तू सयानी लिखना

कोशिशें लाख हुई यार मगर बतलाओ
है क्या आसान बुढ़ापे को जवानी लिखना


बेवफाई जो करे मुझसे तू दिलबर मेरे
खुदको राजा कभी मुझको तू रानी लिखना

श्यामनादां है,है सनकी भी जरा सा यारो
उसको आता ही नहीं बातें सयानी लिखना

फ़ाइलातुन फ़इलातुन,फ़इलातुन, फ़ेलुन
b-22/109 न.ह

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14 कविताप्रेमियों का कहना है :

निर्मला कपिला का कहना है कि -

श्याम सखा जे इस्मे एक भी शब्द ऐसा नही जिसकी तारीफ ना की जाये आपकी लेखनी की तो पहले ही कायल हूँ इस रचना ने तो कमाल कर दिया आभार और धन्यवाद्

मुकेश कुमार तिवारी का कहना है कि -

डॉ. श्याम जी,

मर्म को छूता हुआ शेर, खूब...


गर पड़े तुझको कभी लिखना कहीं मजबूरन
घर में मुफलिस के न बेटी तू सयानी लिखना


सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

गर पड़े तुझको कभी लिखना कहीं मजबूरन
घर में मुफलिस के न बेटी तू सयानी लिखना

कोशिशें लाख हुई हैं यार मगर बतलाओ
है क्या आसान बुढ़ापे को जवानी लिखना

बहुत ही सुन्दर श्याम जी, पहले वाला शेर तो उस श्रेणी का है जिसके लिए गजल जानी जाती है

मुहम्मद अहसन का कहना है कि -

उम्दा क़िस्म की ग़ज़ल , उम्दा तर्ज़ ए बयान , काबिल ए तरीफ़.
अद्भुत जी ने सही कहा, पहला शे'एर उस्तादों वाला शे'एर

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

मेरे मौला जो कभी मेरी कहानी लिखना
जिन्दगी लिखना मगर अब के सुहानी लिखना
...बहुत ही सुन्दर

kavi kulwant का कहना है कि -

वाह बहुत खूब

Manju Gupta का कहना है कि -

कोशिशें लाख हुई हैं यार मगर बतलाओ
है क्या आसान बुढ़ापे को जवानी लिखना
Bhole bhaleडॉ. श्याम जी,
uperyukt lajavab शेर ke liye begam akter ji ki ghayie pankti yaad aa rahi hai-"abhi to mein jaban hun.
kafiya-lajavab,matla-ati kub,makta-vaha!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
Hamesha ki tarah gazal asardar aur koyi gaa de.
Manju Gupta

Sushil Kumar का कहना है कि -

श्याम सखा की यह गजल बड़ी सयानी है भाई। मुझे भूल गये क्या भाई?

प्रिया का कहना है कि -

bahut sunder! last line jo aapne apne bare mein bayan ki hain badiya lagi hamein

manu का कहना है कि -

सभी के सभी शेर अच्छे ,,पर श्याम जी,,,एक जगह अटका लगा है जुबान में... मात्र के लिहाज से ठीक हो तो हो,,,,
पर ,,
कोशिशें लाख हुई यार मगर बतलाओ,
मुझसे यूं आसानी से पढा जा रहा है,,,
( है ) शब्द को हटाने के बाद,,,,
शे'र प्यारा है,,,
और
खुद को दीवाना कभी मुझको दिवानी लिखना,,,,,,,,,,,कमाल का कहा है,,,
वाह ,,,,!!!!!!!!

sangeeta sethi का कहना है कि -

जिंदगी लिखना की अब की सुहानी लिखना
क्या खूब लिखा है | एक-एक शेर दिल में उतर गया

gazalkbahane का कहना है कि -

आप सभी को धन्यवाद गज़ल कबूलने पर,मनु भाई आप ठीक हैं ‘हैं’ गलती से टाइप हो गया है अब ठीक कर देता हूं।मंजु गुप्ता जी मिसरा तो आपने ठीक लिखा ,मगर गयिका मल्लिका पुखराज हैं शायद बेग़म अख्तर नहीं।
श्याम सखा ‘श्याम

Shamikh Faraz का कहना है कि -

गर पड़े तुझको कभी लिखना कहीं मजबूरन
घर में मुफलिस के न बेटी तू सयानी लिखना

श्याम जी आप जैसे अनुभवी लोगो से हम जैसे नए लोगो को भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

Ambarish Srivastava का कहना है कि -

सच्ची रचना है

कोशिशें लाख हुई यार मगर बतलाओ
है क्या आसान बुढ़ापे को जवानी लिखना

बधाई |

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