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Wednesday, June 03, 2009

गज़ल श्याम सखा


उसे वहाँ कोई अपना नजर नहीं आता
तभी तो देर तलक वो भी घर नहीं आता

हमारे बीच ये दीवार क्यों है आन खड़ी
उधर मैं जाता नहीं,वो इधर नहीं आता

हमेशा जाती है मिलने नदी समुन्दर से
समुन्दर उससे तो मिलने मगर नहीं आता


ये कैसे मानूँ कि मुझसे तुझे मुह्ब्बत है
तेरी नजर में वो मंजर नजर नहीं आता

ये चुपके-चुपके ही आ बैठता है बस दिल में
कि रंजो-ग़म कभी देकर खबर नहीं आता

मैं खुद ही उससे मुलाकात को हूँ चल देता
कि मुझसे मिलने कभी ग़म अगर नहीं आता

हुई क्या बात कोई तो बताये ‘श्याम’ हमें
क्यों रात-रात तू घर लौटकर नहीं आता


मफ़ाइलुन. फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन
१०n

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

SURINDER RATTI का कहना है कि -

श्याम जी नमस्ते,
ये पंक्तियाँ बहुत ही पसंद आई मुझे
ये चुपके-चुपके ही आ बैठता है बस दिल में
कि रंजो-ग़म कभी देकर खबर नहीं आता
मैं खुद ही उससे मुलाकात को हूँ चल देता
कि मुझसे मिलने कभी ग़म अगर नहीं आता
ये ग़म है ही ऐसा बिन बुलाये मेहमान की तरह .....
सुरिन्दर रत्ती

निर्मला कपिला का कहना है कि -

श्याम सखा जी हमेशा की तरह एक सुन्दर सश्क्त अभिव्यक्ति लजवाब गज़ल है शुभकामनाये

Arun Mittal "Adbhut" का कहना है कि -

मैं खुद ही उससे मुलाकात को हूँ चल देता
कि मुझसे मिलने कभी ग़म अगर नहीं आता

ye sher khas tor se pasand aaya

SADHUWAD

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

खूबसूरत गेय ग़ज़ल....

मुकेश कुमार तिवारी का कहना है कि -

डॉ. श्याम जी,

ये कैसे मानूँ कि मुझसे तुझे मुह्ब्बत है
तेरी नजर में वो मंजर नजर नहीं आता

बड़ा अच्छा लगा यह शेर, हमनज़र होने की वकालत करता हुआ।

सादर,

मुकेश कुमार तिवारी

manu का कहना है कि -

ये कैसे मान लू मुझ से तुझे मुहब्बत है
तेरी नजर में वो मंजर नजर nahi आता,,,

खूबसूरत शेर ,,,,
सुंदर गजल,,,

Manju Gupta का कहना है कि -

मैं खुद ही उससे मुलाकात को हूँ चल देता
कि मुझसे मिलने कभी ग़म अगर नहीं आता ....!!!
Ghazal ka yeh sher prem ki dasha ko batlata hai, lajawab hai. Prem ki kalpana hi use sukh deti hai. prem ka sandesh milta hai. Aisi hi aur achi ghazal ka intzarr rahega. Badhayi.

Manju Gupta.

वीनस केसरी का कहना है कि -

ये चुपके-चुपके ही आ बैठता है बस दिल में
कि रंजो-ग़म कभी देकर खबर नहीं आता

मैं खुद ही उससे मुलाकात को हूँ चल देता
कि मुझसे मिलने कभी ग़म अगर नहीं आता

हुई क्या बात कोई तो बताये ‘श्याम’ हमें
क्यों रात-रात तू घर लौटकर नहीं आता

वाह वाह क्या बात है ................
बहुत सुन्दर गजल
वीनस केसरी

Shamikh Faraz का कहना है कि -

उसे वहाँ कोई अपना नजर नहीं आता
तभी तो देर तलक वो भी घर नहीं आता

श्याम जी आपकी हर ग़ज़ल लाजवाब होती है जिससे हम नए लोगो को भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है.

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

बेहतरीन..अभिब्यक्ति

सादर
शैलेश

mohammad ahsan का कहना है कि -

umda qism ki ghazal. kayi sh'er muta'asar kun.
ahsan

Manju Gupta का कहना है कि -

"मैं खुद ही उससे मुलाकात को हूँ चल देता
कि मुझसे मिलने कभी ग़म अगर नहीं आता..."!
Prem ka yeh sher aur khoobsurat ghazal apne ap mein laajawab hai. Prem hi wo tatav hai bichude huae dilon ko jode rakhta hai. Prem ke bal par viyogi jan viyog ka dukh dhiraj ke saath jhelte hai.सश्क्त अभिव्यक्ति ke liye शुभकामनाये.

Manju Gupta.

gazalkbahane का कहना है कि -

गज़ल कबूल करने व हौसला अफ़जाई के लिये शुक्रिया
आप सभी का
श्याम सखा ‘श्याम’
एक रचना बाल उद्यान पर धरती शीर्षक से देखने की फुर्सत मिले तो देखें ,
श्याम

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