आज हम प्रतियोगिता की दसवीं कविता की चर्चा करने जा रहे हैं, जिसकी रचनाकार निर्मला कपिला पंजाब सरकार के सेहत कल्याण विभाग में चीफ फार्मासिस्ट के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद लेखन को समर्पित हैं। इसके अतिरिक्त गरीब बच्चों को पढ़ने-लिखने में मदद करती हैं। कला साहित्य प्रचार मंच की अध्य़क्ष हैं। तीन पुस्तकें सुबह से पहले (कविता संग्रह), वीरबहुटी (कहानी संग्रह) और प्रेम सेतु (कहानी संग्रह) प्रकाशित हुई हैं। दो छपने के लिये तयार हैं।
अनेक पत्र पत्रिकायों मे प्रकाशन। विविध भारती जालन्धर से कहानी का प्रसारण
सम्मान-
1॰ पंजाब सहित्य कला अकादमी, जालन्धर की ओरे से सम्मान
2॰ ग्वालियर सहित्य अकादमी, ग्वालियर की ओर से शब्दमाधुरी सम्मान। शब्द भारती सम्मान व विशिष्ठ सम्मान
3॰ देश की 51 कवियत्रियों की काव्य कृति शब्द माधुरी में कविताओं का प्रकाशन
4॰ कला प्रयास मंच, नंगल द्वारा सम्मानित
पुरस्कृत कविता- अमर कवितायें
कुछ कवितायें
कहीं लिखी नहीं जाती
कही नहीं जाती
बस महसूस की जाती हैं
किसी कोख में
वो कवियत्री सीख लेती है
कुछ शब्द उकेरने
भाई की कापी किताब से
जमीन पर उंगलियों से
खींच कर कुछ लकीरें
लिखना चाहती है कविता
पर
बिठा दी जाती है
डोली में
दहेज मे नहीं मिलती कलम
मिलता है सिर्फ
फर्ज़ों का संदूक
फिर जब कुलबुलाते हैं
कुछ शब्द उसके ज़ेहन मे
ढूँढ़ती है कलम
दिख जाता है घर में
बिखरा कचरा, कुछ धूल
और कविता
कर्तव्य बन समा जाती है
झाड़ू में और सजा देती है
घर के कोने-कोने में
उन शब्दों को
फिर आते हैं कुछ शब्द
कलम ढूँढ़ती है
पर दिख जाती हैं
दो बूढ़ी बीमार आँखें
दवा के इंतज़ार में
बन जाती है कविता करुणा
समा जाते हैं शब्द
दवा की बोतल में
जीवनदाता बन कर
शब्द तो हर पल कुलबुलाते
कसमसाते रहते हैं
पर बनाना है खाना
काटने लगती है प्याज़
बह जाते हैं शब्द प्याज़ की कड़ुवाहट में
ऐसे ही कुछ शब्द बर्तनों की
टकराहत में हो जाते है
घायल
बाकी धूँए की परत से
धुंधला जाते हैं
सुबह से शाम तक
चलता रहता है
ये शब्दों का सफर
रात में थकचूर कर
कुछ शब्द बिस्तर की सलवटों
में पड़े कराहते और
तोड़ देते हैं दम
पर नहीं मिलती कलम
नहीं मिलता वक़्त
बरसों तक चलता रहता है
ये शब्दों का सफर
बेटे को सरहद पर भेज
फुरसत में लिखना चाहती है
वीर रस में
दहकती सी कोई कविता
पर तभी आ जाती है
सरहद पर शहीद बेटे की लाश
मूक हो जाते हैं शब्द
मर जाती है कविता
एक माँ की
अंतस में समेटे शहादत
की गरिमा ऐसे ही
कितनी ही कवियत्रियों को
नहीं मिलती कलम
नहीं मिलता वक़्त
नहीं मिलता नसीब
हाथ की लकीरों पर ही
तोड़ देते हैं दम
उनके दिल मे उगे कुछ शब्द
मर जाती है कविता
जन्म से पहले
जो ना लिखी जाती हैं
ना पढ़ी जाती हैं
बस महसूस की जाती हैं
शायद यही हैं वो
अमर कवितायें
प्रथम चरण मिला स्थान- आठवाँ
द्वितीय चरण मिला स्थान- दसवाँ
पुरस्कार- राकेश खंडेलवाल के कविता-संग्रह 'अंधेरी रात का सूरज' की एक प्रति।
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
निर्मला जी
आपकी कविता 'अमर कविताएँ'ने एक शाश्वत सत्य की व्याख्या की है. एक - एक शब्द यथार्थ की धरातल पर रचे गए हैं. एक अनुपम एवं उत्कृष्ट कोटि की रचना के लिए हार्दिक बधाई.
किरण सिन्धु .
१० वें स्थान के लिए बधाई |
पढ़ने के बाद पता नहीं लगा क्या पढा | बहुत ही भ्रम था |
नहीं जमी कवयित्री की बात और रचना |
आगे और अच्छी रचना की प्रतीक्षा में |
अवनीश तिवारी
bojhal kavita
सही कहा आपने कुछ कविताये तो बनने से पहले ही दम तोड़ देती है,,,एक स्त्री के मन में कविता लिखने का विचार तो आता है पर हर बार उसे अपने कर्तव्य के आगे उसे छोड़ना पड़ता है,,,,,मुझे पसंद आई आपकी ये कविता ,,
सबसे पहले तो आपको बधाई, फिर कविता की बात आपकी यह रचना 'अमर कविताएं' बहुत ही गहरे भाव लिये हुये मन को छूती चली गई जिसकी प्रस्तुति लिये आपका आभार ।
निर्मला जी,
मैंने अपको वीर बहुटी पर भी पढा है, और निस्संदेह कविता इसी तरह ही अमर होती है :-
हाथ की लकीरों पर ही
तोड़ देते हैं दम
उनके दिल मे उगे कुछ शब्द
मर जाती है कविता
जन्म से पहले
जो ना लिखी जाती हैं
ना पढ़ी जाती हैं
बस महसूस की जाती हैं
शायद यही हैं वो
अमर कवितायें
ऐसी ही किसी अमर कविता को गुनगुनाते हुये
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
सार्थक रचना |
सरहद पर शहीद बेटे की लाश
मूक हो जाते हैं शब्द
मर जाती है कविता
एक माँ की
अंतस में समेटे शहादत
की गरिमा ऐसे ही
कितनी ही कवियत्रियों को
नहीं मिलती कलम
आपको साधुवाद |
उनके दिल मे उगे कुछ शब्द
मर जाती है कविता
जन्म से पहले
जो ना लिखी जाती हैं
ना पढ़ी जाती हैं
बस महसूस की जाती हैं
शायद यही हैं वो
अमर कवितायें
आपकी एक अमर कविता.
एक एक शब्द दिल को छू गए लिखना चाहती है वीर रस की कविता यहाँ से आगे तो जब पढ़ा दिल भर आया
अमर कविता
सादर
रचना
कितनी गहरी गहरी बातें इस आसनी से कह गयी आप।शब्द संयोजन कमाल का था
Kitani sachayi ke sath kavita kah di hai.
Badhayi.
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